लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सपा सरकार के दौरान पॉवर कॉर्पोरेशन में हुए पीएफ घोटाला मामले में तत्कालीन वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने दूसरी बार अभियुक्त की जमानत याचिका को खारिज किया है. न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त ही इस पूरे मामले का आर्किटेक्ट था.
यह आदेश जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने सुधांशु द्विवेदी की जमानत याचिका पर पारित किया. याची की ओर से मुख्य रूप से दलील दी गई थी कि मामले के सह-अभियुक्त तत्कालीन एमडी अयोध्या प्रसाद मिश्रा व अभिनव गुप्ता को जमानत मिल चुकी है लिहाजा उसी आधार पर वर्तमान अभियुक्त को भी जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए.
न्यायालय ने इस दलील को खारिज करते हुए, कहा कि अभियुक्त समता के आधार पर जमानत पाने का अधिकारी नहीं है क्योंकि अभियुक्त पर लगाए गए आरोप अयोध्या प्रसाद मिश्रा व अभिनव गुप्ता पर लगे आरोपों से भिन्न हैं।
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न्यायालय ने कहा कि अयोध्या प्रसाद मिश्रा के हस्ताक्षर से कर्मचारियों के पीएफ का पैसा निजी कम्पनियों में जमा करने की बात सामने नहीं आई है व अभिनव गुप्ता एक प्राइवेट व्यक्ति है न कि कोई सरकारी अधिकारी. न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त सुधांशु द्विवेदी इस पूरे मामले का आर्किटेक्ट है.
उसने भारी मात्रा में कमीशन पाने के लिए कर्मचारियों के दो निधियों का धन डीएचएफएल में निवेश करवा दिया. उल्लेखनीय है कि पूर्व के आदेश में भी न्यायालय कह चुकी है कि यह 42 हजार कर्मचारियों के करोड़ों की धनराशि के घोटाले का मामला है. इसके पूर्व 7 अप्रैल 2020 को सुधांशु द्विवेदी की पहली जमानत याचिका खारिज की जा चुकी है.
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