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कोर्ट ने 29 साल पुराने मामले में जारी किया आदेश, तीन के खिलाफ होगी कुर्की की कार्रवाई

एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने 29 साल पुराने मामले में आदेश जारी किया है. मामले में लविवि के छात्र नेता रहे तीन लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है.

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Published : Jan 22, 2020, 2:12 AM IST

लखनऊ: एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने एक 29 साल पुराने मामले में लविवि के छात्र नेता रहे अवधेश तिवारी, ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह और राकेश सिंह राना के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. मामला छात्र आंदोलन में दुकानों को बंद कराने के दौरान पुलिस पार्टी पर जानलेवा हमला करने का था. कोर्ट ने इनके विरुद्ध कुर्की की कार्रवाई के लिए भी नोटिस जारी करने का आदेश दिया है.

29 साल पुराने मामले में कोर्ट का आदेश
मंगलवार को इस मामले का एक अभियुक्त भाजपा विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह अपने वकील के साथ अदालत में हाजिर हुआ. धीरेंद्र बहादुर रायबरेली की सरेनी विधानसभा से भाजपा के विधायक हैं. मामले की अगली सुनवाई पांच फरवरी को होगी. थाना हसनगंज से संबधित यह मामला 29 साल पुराना है. 22 अगस्त 1991 को इस मामले की एफआईआर लविवि के चौकी इंचार्ज विजय प्रताप सिंह ने दर्ज कराई थी, जिसके मुताबिक उस दिन छा़त्रों द्वारा लखनऊ बंद का आह्वान किया गया था.

क्या है मामला

गोकरन नाथ तिकोनिया पार्क चौराहे पर ये अभियुक्त अन्य छात्रों के साथ अपने हाथों में तमंचा और लोहे की राड आदि लेकर दुकानदारों को गोली मारने की धमकी दे रहे थे. साथ ही दुकानें बंद भी करा रहे थे. इससे दुकानदारों और ग्राहकों में भय व्याप्त हो गया और भगदड़ मच गई. बच्चे और वृद्ध गिर गए. यातायात अवरुद्ध हो गया. पुलिस ने रोकने का प्रयास किया तो अभियुक्तों ने जान से मारने की नियत से फायर कर दिया, जबकि अन्य उपद्रवियों ने पत्थर से हमला कर दिया. इनका पीछा किया गया तो सभी छात्रावास की तरफ भाग गए.

विवेचना के बाद पुलिस ने अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 336, 147, 148, 149, 307 और 506 के साथ ही क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट की धारा 7 में आरोप पत्र दाखिल किया. 2 नवंबर. 1991 को अदालत ने आरोप पत्र पर संज्ञान लिया, लेकिन गैर हाजिर रहने के चलते आरोप तय नहीं हो सका.

लखनऊ: एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने एक 29 साल पुराने मामले में लविवि के छात्र नेता रहे अवधेश तिवारी, ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह और राकेश सिंह राना के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. मामला छात्र आंदोलन में दुकानों को बंद कराने के दौरान पुलिस पार्टी पर जानलेवा हमला करने का था. कोर्ट ने इनके विरुद्ध कुर्की की कार्रवाई के लिए भी नोटिस जारी करने का आदेश दिया है.

29 साल पुराने मामले में कोर्ट का आदेश
मंगलवार को इस मामले का एक अभियुक्त भाजपा विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह अपने वकील के साथ अदालत में हाजिर हुआ. धीरेंद्र बहादुर रायबरेली की सरेनी विधानसभा से भाजपा के विधायक हैं. मामले की अगली सुनवाई पांच फरवरी को होगी. थाना हसनगंज से संबधित यह मामला 29 साल पुराना है. 22 अगस्त 1991 को इस मामले की एफआईआर लविवि के चौकी इंचार्ज विजय प्रताप सिंह ने दर्ज कराई थी, जिसके मुताबिक उस दिन छा़त्रों द्वारा लखनऊ बंद का आह्वान किया गया था.

क्या है मामला

गोकरन नाथ तिकोनिया पार्क चौराहे पर ये अभियुक्त अन्य छात्रों के साथ अपने हाथों में तमंचा और लोहे की राड आदि लेकर दुकानदारों को गोली मारने की धमकी दे रहे थे. साथ ही दुकानें बंद भी करा रहे थे. इससे दुकानदारों और ग्राहकों में भय व्याप्त हो गया और भगदड़ मच गई. बच्चे और वृद्ध गिर गए. यातायात अवरुद्ध हो गया. पुलिस ने रोकने का प्रयास किया तो अभियुक्तों ने जान से मारने की नियत से फायर कर दिया, जबकि अन्य उपद्रवियों ने पत्थर से हमला कर दिया. इनका पीछा किया गया तो सभी छात्रावास की तरफ भाग गए.

विवेचना के बाद पुलिस ने अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 336, 147, 148, 149, 307 और 506 के साथ ही क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट की धारा 7 में आरोप पत्र दाखिल किया. 2 नवंबर. 1991 को अदालत ने आरोप पत्र पर संज्ञान लिया, लेकिन गैर हाजिर रहने के चलते आरोप तय नहीं हो सका.


29 साल पुराने मामले में लविवि के पूर्व छात्र नेताओं को कुर्की का नोटिस
पुलिस पर जानलेवा हमला करने का है आरोप
विधि संवाददाता
लखनऊ। एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने छात्र आंदोलन में दुकानों को बंद कराने के दौरान पुलिस पार्टी पर जानलेवा हमला करने के एक 29 साल पुराने मामले में लविवि के छात्र नेता रहे अवधेश तिवारी
, ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह व राकेश सिंह राना के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। कोर्ट ने इनके विरुद्ध कुर्की की कार्यवाही के लिए भी नोटिस जारी करने का आदेश दिया है।

    मंगलवार को इस मामले का एक अभियुक्त भाजपा विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह अपने वकील के साथ अदालत में हाजिर हुआ। धीरेंद्र बहादुर रायबरेली की सरेनी विधान सभा से भाजपा के विधायक हैं। मामले की अगली सुनवाई पांच फरवरी को होगी। थाना हसनगंज से संबधित यह मामला 29 साल पुराना है। 22 अगस्त, 1991 को इस मामले की एफआईआर लविवि के चौकी इंचार्ज विजय प्रताप सिंह ने दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक उस दिन छा़त्रों द्वारा लखनऊ बंद का आह्वान किया गया था। गोकरन नाथ तिकोनिया पार्क चैराहे पर ये अभियुक्त अन्य छात्रों के साथ अपने हाथों में तमंचा व लोहे की राड आदि लेकर दुकानदारों को गोली मारने की धमकी दे रहे थे। साथ ही दुकाने बंद भी करा रहे थे। इससे दुकानदारों व ग्राहकों में भय व्याप्त हो गया व भगदड़ मच गई। बच्चे व वृद्ध गिर गए। यातायात अवरुद्ध हो गया। जब पुलिस ने रोकने का प्रयास किया, तो अभियुक्तों ने जान से मारने की नियत से फायर कर दिया। जबकि अन्य उपद्रवियों ने पत्थर से हमला कर दिया। इनके हमले से बचते हुए जब इनका पीछा किया गया, तो सभी छात्रावास की तरफ भाग गए।
   विवेचना के बाद पुलिस ने अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 336
, 147, 148, 149, 307 व 506 के साथ ही क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट की धारा 7 में आरोप पत्र दाखिल किया। 2 नवंबर, 1991 को अदालत ने आरोप पत्र पर संज्ञान लिया। लेकिन गैरहाजिर रहने के चलते आरोप तय नहीं हो सका है।

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Chandan Srivastava
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