लखनऊ: बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर 10 जनवरी को विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस बता रहा है. बीते 25 साल से इसी तिथि पर ही स्थापना दिवस समारोह मनाया जाता रहा है. अब, अचानक 25 साल बाद यहां के विद्वानों को यह अहसास हुआ है कि इनका स्थापना दिवस तो यह है ही नहीं. इन विद्वानों ने अब 14 अप्रैल को अपना स्थापना दिवस मनाने का फैसला लिया है. इसको लेकर विश्वविद्यालय के छात्र विरोध पर उतर आए हैं. अम्बेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन (एयूडीएसयू) ने कुलपति प्रो. संजय सिंह पर अम्बेडकर विरोधी होने का आरोप लगाया है. छात्रों की ओर से सोमवार को भीख मांगकर विरोध जताया.
इस साल से हो रहा बदलाव
बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.bbau.in पर उपलब्ध सूचना के मुताबिक, केन्द्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नोटिफिकेशन पर 10 जनवरी 1996 में विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया था. इसी के हिसाब से विश्वविद्यालय बीते वर्ष तक इसी तारीख पर स्थापना दिवस मनाता आ रहा है. इस साल से इसमें बदलाव किया जा रहा है. विश्वविद्यालय की प्रवक्ता डॉ. रचना गंगवार का कहना है कि 14 अप्रैल 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया था. उस समय नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री थी. इसका पत्थर विश्वविद्यालय में लगा हुआ है. इसी के आधार पर एकेडमिक काउंसिल की बैठक में स्थापना दिवस 10 जनवरी के बजाए 14 अप्रैल को मनाए जाने का फैसला लिया गया है.
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पहले भी हुई थी बदलने की कोशिश
विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि पहले भी विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस को बदलने की कोशिश की गई थी लेकिन, कुछ शिक्षकों के विरोध के बाद यह नहीं हो पाया. वर्तमान कुलपति प्रो. संजय सिंह ने इस पर फैसला ले लिया है. छात्रों की तरफ से इसपर आपत्ति जताई गई है. छात्रों का कहना है कि कुछ अधिकारी जबरन विश्वविद्यालय के इतिहास से छेड़छाड़ कर रहे हैं. जब तक ये फैसला वापस नहीं लेंगे, विरोध जारी रहेगा.