लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पशुपालन विभाग में वर्ष 2018 में टेंडर दिलाने के नाम पर इंदौर के एक व्यापारी को करेाड़ों का चूना लगाने के आरेापियों संतोष मिश्रा, धीरज कुमार, रजनीश दीक्षित, रूपक राय, सचिन वर्मा, अनिल राय, उमा शंकर तिवारी व रघुवीर प्रसाद की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि पूरे मामले का घटनाक्रम किसी फिल्म की कहानी से कम चौंकाने वाला नहीं है. इससे आम लोगों का गर्वनेंस से विश्वास उठता है.
यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने उपरेाक्त सभी अभियुक्तों की जमानत याचिका पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. न्यायालय ने कहा कि याचियों ने अन्य सह-अभियुक्तों, जिनमें पूर्व डीआईजी अरविंद सेन भी शामिल हैं, के साथ मिलकर बहुत ही सुनियोजित तरीके से अपराध को अंजाम दिया है. अपर महाधिवक्ता वीके शाही व अपर शासकीय अधिवक्ता राव नरेंद्र सिंह ने न्यायालय को बताया कि विवेचना में यह तथ्य प्रकाश में आया है कि सभी अभियुक्तों ने व्यापारी से ऐंठे गए रुपये को आपस में बांटा है और यहां तक कि बैंक अकाउंट में भी रुपये का लेनदेन हुआ है.
कहा गया है कि सचिवालय को इस अपराध के लिए इस्तेमाल किया गया, जो कि अपराध की गंभीरता को और बढ़ा देता है. इस मामले में अरविंद सेन भी जेल में हैं. उल्लेखनीय है कि इंदौर के व्यापारी ने इस मामले की प्राथमिकी हजरतगंज थाने पर आईपीसी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत दर्ज कराई थी.