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गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए 'अतुल्य गंगा परिक्रमा' की पदयात्रा - विश्व की सबसे लंबी पदयात्रा

गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने का संकल्प लिए एक टीम लगातार पदयात्रा कर रही है. सोमवार को यह अतुल्य गंगा परिक्रमा मिर्जापुर पहुंची.

अतुल्य गंगा परिक्रमा
अतुल्य गंगा परिक्रमा
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Published : Mar 23, 2021, 7:35 AM IST

लखनऊ: गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए 97 दिन में 2800 किलोमीटर की लंबी यात्रा तय करके अतुल्य गंगा परिक्रमा सोमवार को मिर्जापुर पहुंची. मध्य कमान मुख्यालय की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी गई है कि मां गंगा की दुर्दशा से व्यथित सैनिकों ने अतुल्य गंगा के मुख्य उद्देश्य के रूप में मुंडमाल गंगा परिक्रमा की संकल्पना की. परिक्रमा टीम के लीडर गोपाल शर्मा ने बताया कि गंगा तट पर स्थित नागरिकों का प्यार अतुल्य गंगा टीम का मनोबल दोगुना कर रहा है.

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गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने का संकल्प लिए एक टीम लगातार पदयात्रा कर रही है. सोमवार को यह अतुल्य गंगा परिक्रमा मिर्जापुर पहुंची.
विश्व की सबसे लंबी पदयात्रा
टीम लीडर गोपाल सिंह बताते हैं कि 16 दिसंबर को प्रयागराज से प्रारम्भ हुई 6 हजार किमी. लम्बी और 8 महीने में पूरी होने वाली यह यात्रा विश्व की कठिनतम और सबसे लम्बी पदयात्रा है, जिसका उल्लेख शास्त्रों में मिलता ज़रूर है, लेकिन आज तक मां गंगा की ऐसी परिक्रमा कोई कर नहीं सका है. ये सैनिक और उनके अन्य साथी इस दुस्साहसिक यात्रा को पूरा करने की ठान चुके हैं. नगरों, गांवों, मैदानों से होते हुए, पर्वतों, जंगलों और ग्लेशियर को लांघते हुए पूरी करके रहेंगे. यह यात्रा सिर्फ़ एक यात्रा नहीं हैं, यह एक ऐसा प्रण है जो गंगा मैया को फिर से निर्मल और अविरल करके ही हमें सांस लेने देगा. इसलिए यात्रा के साथ- साथ कई ऐसे अभियान चला रहे हैं, जिनके परिणाम दूरगामी होंगे और मां गंगा को उनका वैभव वापस दिलाएंगे.
इस यात्रा में मुख्य अभियान

  • यात्रा के दौरान हर 10 किमी पर गंगाजल की गुणवत्ता की वैज्ञानिक तरीके से जांच कर रहे हैं, जिसका हर साल का विवरण वेबसाइट पर उपलब्ध होग
  • पूरे परिक्रमा पथ पर पर्यावरण को संरक्षित, संवर्धित करने के उद्देश्य से पौधरोपण कर रहे हैं. हम इस बात की चिंता कर रहे हैं कि हमारे लगाए हुए वृक्ष का एक स्थानीय अभिभावक नियुक्त हो जो बड़े होने तक देखभाल कर सके. 11 वर्षों तक चलने वाली इस तपस्या के अंत तक आते-आते हम मा गंगा को वृक्षों की एक माला वृक्षमाल पहना चुके होंगे. अब तक 2500 से ज्यादा पेड़ लगाए जा चुके हैं.
  • गंगा नदी में गिरने वाले हर नाले की पहचान की जा रही है और प्रदूषण के ऐसे हर स्रोत का उसके जियो-लोकेशन के साथ विस्तृत डेटा तैयार किया जा रहा है. अब तक 500 से ज्यादा पॉइंटस पर प्रदूषण और स्त्रोत का जायज़ा लिया जा चुका है.
  • गंगा की दशा तभी सुधरेगी जब समाज का हर व्यक्ति उनकी चिंता करेगा, इसलिए पूरे परिक्रमा पथ पर इसी उद्देश्य के लिए जन जागरण करते हुए जा रहे हैं.
  • कर्नल आरपी पांडेय(पुणे), हीरेनभाई पटेल (अहमदाबाद), रोहित उमराओ (बरेली), रोहित जाट (हापुड़) , शगुन त्यागी (हापुड़), कमांडर विश्वनाथन (केरल) इस यात्रा में शामिल हैं.

