ETV Bharat / state

अब तनाव को छू मंतर करेगा ये आयुर्वेदिक घृत, जानें विशेषताएं

author img

By

Published : Aug 11, 2021, 6:23 PM IST

आधुनिक युग में दिन-प्रतिदिन लोगों में तनाव बढ़ रहा है. इस समस्या से निजात दिलाने के लिए लखनऊ के डॉक्टरों ने एक शोध किया है. राजकीय आयुर्वेद कॉलेज (Government Ayurveda College) और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (King George Medical University) के चिकित्सकों ने शोध से एक ऐसा 'घृत' तैयार किया है, जिससे तनाव छू मंतर हो जाएगा.

आयुर्वेदिक घृत
आयुर्वेदिक घृत

लखनऊ: दवाओं के प्रभाव को लेकर आयुर्वेद-एलोपैथ एक्सपर्ट में आए दिन बहस होती रहती है. इसमें एक-दूसरे की पद्धति को कमतर बताने के तर्कों की झड़ी लग जाती हैं. वहीं मनोरोग के इलाज में पुरातन चिकित्सा, नई पद्धति के बराबर साबित हुई है. राजधानी लखनऊ के विशेषज्ञों के शोध पर मुहर लग गई है. यहां तैयार किया गया 'आयुर्वेदिक घृत' मरीजों को तनाव मुक्त करने में कारगर पाया गया है.

राजकीय आयुर्वेद कॉलेज और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के चिकित्सकों ने मिलकर मोनोरोग पर रिसर्च किया. आयुर्वेद कॉलेज के डॉ. संजीव रस्तोगी के मुताबिक स्टडी के लिए 'प्राइमरी डिप्रेशन' विषय को चुना गया. कारण, मनोरोग से जुड़ी यह बीमारी तेजी से आमजन पर हावी हो रही है. इसके लिए केजीएमयू के मनोरोग विभाग के डॉ. अनिल निश्छल को शामिल किया गया. दोनों जगह ओपीडी में आने वाले वाले प्री-डिप्रेशन के 52 मरीजों को रजिस्टर्ड किया गया. इन्हें 26-26 के दो ग्रुपों में बांटा गया. मरीजों के एक ग्रुप को आयुर्वेद, दूसरे ग्रुप को एलोपैथ की दवा दी गईं.

जानकारी देते राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के डॉक्टर.

डॉ. संजीव रस्तोगी के मुताबिक चरक संहिता के शास्त्रीय योग से जड़ी-बूटियों से घृत तैयार किया गया. इसमें गाय के घी में लहसुन, त्रिफला, त्रिकुट चूर्ण आदि मिलाया गया. आयुर्वेद ग्रुप के रोगियों को सुबह-शाम एक-एक चम्मच दूध या खाने के साथ डोज लेना अनिवार्य किया गया. वहीं गुनगुना कर एक-एक बूंद (नस्य क्रिया) नाक में डलवाया गया. यानी कि ओरल और नोजल दोनों तरह से डोज दी गईं. इसके बाद 4 और 6 हफ्तों पर परिणामों का आंकलन किया गया. वहीं केजीएमयू में पंजीकृत रोगियों को एलोपैथ की डोज दी गई. इसमें विशेषज्ञ द्वारा तैयार घृत-रोग पर एलोपैथ के बराबर असर हुआ.

डॉ. संजीव के मुताबिक प्री-डिप्रेशन में शामिल करीब 23 कारकों पर स्टडी हुई. इसमें तनाव के कारण व्यक्ति को भूख न लगना, चिड़चिड़ापन सुस्ती, काम में मन न लगना आदि पर आयुर्वेदिक घृत बेहद कारगर पाया गया. साथ ही मरीज दवाओं का आदी होने की भी दिक्कत नहीं मिली. घृत में तीक्ष्ण व ऊष्ण औषधियां हैं. यह शरीर में अग्नि के स्तर पर काम करती है. मेटाबॉलिज्म को एक्टिव करती हैं. एनर्जी लेवल भी बढ़ाती है. शारीरिक व मानसिक ऊर्जा को बढ़ाकर डिप्रेशन के कारकों पर काउंटर करती हैं.

इसकी स्टडी वर्ष 2018 से 2019 तक चली. इसके बाद आईसीएमआर की इंडियन जर्नल ऑफ ट्रेडिशनल नॉलेज में प्रकाशन के लिए जुलाई 2021 में चुना गया. 9 अगस्त को ऑनलाइन प्रकाशित किया गया. अब तनाव मुक्त करने वाले इस घृत का फार्मूला आयुष मंत्रालय को भेजा जाएगा, ताकि सरकार इसका प्रोडक्शन कराने का फैसला ले सके. इसके लिए कॉलेज के प्रधानाचार्य को प्रस्ताव भेज दिया गया है. मनोरोग में मेंटल इनलेस, सीरियस इनलेस दो कैटेगरी होती है. इसमें डिप्रेशन, साइकोसिस, ओसीडी, एपिलिप्सी, मंदबुद्धि, स्ट्रेस डिसऑर्डर, एंजाइटी डिसऑर्डर हैं. वहीं बच्चों में एडीएचडी, ऑटिज्म, बिहेवियर प्रॉब्लम प्रमुख समस्या है.


