लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कई मुद्दों पर अपने विचारों को खुलकर साझा किया. देश में मुसलमानों की ओर से मोदी को समर्थन दिए जाने को लेकर उन्होंने कहा कि देश के मुसलमान डरे हुए हैं. वो मोदी का समर्थन नहीं करेंगे तो कब जला दिए जाएंगे इसका उन्हें भी नहीं पता.
सवाल: देश का जो प्रधानमंत्री अक्सर यूपी से होता है, तो यूपी में आप इस पद के लायक किसको मान रहे हैं?
जवाब: यूपी में नम्बर वन राहुल गांधी हैं, उनको प्रधानमंत्री बनना चाहिए, वह इस पद को डिजर्व करते हैं. उनके पास मेरिट है और वह भारत का भाग्य यानी 'डेस्टिनी ऑफ इंडिया' हैं. अगर इस बार वह प्रधानमंत्री नहीं बन पाए तो हालात के अनुसार वह राजनीति में कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं. मुल्क को बचाने के लिए वह कुर्बानी दे देंगे. इसके बाद मायावती भी प्रधानमंत्री बन सकती हैं. पहली बार दलित महिला को देश का प्रधानमंत्री बनने का मौका मिलेगा. अगर मायावती नहीं बनती हैं तो ममता बनर्जी हैं, वह बहुत अच्छी नेता हैं.
सवाल: उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ बने गठबंधन की ताकत का श्रेय आप किसको देते हैं?
जवाब: अखिलेश और मायावती दोनों को इसका श्रेय है, लेकिन अखिलेश को ज्यादा श्रेय देता हूं, क्योंकि उन्होंने गठबंधन के लिए अपने को बहुत एडजस्ट किया. उन्हें सीटें भी कम मिलीं. उन्होंने अपने आप को हर मौके के लिए ढाला है.
सवाल: तो प्रधानमंत्री अखिलेश यादव की पसंद का नहीं बनना चाहिए?
जवाब: क्यों नहीं बनेगा. प्रधानमंत्री बनाने में उनकी पसंद जरूर होगी. मायावती और वह दोनों साथ हैं. मायावती के लिए मैंने दो साल पहले भी कहा था कि उन्हें प्रधानमंत्री बनना चाहिए. पहली बार देश में एक दलित महिला को प्रधानमंत्री बनने का मौका मिलना चाहिए.
सवाल: उत्तर प्रदेश की जातिगत राजनीति को लेकर आप क्या कहेंगे?
जवाब: ये सब बस पांच-दस साल की बात है. महात्मा गांधी ने 1920 में कहा था कि आज के भारत में भगवान को भी धरती पर अवतार लेकर आना होगा तो उन्हें भी रोटी के रूप में आना होगा. आने वाले समय में रोटी, रोजगार, आश्रय, शिक्षा और इलाज राजनीति के मुद्दे होंगे. जातियों का मुद्दा खत्म हो जाएगा.
सवाल: भाजपा भी इन्हीं मुद्दों पर चुनाव लड़ रही हैं. अयोध्या मुद्दे को भाजपा भुला चुकी है.
जवाब: वह चाहते हैं कि मुद्दा हल नहीं हो, क्योंकि ये इनके बस की बात नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में मामला चला गया, तो ये कैसे इसका हल निकालेंगे. कुंभ में साधुओं ने मार्च का ऐलान किया, इसका क्या मतलब था. वह इसको मुद्दा बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन जनता इतनी बेवकूफ नहीं है.
सवाल: बहुत सारे मुसलमान भी कहते हैं कि अयोध्या का मसला निपटा लिया जाना चाहिए, वहां मंदिर बन जाना चाहिए.
जवाब: मुसलमान कभी मंदिर बनने के खिलाफ नहीं रहा. पूर्व केंद्रीय मंत्री जेडआर अंसारी ने दिल्ली की एक मीटिंग में कहा था कि सारे मुसलमान प्रस्ताव करें कि यह मुद्दा चारों शंकराचार्य के हवाले कर देते हैं. वह जो फैसला करें उसे सब लोग मान लेंगे. लोगों ने उनकी बात को नहीं माना. वाजपेयी जी ने भी जब विपक्ष में थे तो मंदिर को सूटेबल जगह पर बनाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन मस्जिद गिराकर मंदिर बनाना, यह कोई भी स्वीकार नहीं करेगा. गंगाजल से भी यह धब्बा धुलने वाला नहीं है. उसके खिलाफ मुसलमान आज भी हैं और रहेगा.
सवाल: गुजरात में बहुत सारे मुसलमान ऐसे हैं, जिन्होंने मोदी का समर्थन किया. बनारस में मोदी के नामांकन के दौरान वहां भी मुसलमानों ने समर्थन किया. क्या भारत का मुसलमान बदल रहा है?
जवाब: गुजरात का मुसलमान जिसकी आप बात करते हैं, उसकी बेस्ट बेकरी, गोधरा में इतनी पिटाई हुई है, गुजरात के शहरों में जो जलाया गया, जिससे मुसलमान इतना डरा हुआ है कि इनको सपोर्ट नहीं करेगा तो फिर कब जला दिया जाए, पीट दिया जाए. ऐसे में मोदी से डरकर मुसलमान खौफ में समर्थन करता है. उसके अलावा भी अगर कोई मुसलमान समझते हैं कि भाजपा सही है तो यह उनका डेमोक्रेटिक राइट है.