लखनऊ: गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए 97 दिन में 2800 किलोमीटर की लंबी यात्रा तय करके अतुल्य गंगा परिक्रमा सोमवार को मिर्जापुर पहुंची. मध्य कमान मुख्यालय की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी गई है कि मां गंगा की दुर्दशा से व्यथित सैनिकों ने अतुल्य गंगा के मुख्य उद्देश्य के रूप में मुंडमाल गंगा परिक्रमा की संकल्पना की. परिक्रमा टीम के लीडर गोपाल शर्मा ने बताया कि गंगा तट पर स्थित नागरिकों का प्यार अतुल्य गंगा टीम का मनोबल दोगुना कर रहा है.

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गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने का संकल्प लिए एक टीम लगातार पदयात्रा कर रही है. सोमवार को यह अतुल्य गंगा परिक्रमा मिर्जापुर पहुंची.
विश्व की सबसे लंबी पदयात्रा
टीम लीडर गोपाल सिंह बताते हैं कि 16 दिसंबर को प्रयागराज से प्रारम्भ हुई 6 हजार किमी. लम्बी और 8 महीने में पूरी होने वाली यह यात्रा विश्व की कठिनतम और सबसे लम्बी पदयात्रा है, जिसका उल्लेख शास्त्रों में मिलता ज़रूर है, लेकिन आज तक मां गंगा की ऐसी परिक्रमा कोई कर नहीं सका है. ये सैनिक और उनके अन्य साथी इस दुस्साहसिक यात्रा को पूरा करने की ठान चुके हैं. नगरों, गांवों, मैदानों से होते हुए, पर्वतों, जंगलों और ग्लेशियर को लांघते हुए पूरी करके रहेंगे. यह यात्रा सिर्फ़ एक यात्रा नहीं हैं, यह एक ऐसा प्रण है जो गंगा मैया को फिर से निर्मल और अविरल करके ही हमें सांस लेने देगा. इसलिए यात्रा के साथ- साथ कई ऐसे अभियान चला रहे हैं, जिनके परिणाम दूरगामी होंगे और मां गंगा को उनका वैभव वापस दिलाएंगे.
इस यात्रा में मुख्य अभियान

  • यात्रा के दौरान हर 10 किमी पर गंगाजल की गुणवत्ता की वैज्ञानिक तरीके से जांच कर रहे हैं, जिसका हर साल का विवरण वेबसाइट पर उपलब्ध होग
  • पूरे परिक्रमा पथ पर पर्यावरण को संरक्षित, संवर्धित करने के उद्देश्य से पौधरोपण कर रहे हैं. हम इस बात की चिंता कर रहे हैं कि हमारे लगाए हुए वृक्ष का एक स्थानीय अभिभावक नियुक्त हो जो बड़े होने तक देखभाल कर सके. 11 वर्षों तक चलने वाली इस तपस्या के अंत तक आते-आते हम मा गंगा को वृक्षों की एक माला वृक्षमाल पहना चुके होंगे. अब तक 2500 से ज्यादा पेड़ लगाए जा चुके हैं.
  • गंगा नदी में गिरने वाले हर नाले की पहचान की जा रही है और प्रदूषण के ऐसे हर स्रोत का उसके जियो-लोकेशन के साथ विस्तृत डेटा तैयार किया जा रहा है. अब तक 500 से ज्यादा पॉइंटस पर प्रदूषण और स्त्रोत का जायज़ा लिया जा चुका है.
  • गंगा की दशा तभी सुधरेगी जब समाज का हर व्यक्ति उनकी चिंता करेगा, इसलिए पूरे परिक्रमा पथ पर इसी उद्देश्य के लिए जन जागरण करते हुए जा रहे हैं.
  • कर्नल आरपी पांडेय(पुणे), हीरेनभाई पटेल (अहमदाबाद), रोहित उमराओ (बरेली), रोहित जाट (हापुड़) , शगुन त्यागी (हापुड़), कमांडर विश्वनाथन (केरल) इस यात्रा में शामिल हैं.
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