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बाराबंकी मस्जिद गिराने का मामला : हाईकोर्ट का अवमानना याचिका सुनने से इनकार

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Published : Jul 1, 2021, 11:51 PM IST

याचिका पर सुनवाई प्रारंभ होते ही याची ने स्वयं पीठ को अवगत कराया कि इस मामले में एक दूसरी अवमानना याचिका पहले से दाखिल है जिस पर नोटिस जारी हो चुकी है. याची ने मांग की कि वर्तमान अवमानना याचिका को पूर्व में दाखिल याचिका के साथ संबद्ध कर दिया जाए.

हाईकोर्ट का अवमानना याचिका सुनने से इनकार
हाईकोर्ट का अवमानना याचिका सुनने से इनकार

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बाराबंकी के रामसनेहीघाट तहसील परिसर स्थित मस्जिद ढहाने के मामले में दाखिल एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. साथ ही याचिका को रिकॉर्ड पर रखने का आदेश दिया है. न्यायालय ने पाया कि इसी मामले को लेकर पहले से एक अवमानना याचिका कोर्ट में विचाराधीन है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी की एकल पीठ ने सैयद फारूक अहमद की ओर से दायर अवमानना याचिका पर पारित किया. याचिका पर सुनवाई प्रारंभ होते ही याची ने स्वयं पीठ को अवगत कराया कि इस मामले में एक दूसरी अवमानना याचिका पहले से दाखिल है जिस पर नोटिस जारी हो चुकी है. याची ने मांग की कि वर्तमान अवमानना याचिका को पूर्व में दाखिल याचिका के साथ संबद्ध कर दिया जाए.

यह भी पढ़ें : धरती पर जीवन के रहस्यों से वैज्ञानिकों ने उठाया पर्दा


याचिका पर सुनवाई के पश्चात न्यायालय ने कहा कि अवमानना की कार्यवाही अवमाननाकर्ता और अदालत के बीच का मामला है. जब समान मामले में पहले ही अवमानना याचिका पर सुनवाई चल रही है और नोटिस जारी हो चुका है तो वर्तमान याचिका को पूर्व में दाखिल याचिका के साथ संबद्ध करने का कोई औचित्य नहीं है.

हालांकि न्यायालय ने याची सैयद फारूक अहमद को यह स्वतंत्रता दी कि वह पूर्व में दाखिल अवमानना याचिका में यदि चाहे तो संबंधित दस्तावेजों को दाखिल कर सकते हैं. उल्लेखनीय है कि स्थानीय प्रशासन के आदेश पर रामसनेहीघाट तहसील परिसर में कथित रूप से अवैध तरीके से बनाई गई मस्जिद को 17 मई 2021 को गिरा दिया गया था.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बाराबंकी के रामसनेहीघाट तहसील परिसर स्थित मस्जिद ढहाने के मामले में दाखिल एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. साथ ही याचिका को रिकॉर्ड पर रखने का आदेश दिया है. न्यायालय ने पाया कि इसी मामले को लेकर पहले से एक अवमानना याचिका कोर्ट में विचाराधीन है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी की एकल पीठ ने सैयद फारूक अहमद की ओर से दायर अवमानना याचिका पर पारित किया. याचिका पर सुनवाई प्रारंभ होते ही याची ने स्वयं पीठ को अवगत कराया कि इस मामले में एक दूसरी अवमानना याचिका पहले से दाखिल है जिस पर नोटिस जारी हो चुकी है. याची ने मांग की कि वर्तमान अवमानना याचिका को पूर्व में दाखिल याचिका के साथ संबद्ध कर दिया जाए.

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याचिका पर सुनवाई के पश्चात न्यायालय ने कहा कि अवमानना की कार्यवाही अवमाननाकर्ता और अदालत के बीच का मामला है. जब समान मामले में पहले ही अवमानना याचिका पर सुनवाई चल रही है और नोटिस जारी हो चुका है तो वर्तमान याचिका को पूर्व में दाखिल याचिका के साथ संबद्ध करने का कोई औचित्य नहीं है.

हालांकि न्यायालय ने याची सैयद फारूक अहमद को यह स्वतंत्रता दी कि वह पूर्व में दाखिल अवमानना याचिका में यदि चाहे तो संबंधित दस्तावेजों को दाखिल कर सकते हैं. उल्लेखनीय है कि स्थानीय प्रशासन के आदेश पर रामसनेहीघाट तहसील परिसर में कथित रूप से अवैध तरीके से बनाई गई मस्जिद को 17 मई 2021 को गिरा दिया गया था.

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