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लखनऊ: विधान परिषद में बेसिक शिक्षा के कंपोजिट ग्रांट घोटाले पर हुई नोकझोंक - legislative council lucknow

लखनऊ विधान परिषद में शुक्रवार को बेसिक शिक्षा विभाग के कंपोजिट ग्रांट घोटाले को लेकर सत्ता और विपक्ष की तीखी नोकझोंक हुई. विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि भाजपा और सरकारी अधिकारी मिलकर गरीब परिवारों के बच्चों का भविष्य छीन रहे हैं. .

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विधान परिषद में बेसिक शिक्षा के कंपोजिट ग्रांट घोटाले पर हुई नोकझोंक.
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Published : Feb 15, 2020, 11:04 AM IST

लखनऊ: शुक्रवार को विधान परिषद में बेसिक शिक्षा विभाग का कंपोजिट ग्रांट घोटाला सत्ता और विपक्ष की तीखी नोकझोंक का कारण बना. विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर आरोप लगाया कि भाजपा के पदाधिकारी और सरकारी अधिकारी मिलकर गरीब परिवारों के बच्चों का भविष्य छीन रहे हैं. सरकारी अधिकारियों ने स्कूल शिक्षकों को डरा धमका कर घोटाले को अंजाम दिया है और सरकार दोषी अधिकारियों और भाजपा नेताओं को बचाने में जुटी है.

विधान परिषद में बेसिक शिक्षा के कंपोजिट ग्रांट घोटाले पर हुई नोकझोंक.
समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह साजन ने नियम 105 के तहत सदन को सूचित किया कि प्रदेश में बीजेपी सरकार आने के बाद से बेसिक शिक्षा विभाग में कंपोजिट ग्रांट की खरीद-फरोख्त में बड़ी अनियमितताएं की जा रही हैं.

उन्होंने कहा कि उन्नाव जिले के प्राथमिक स्कूलों में वर्ष 2018-2019 के दौरान खरीदी गई सामग्री में बड़े पैमाने पर बेईमानी की गई है. जौनपुर की एक ऐसी कंपनी से स्कूलों में खरीद कराई गई जो अस्तित्व में ही नहीं है. जिसका कोई जीएसटी नंबर नहीं है. खरीद के लिए स्कूलों के शिक्षकों को दबाव डाला गया. जिलाधिकारी और बीएसए का नाम लेकर शिक्षकों को धमकाया गया.

यह भी पढ़ें: राम भक्तों की कल्पना से भी सुंदर होगी अयोध्याः नीलकंठ तिवारी

उन्नाव जिले में ही अकेले 10 करोड़ का घोटाला किया गया है. एक ही सामान की खरीद तीन अलग-अलग स्तर पर की गई है. जो सामान एक बार 5 हजार में खरीदा गया. वहीं, दूसरे स्कूल में 27 हजार में खरीदा गया है.

विपक्ष की ओर से उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए बेसिक शिक्षा मंत्री राज्य डॉक्टर सतीश द्विवेदी ने कहा कि मामले की जानकारी समाचार पत्रों से मिली और इसके बाद उन्होंने तत्काल बेसिक शिक्षा अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू कराई और उसे निलंबित भी किया गया. जिलाधिकारी उन्नाव की भूमिका की जांच भी मंडलायुक्त लखनऊ को सौंपी गई है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खुद इस मामले में बेहद गंभीर हैं और ऐसी किसी भी भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

लखनऊ: शुक्रवार को विधान परिषद में बेसिक शिक्षा विभाग का कंपोजिट ग्रांट घोटाला सत्ता और विपक्ष की तीखी नोकझोंक का कारण बना. विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर आरोप लगाया कि भाजपा के पदाधिकारी और सरकारी अधिकारी मिलकर गरीब परिवारों के बच्चों का भविष्य छीन रहे हैं. सरकारी अधिकारियों ने स्कूल शिक्षकों को डरा धमका कर घोटाले को अंजाम दिया है और सरकार दोषी अधिकारियों और भाजपा नेताओं को बचाने में जुटी है.

विधान परिषद में बेसिक शिक्षा के कंपोजिट ग्रांट घोटाले पर हुई नोकझोंक.
समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह साजन ने नियम 105 के तहत सदन को सूचित किया कि प्रदेश में बीजेपी सरकार आने के बाद से बेसिक शिक्षा विभाग में कंपोजिट ग्रांट की खरीद-फरोख्त में बड़ी अनियमितताएं की जा रही हैं.

उन्होंने कहा कि उन्नाव जिले के प्राथमिक स्कूलों में वर्ष 2018-2019 के दौरान खरीदी गई सामग्री में बड़े पैमाने पर बेईमानी की गई है. जौनपुर की एक ऐसी कंपनी से स्कूलों में खरीद कराई गई जो अस्तित्व में ही नहीं है. जिसका कोई जीएसटी नंबर नहीं है. खरीद के लिए स्कूलों के शिक्षकों को दबाव डाला गया. जिलाधिकारी और बीएसए का नाम लेकर शिक्षकों को धमकाया गया.

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उन्नाव जिले में ही अकेले 10 करोड़ का घोटाला किया गया है. एक ही सामान की खरीद तीन अलग-अलग स्तर पर की गई है. जो सामान एक बार 5 हजार में खरीदा गया. वहीं, दूसरे स्कूल में 27 हजार में खरीदा गया है.

विपक्ष की ओर से उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए बेसिक शिक्षा मंत्री राज्य डॉक्टर सतीश द्विवेदी ने कहा कि मामले की जानकारी समाचार पत्रों से मिली और इसके बाद उन्होंने तत्काल बेसिक शिक्षा अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू कराई और उसे निलंबित भी किया गया. जिलाधिकारी उन्नाव की भूमिका की जांच भी मंडलायुक्त लखनऊ को सौंपी गई है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खुद इस मामले में बेहद गंभीर हैं और ऐसी किसी भी भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

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