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होलाष्टक: इन आठ दिनों में नहीं होंगे शुभ मांगलिक कार्य, जानिए क्यों

इस साल होली का पर्व 10 मार्च को मनाया जाएगा. होलाष्टक इस बार 2 मार्च को लग जाएगा. होलाष्टक लगने के बाद सभी शुभ कार्य करना शास्त्रों में वर्जित बताया गया है. होलाष्टक पर ज्यादा जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र से बातचीत की.

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होलाष्टक
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Published : Mar 1, 2020, 7:39 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 8:06 PM IST

लखनऊ: होली का नाम आते ही हर्ष और उल्लास का रंग जेहन में चढ़ने लगता है. इस बार पूरे देश में रंगों का त्योहार होली 10 मार्च को बनाया जाएगा. वहीं 9 मार्च को होलिका दहन होगा. त्योहार जैसे-जैसे करीब आता जा रहा है, बाजारों में होली का असर दिखने लगा है. बता दें, 2 मार्च से होलाष्टक लग रहे हैं, जिसमें शुभ काम करना शास्त्रों में वर्जित बताया गया है. ईटीवी भारत ने होलाष्टक को लेकर ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र से बातचीत कर इसका महत्व जाना.

होलाष्टक की जानकारी देते ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र.



बंद हो जाते हैं सभी शुभ कार्य
ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि होलाष्टक यानी होली से 8 दिन पूर्व शुरू होने वाला समय है, जिसे विशेषकर उत्तर भारत में अशुभ माना जाता है. इन 8 दिनों में सभी मंगल कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन वर्जित होते हैं.



फाल्गुन की अष्टमी से होता है शुरू
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर पूर्णिमा तक प्रभावी रहता है. साथ ही होलिका दहन के साथ ही यह होलाष्टक समाप्त हो जाता है. वहीं इस साल होलाष्टक 2 मार्च को प्रातः 7:54 बजे सोमवार से शुरू होगा, जो 9 मार्च सोमवार होलिका दहन तक रहेगा.



होलिकादहन की होती है शुरुआत
डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि इसी दिन होली उत्सव के साथ-साथ होलिका दहन की शुरुआत होती है. होलाष्टक के शुरुआती दिन में ही होलिका दहन के लिए दो कंडे स्थापित किए जाते हैं, जिसमें से एक कंडे को होलिका और दूसरे को प्रह्लाद माना जाता है.



जानिए क्यों वर्जित होते हैं शुभ कार्य
ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को राक्षस हिरण्यकश्यप ने होलिका दहन से पूर्व आठ दिनों तक अनेक प्रकार के कष्ट दिए थे. तभी से भगवान की भक्ति पर कष्टों के प्रहार के इन 8 दिनों को हिंदू धर्म में अशुभ माना गया है. इस अवधि में विशेष रूप से नए मकान का निर्माण, व्यवसाय की शुरुआत आदि मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए. साथ ही इन 8 दिनों में किए गए कार्य से कष्ट, विवाह में संबंध विच्छेद होने की संभावना बढ़ जाती है.


जानिए क्या कहता है वैदिक ज्योतिष
ज्योतिषाचार्य उमाशंकर मिश्र ने बताया कि वैदिक ज्योतिष में भी होलाष्टक को अशुभ बताया गया है. इस दौरान अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र स्वभाव में रहते हैं. इन अष्ट ग्रहों के कुप्रभाव का बुरा असर मानव जीवन पर पड़ता है. जिन लोगों की जन्म कुंडली में नीच राशि के चंद्र यानी वृश्चिक राशि के जातक या चंद्रमा जिनकी कुंडली में छठे या आठवें भाव में है, उन्हें इन दिनों अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है.

इसे भी पढ़ें: आज से बदल गए यह नियम, जो डालेंगे आपकी जेब पर सीधा असर

प्रदोष काल में होगा दहन
डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि इस बार होलिका दहन प्रदोष काल में होगा. यह समय शाम को 6 बजे से रात्रि 11 बजे से पहले-पहले है. इस समय होलिका दहन करना विशेष शुभ होगा. उन्होंने बताया कि होली की पूजा मुख्यतः भगवान विष्णु नरसिंह अवतार को ध्यान में रखकर की जाती है. साथ ही घर के प्रत्येक सदस्य को होली दहन में भाग लेना चाहिए और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करनी चाहिए.