इसे भी पढ़ें- 1 सितंबर से शुरू हो सकती है स्कूलों में पढ़ाई, साप्ताहिक लॉकडाउन पर सीएम ने किया विचार

लखनऊ: दवाओं के प्रभाव को लेकर आयुर्वेद-एलोपैथ एक्सपर्ट में आए दिन बहस होती रहती है. इसमें एक-दूसरे की पद्धति को कमतर बताने के तर्कों की झड़ी लग जाती हैं. वहीं मनोरोग के इलाज में पुरातन चिकित्सा, नई पद्धति के बराबर साबित हुई है. राजधानी लखनऊ के विशेषज्ञों के शोध पर मुहर लग गई है. यहां तैयार किया गया 'आयुर्वेदिक घृत' मरीजों को तनाव मुक्त करने में कारगर पाया गया है.

राजकीय आयुर्वेद कॉलेज और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के चिकित्सकों ने मिलकर मोनोरोग पर रिसर्च किया. आयुर्वेद कॉलेज के डॉ. संजीव रस्तोगी के मुताबिक स्टडी के लिए 'प्राइमरी डिप्रेशन' विषय को चुना गया. कारण, मनोरोग से जुड़ी यह बीमारी तेजी से आमजन पर हावी हो रही है. इसके लिए केजीएमयू के मनोरोग विभाग के डॉ. अनिल निश्छल को शामिल किया गया. दोनों जगह ओपीडी में आने वाले वाले प्री-डिप्रेशन के 52 मरीजों को रजिस्टर्ड किया गया. इन्हें 26-26 के दो ग्रुपों में बांटा गया. मरीजों के एक ग्रुप को आयुर्वेद, दूसरे ग्रुप को एलोपैथ की दवा दी गईं.

जानकारी देते राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के डॉक्टर.

डॉ. संजीव रस्तोगी के मुताबिक चरक संहिता के शास्त्रीय योग से जड़ी-बूटियों से घृत तैयार किया गया. इसमें गाय के घी में लहसुन, त्रिफला, त्रिकुट चूर्ण आदि मिलाया गया. आयुर्वेद ग्रुप के रोगियों को सुबह-शाम एक-एक चम्मच दूध या खाने के साथ डोज लेना अनिवार्य किया गया. वहीं गुनगुना कर एक-एक बूंद (नस्य क्रिया) नाक में डलवाया गया. यानी कि ओरल और नोजल दोनों तरह से डोज दी गईं. इसके बाद 4 और 6 हफ्तों पर परिणामों का आंकलन किया गया. वहीं केजीएमयू में पंजीकृत रोगियों को एलोपैथ की डोज दी गई. इसमें विशेषज्ञ द्वारा तैयार घृत-रोग पर एलोपैथ के बराबर असर हुआ.

डॉ. संजीव के मुताबिक प्री-डिप्रेशन में शामिल करीब 23 कारकों पर स्टडी हुई. इसमें तनाव के कारण व्यक्ति को भूख न लगना, चिड़चिड़ापन सुस्ती, काम में मन न लगना आदि पर आयुर्वेदिक घृत बेहद कारगर पाया गया. साथ ही मरीज दवाओं का आदी होने की भी दिक्कत नहीं मिली. घृत में तीक्ष्ण व ऊष्ण औषधियां हैं. यह शरीर में अग्नि के स्तर पर काम करती है. मेटाबॉलिज्म को एक्टिव करती हैं. एनर्जी लेवल भी बढ़ाती है. शारीरिक व मानसिक ऊर्जा को बढ़ाकर डिप्रेशन के कारकों पर काउंटर करती हैं.

इसकी स्टडी वर्ष 2018 से 2019 तक चली. इसके बाद आईसीएमआर की इंडियन जर्नल ऑफ ट्रेडिशनल नॉलेज में प्रकाशन के लिए जुलाई 2021 में चुना गया. 9 अगस्त को ऑनलाइन प्रकाशित किया गया. अब तनाव मुक्त करने वाले इस घृत का फार्मूला आयुष मंत्रालय को भेजा जाएगा, ताकि सरकार इसका प्रोडक्शन कराने का फैसला ले सके. इसके लिए कॉलेज के प्रधानाचार्य को प्रस्ताव भेज दिया गया है. मनोरोग में मेंटल इनलेस, सीरियस इनलेस दो कैटेगरी होती है. इसमें डिप्रेशन, साइकोसिस, ओसीडी, एपिलिप्सी, मंदबुद्धि, स्ट्रेस डिसऑर्डर, एंजाइटी डिसऑर्डर हैं. वहीं बच्चों में एडीएचडी, ऑटिज्म, बिहेवियर प्रॉब्लम प्रमुख समस्या है.


इसे भी पढ़ें- 1 सितंबर से शुरू हो सकती है स्कूलों में पढ़ाई, साप्ताहिक लॉकडाउन पर सीएम ने किया विचार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.