लखनऊ: सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल में तरह-तरह के रंग देखने को मिल रहे हैं. शनिवार को अवधी व्यंजनों के स्वाद की लोगों ने भरपूर तारीफ की. इससे पहले शुक्रवार को लखनऊ की प्राचीन कला बेंतबाजी यानी शायरी के मुकाबले का भी लोगों ने भरपूर आनंद लिया. शनिवार को अवधी फूड फेस्टिवल में लाल मिर्च का कीमा, पतीली कबाब, काकोरी कबाब, बिरयानी जैसे व्यंजनों को काफी पसंद किया गया.
कारीगरों व कलाप्रेमियों की सराहना
एक फरवरी से शुरू हुए इस फेस्टिवल में बड़ी संख्या में शिल्पकारों, कारीगरों, संस्कृतिकर्मियों तथा कला-साहित्य के जानकारों ने भाग लिया. कारीगरों को मिली सराहना और कलाप्रेमियों की मांग के कारण इस उत्सव को दो दिनों तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया था. अब रविवार को फेस्टिवल विदा हो जाएगा.
बेंतबाजी ने दिल जीता
शायरी पर आधारित अन्त्याक्षरी की लखनऊ की एक प्राचीन परंपरा है बेंतबाजी. महिन्द्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल में शुक्रवार को इसका नजारा देखने को मिला. दो दलों ने इसमें मुकाबला किया. उम्दा शायरी से सबका दिल जीत लिया. फेस्टिवल में इस कार्यक्रम को सैकड़ों लोगों ने आनलाइन भी देखा और शायरी पर वाह-वाह की.
महिला दलों में मुकाबला
शुक्रवार को बेंतबाजी में शायरी की गहरी समझ रखने वाली आएशा सिद्दिकी, मीना इरफान और रेहाना अली का मुकाबला साबिरा हबीब, परवीन सुजात और नुजहत समीउज्जमा से हुआ. कहने की जरूरत नहीं कि लखनऊ ने उर्दू शायरी को सींचा है. मीर तकी मीर जैसे विख्यात शायर यहां रहे हैं. इसके साथ इंशा, सौदा, हसरत मोहानी से लेकर मजाज तक कई विख्यात शायरों की लखनऊ जन्मभूमि या कर्मभूमि रही है.बेंतबाजी में शायरी के लुत्फ के साथ ही लखनऊ की परंपरा की झलक भी मिली. बेंतबाजी के इस मुकाबले में मोहम्मद अहसन और शारिब रुदौलवी जैसे उर्दू की विख्यात हस्तियों ने निर्णायक की भूमिका निभाई.
पहली बार आनलाइन हुआ फेस्टिवल
फेस्टिवल की संयोजिका माधवी कुकरेजा ने शनिवार को बताया कि इस वर्ष पहली बार आनलाइन शिल्प बाजार का आयोजन किया गया. इसमें कुल 112 कारीगरों एवं हस्तशिल्पियों ने अपनी कलाकृतियों और हस्तशिल्प का प्रदर्शन किया. जिसे कलाप्रेमियों ने काफी पसंद भी किया. कोरोना संकट के कारण आर्थिक संकट झेल रहे ऐसे कारीगरों को फेस्टिवल के इस मंच से काफी प्रोत्साहन मिला. फेस्टिवल का रविवार को समापन होगा.