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निजी शिक्षण संस्थानों में B.Ed. की फीस तय नहीं होने से छात्र परेशान - लखनऊ की खबर

उत्तर प्रदेश के निजी शिक्षण संस्थानों में चालू शिक्षण सत्र में B.Ed फीस प्रदेश सरकार द्वारा अभी तक निर्धारित नहीं हो पाई है. ऐसे में छात्र काफी परेशान हैं. बता दें कि फीस निर्धारित न होने के कारण छात्रों को निजी संस्थानों के पाठ्यक्रमों के लिए राज्य विश्वविद्यालयों में न्यूनतम फीस के बराबर, फीस भरनी पड़ेगी, जिसके कारण ऐसे छात्रों पर अतिरिक्त बोझ पड़ जाएगा.

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फीस का निर्धारण नहीं होने से छात्र काफी परेशान हैं.
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Published : Sep 15, 2020, 4:22 PM IST

लखनऊ: कोरोना महामारी की वजह से प्रदेश भर के निजी शिक्षण संस्थानों में सरकार की तरफ से चालू सत्र के लिये B.Ed. की फीस अभी तक निर्धारित नहीं की गयी है. ऐसे में छात्र काफी परेशान हैं. फीस निर्धारित न होने के कारण छात्रों को निजी संस्थानों के पाठ्यक्रमों के लिए राज्य विश्वविद्यालयों में न्यूनतम फीस के बराबर फीस भरनी पड़ेगी, जिसके कारण ऐसे छात्रों पर अतिरिक्त बोझ पड़ जाएगा. इस विषय पर समाज कल्याण अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों के लिए पूरी फीस की भरपाई करती है.

B.Ed. में अन्य वर्गों के लिए अधिकतम 50 हजार रुपये की प्रतिपूर्ति की कैपिंग लगाई गई है और अब इस वर्ष कोरोना महामारी की वजह से विद्यार्थियों की ऑनलाइन क्लासेस चलाई जा रही हैं. यही कारण है की प्रदेश सरकार शुल्क भरपाई से कटौती करने पर भी विचार कर रही है. इसके लिए यह तर्क दिया जा रहा है कि ऑनलाइन क्लासेज से संस्थानों का व्ययभार कम हुआ है. बता दें कि राज्य विश्वविद्यालयों और निजी संस्थानों की फीस में भारी अंतर देखा जा रहा है. निजी बीएड शिक्षण संस्थानों के लिए वर्ष 2016-17 से 2018-19 तक प्रथम वर्ष में 51,250 रुपये और द्वितीय वर्ष में 30,000 रुपये फीस जमा कराई जाती थी. इसके उपरांत 2019-2020 के लिए भी इसी दर से शुल्क निर्धारित किया गया था.

चालू सत्र में निजी संस्थानों के लिए सक्षम स्तर से B.Ed की फीस अभी तक निर्धारित नहीं की जा सकी है. इस मुद्दे पर संबंधित अधिकारियों का कहना है कि 2 अक्टूबर को शुल्क प्रतिपूर्ति की जानी है. इसलिए सक्षम स्तर से B.Ed में ली जाने वाली फीस का निर्धारण जरूरी है. चाहे इसकी राशि कम हो या ज्यादा, क्योंकि किसी भी स्थिति में यह राज्य विश्वविद्यालय में ली जाने वाली फीस से अधिक ही निर्धारित होनी है. सरकार के कुल दो हजार करोड़ रुपये के वार्षिक बजट में से लगभग 450 करोड़ रुपये B.Ed के विद्यार्थियों को दिया जाता रहा है. अनुसूचित जाति की छात्रवृत्ति एवं शुल्क आपूर्ति मद का एक चौथाई बजट B.Ed. पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाले छात्रों को देने के लिए निर्धारित है. वहीं सामान्य वर्ग में आवेदन करने वाले पात्र विद्यार्थियों की संख्या करीब 25,000 रहती है. ऐसे में फीस का निर्धारण करना अति आवश्यक है, जिससे छात्रों के सामने समस्याएं और अतिरिक्त बोझ न पड़े.

लखनऊ: कोरोना महामारी की वजह से प्रदेश भर के निजी शिक्षण संस्थानों में सरकार की तरफ से चालू सत्र के लिये B.Ed. की फीस अभी तक निर्धारित नहीं की गयी है. ऐसे में छात्र काफी परेशान हैं. फीस निर्धारित न होने के कारण छात्रों को निजी संस्थानों के पाठ्यक्रमों के लिए राज्य विश्वविद्यालयों में न्यूनतम फीस के बराबर फीस भरनी पड़ेगी, जिसके कारण ऐसे छात्रों पर अतिरिक्त बोझ पड़ जाएगा. इस विषय पर समाज कल्याण अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों के लिए पूरी फीस की भरपाई करती है.

B.Ed. में अन्य वर्गों के लिए अधिकतम 50 हजार रुपये की प्रतिपूर्ति की कैपिंग लगाई गई है और अब इस वर्ष कोरोना महामारी की वजह से विद्यार्थियों की ऑनलाइन क्लासेस चलाई जा रही हैं. यही कारण है की प्रदेश सरकार शुल्क भरपाई से कटौती करने पर भी विचार कर रही है. इसके लिए यह तर्क दिया जा रहा है कि ऑनलाइन क्लासेज से संस्थानों का व्ययभार कम हुआ है. बता दें कि राज्य विश्वविद्यालयों और निजी संस्थानों की फीस में भारी अंतर देखा जा रहा है. निजी बीएड शिक्षण संस्थानों के लिए वर्ष 2016-17 से 2018-19 तक प्रथम वर्ष में 51,250 रुपये और द्वितीय वर्ष में 30,000 रुपये फीस जमा कराई जाती थी. इसके उपरांत 2019-2020 के लिए भी इसी दर से शुल्क निर्धारित किया गया था.

चालू सत्र में निजी संस्थानों के लिए सक्षम स्तर से B.Ed की फीस अभी तक निर्धारित नहीं की जा सकी है. इस मुद्दे पर संबंधित अधिकारियों का कहना है कि 2 अक्टूबर को शुल्क प्रतिपूर्ति की जानी है. इसलिए सक्षम स्तर से B.Ed में ली जाने वाली फीस का निर्धारण जरूरी है. चाहे इसकी राशि कम हो या ज्यादा, क्योंकि किसी भी स्थिति में यह राज्य विश्वविद्यालय में ली जाने वाली फीस से अधिक ही निर्धारित होनी है. सरकार के कुल दो हजार करोड़ रुपये के वार्षिक बजट में से लगभग 450 करोड़ रुपये B.Ed के विद्यार्थियों को दिया जाता रहा है. अनुसूचित जाति की छात्रवृत्ति एवं शुल्क आपूर्ति मद का एक चौथाई बजट B.Ed. पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाले छात्रों को देने के लिए निर्धारित है. वहीं सामान्य वर्ग में आवेदन करने वाले पात्र विद्यार्थियों की संख्या करीब 25,000 रहती है. ऐसे में फीस का निर्धारण करना अति आवश्यक है, जिससे छात्रों के सामने समस्याएं और अतिरिक्त बोझ न पड़े.

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