लखनऊ: मजहब छिपाकर व अपना नाम बदलकर महिला के साथ दुराचार करने के आरोपी आमिर अहसान की जमानत अर्जी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश मोहिंदर कुमार ने खारिज कर दिया. अदालत ने आरोपी की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि उसके द्वारा किया गया कृत्य गंभीर है. उसने धर्म छिपाकर पीड़िता के विश्वास को धोखा दिया है.
जमानत अर्जी का विरोध करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज कुमार त्रिपाठी ने बताया कि इस मामले की रिपोर्ट पीड़िता द्वारा स्वयं 5 फरवरी 2023 को जानकीपुरम थाने पर दर्ज कराई गई थी. उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि पीड़िता पढ़ाई करने के बाद एलडेको सिटी आईएमरोड पर नौकरी की तलाश में आकर रहने लगी. इसी दौरान पीड़िता को आरोपी मिला. आरोपी ने अपना नाम अमर मिश्रा बताया था. इसके साथ ही अपने परिचय से ट्रांसपोर्ट ऑफिस में नौकरी लगवा देनी की बात कही. इसके बाद आरोपी धीरे-धीरे पीड़िता के संपर्क में आता गया. यहां उसने शादी का झांसा देकर पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध बनाने लगा. इसी दौरान उसने पीड़िता का अश्लील वीडियो बना लिया. जिनका दुरुपयोग कर उसका दुराचार करता रहा. आरोपी ने पीड़िता को एहसास नहीं होने दिया कि वह हिंदू नहीं है. बहस के दौरान अदालत को यह भी बताया गया कि आरोपी इससे पहले भी कई लड़कियों के साथ अपना नाम बदलकर दुराचार कर चुका है.
बदली परिस्थितियों में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिका पेाषणीयः हाईकोर्ट
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा है कि एक ही मामले में राहत पाने के लिए सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दूसरी अर्जी दी जा सकती है. परंतु ऐसा तभी किया जा सकता है. जब परिस्थितियां बदली हुई हों. यह कहते हुए कोर्ट ने याची अभियुक्त को हत्या के केस में विवेचक द्वारा बतौर साक्ष्य एकत्रित की गई कॉम्पैक्ट डिवाइस और पेन ड्राइव को दिलाने से मना कर दिया. कोर्ट ने कहा कि पहले की याचिका में ही कहा जा चुका है यदि अभियोजन उक्त साक्ष्यों को पेश कर उन पर भरोसा जताएगा तो उन साक्ष्यों को अभियुक्त को देना होगा. यह आदेश न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की एकल पीठ ने हत्या के मामले में अभियुक्त उदय प्रताप सिंह की ओर से सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दाखिल अर्जी केा खारिज करते हुए पारित किया है.
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