लखनऊ: होली का नाम आते ही हर्ष और उल्लास का रंग जेहन में चढ़ने लगता है. इस बार पूरे देश में रंगों का त्योहार होली 10 मार्च को बनाया जाएगा. वहीं 9 मार्च को होलिका दहन होगा. त्योहार जैसे-जैसे करीब आता जा रहा है, बाजारों में होली का असर दिखने लगा है. बता दें, 2 मार्च से होलाष्टक लग रहे हैं, जिसमें शुभ काम करना शास्त्रों में वर्जित बताया गया है. ईटीवी भारत ने होलाष्टक को लेकर ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र से बातचीत कर इसका महत्व जाना.

होलाष्टक की जानकारी देते ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र.



बंद हो जाते हैं सभी शुभ कार्य
ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि होलाष्टक यानी होली से 8 दिन पूर्व शुरू होने वाला समय है, जिसे विशेषकर उत्तर भारत में अशुभ माना जाता है. इन 8 दिनों में सभी मंगल कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन वर्जित होते हैं.



फाल्गुन की अष्टमी से होता है शुरू
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर पूर्णिमा तक प्रभावी रहता है. साथ ही होलिका दहन के साथ ही यह होलाष्टक समाप्त हो जाता है. वहीं इस साल होलाष्टक 2 मार्च को प्रातः 7:54 बजे सोमवार से शुरू होगा, जो 9 मार्च सोमवार होलिका दहन तक रहेगा.



होलिकादहन की होती है शुरुआत
डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि इसी दिन होली उत्सव के साथ-साथ होलिका दहन की शुरुआत होती है. होलाष्टक के शुरुआती दिन में ही होलिका दहन के लिए दो कंडे स्थापित किए जाते हैं, जिसमें से एक कंडे को होलिका और दूसरे को प्रह्लाद माना जाता है.



जानिए क्यों वर्जित होते हैं शुभ कार्य
ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को राक्षस हिरण्यकश्यप ने होलिका दहन से पूर्व आठ दिनों तक अनेक प्रकार के कष्ट दिए थे. तभी से भगवान की भक्ति पर कष्टों के प्रहार के इन 8 दिनों को हिंदू धर्म में अशुभ माना गया है. इस अवधि में विशेष रूप से नए मकान का निर्माण, व्यवसाय की शुरुआत आदि मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए. साथ ही इन 8 दिनों में किए गए कार्य से कष्ट, विवाह में संबंध विच्छेद होने की संभावना बढ़ जाती है.


जानिए क्या कहता है वैदिक ज्योतिष
ज्योतिषाचार्य उमाशंकर मिश्र ने बताया कि वैदिक ज्योतिष में भी होलाष्टक को अशुभ बताया गया है. इस दौरान अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र स्वभाव में रहते हैं. इन अष्ट ग्रहों के कुप्रभाव का बुरा असर मानव जीवन पर पड़ता है. जिन लोगों की जन्म कुंडली में नीच राशि के चंद्र यानी वृश्चिक राशि के जातक या चंद्रमा जिनकी कुंडली में छठे या आठवें भाव में है, उन्हें इन दिनों अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है.

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प्रदोष काल में होगा दहन
डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि इस बार होलिका दहन प्रदोष काल में होगा. यह समय शाम को 6 बजे से रात्रि 11 बजे से पहले-पहले है. इस समय होलिका दहन करना विशेष शुभ होगा. उन्होंने बताया कि होली की पूजा मुख्यतः भगवान विष्णु नरसिंह अवतार को ध्यान में रखकर की जाती है. साथ ही घर के प्रत्येक सदस्य को होली दहन में भाग लेना चाहिए और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करनी चाहिए.

Last Updated : Mar 1, 2020, 8:06 PM IST
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