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नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना पर जारी रहेगी रोक, आज फिर होगी सुनवाई

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Published : Dec 13, 2022, 12:39 PM IST

Updated : Dec 13, 2022, 7:26 PM IST

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of the High Court) द्वारा प्रदेश के नगर निकाय चुनावों की अधिसूचना पर सोमवार को लगाई गई रोक कल तक जारी रहेगी. नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने में प्रक्रिया का पालन न करने का आरोप राज्य सरकार पर लगाते हुए, दाखिल जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह आदेश दिया है.

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लखनऊ : नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से दी गई सफाई पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि यह समझना होगा कि ओबीसी आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया एक संवैधानिक व्यवस्था है. साथ ही न्यायालय ने प्रदेश के नगर निकाय चुनावों की अधिसूचना पर लगाई गई रोक बुधवार तक के लिए बढ़ा दी है. मामले में बुधवार को पुनः सुनवाई होगी.


यह आदेश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव (Justice Devendra Kumar Upadhyay and Justice Saurabh Srivastava) की खंडपीठ ने वैभव पांडेय की याचिका पर पारित किया. राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही (Additional Advocate General Vinod Kumar Shahi) और अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता अमिताभ राय (Additional Chief Permanent Advocate Amitabh Rai) ने पक्ष रखा. सरकार की ओर से मामले पर सफाई दी गई कि 5 दिसंबर 2022 को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में सीटों का आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक न हो इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है. इस पर न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के सम्बंधित निर्णय व संविधान का अनुच्छेद 16 (4) पढ़ने को कहा.

न्यायालय ने कहा कि न सिर्फ शीर्ष अदालत का निर्णय बल्कि संविधान की भी यही व्यवस्था है कि ओबीसी आरक्षण जारी करने से पहले पिछड़ेपन का अध्ययन किया जाए. न्यायालय ने सरकार को यह भी ताकीद किया है कि अध्ययन का अर्थ रैपिड सर्वे नहीं होना चाहिए. उल्लेखनीय है कि वर्तमान याचिका में सर्वोच्च न्यायालय के सुरेश महाजन मामले के निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया है कि स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण जारी करने से पहले ट्रिपल टेस्ट किया जाना चाहिए. जबकि इसके बिना 5 दिसंबर 2022 को सरकार ने निकाय चुनावों के लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया. याचिका पर सुनवाई के उपरांत 12 दिसंबर को न्यायालय ने उक्त ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के साथ-साथ चुनाव की अधिसूचना जारी की जाने पर भी रोक लगा दी.

यह भी पढ़ें : तवांग झड़प पर आया चीन का पहला बयान, कहा- सीमा पर स्थिति नियंत्रित है

लखनऊ : नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से दी गई सफाई पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि यह समझना होगा कि ओबीसी आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया एक संवैधानिक व्यवस्था है. साथ ही न्यायालय ने प्रदेश के नगर निकाय चुनावों की अधिसूचना पर लगाई गई रोक बुधवार तक के लिए बढ़ा दी है. मामले में बुधवार को पुनः सुनवाई होगी.


यह आदेश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव (Justice Devendra Kumar Upadhyay and Justice Saurabh Srivastava) की खंडपीठ ने वैभव पांडेय की याचिका पर पारित किया. राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही (Additional Advocate General Vinod Kumar Shahi) और अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता अमिताभ राय (Additional Chief Permanent Advocate Amitabh Rai) ने पक्ष रखा. सरकार की ओर से मामले पर सफाई दी गई कि 5 दिसंबर 2022 को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में सीटों का आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक न हो इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है. इस पर न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के सम्बंधित निर्णय व संविधान का अनुच्छेद 16 (4) पढ़ने को कहा.

न्यायालय ने कहा कि न सिर्फ शीर्ष अदालत का निर्णय बल्कि संविधान की भी यही व्यवस्था है कि ओबीसी आरक्षण जारी करने से पहले पिछड़ेपन का अध्ययन किया जाए. न्यायालय ने सरकार को यह भी ताकीद किया है कि अध्ययन का अर्थ रैपिड सर्वे नहीं होना चाहिए. उल्लेखनीय है कि वर्तमान याचिका में सर्वोच्च न्यायालय के सुरेश महाजन मामले के निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया है कि स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण जारी करने से पहले ट्रिपल टेस्ट किया जाना चाहिए. जबकि इसके बिना 5 दिसंबर 2022 को सरकार ने निकाय चुनावों के लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया. याचिका पर सुनवाई के उपरांत 12 दिसंबर को न्यायालय ने उक्त ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के साथ-साथ चुनाव की अधिसूचना जारी की जाने पर भी रोक लगा दी.

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Last Updated : Dec 13, 2022, 7:26 PM IST
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