लखनऊ : प्रभारी सत्र न्यायाधीश योगेंद्र राम गुप्ता ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में निरुद्ध अभियुक्तों की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने अभियुक्त अमन उर्फ सैयद हयाम हुसैन रिजवी और मोहम्मद अनस के इस अपराध को प्रथम दृष्टया गंभीर करार दिया है.
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कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज
फौजदारी के जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी ने अभियुक्तों की जमानत अर्जी का विरोध किया. अदालत के समक्ष जमानत अर्जी पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई हुई. सरकारी वकील का कहना था कि 22 अप्रैल को थाना ठाकुरगंज की पुलिस ने इन दोनों को एरा मेडिकल कॉलेज के पास से गिरफ्तार किया था. इनके पास से रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद हुआ था जिनकी संख्या 6 थी. पुलिस ने इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 269, 270, 420, 34 और महामारी अधिनियम की धारा 3 के साथ ही औषधि और प्रसाधन अधिनियम की धारा 18/27 के तहत एफआईआर दर्ज की है.
'अभियुक्तों का कृत्य घृणित'
अभियुक्त इंजेक्शन को बाजार मूल्य से तीन से चार गुना अधिक दाम पर बेचते थे. सरकारी वकील की दलील थी कि महामारी के इस दौर में अभियुक्तों का यह अपराध अत्यंत गंभीर प्रकृति का है. लिहाजा इनकी जमानत अर्जी खारिज की जाए. कोर्ट ने भी इस दलील से सहमति जतायी थी कि महामारी के इस दौर में अभियुक्तों का कृत्य ना सिर्फ घृणित है बल्कि समाज के विरुद्ध भी है.