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विधानसभा चुनाव 2022 : सरकारी दावों के बीच आपराधिक घटनाएं करतीं रहीं सिस्टम में पोल की गवाही

पिछले कुछ सालों में जिस तरह प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी आपराधिक घटनाएं हुईं और जिस तरह उनमें प्रशासनिक और पुलिस की लापरवाही को उजागर किया, उसने सभी सरकारी दावों के साथ ही पूरी सरकारी मशीनरी की किरकिरी कर दी. विधानसभा चुनावों में भी इसका गाहे बगाहे असर देखने को मिला.

विधानसभा चुनाव 2022
विधानसभा चुनाव 2022 : सरकारी दावों के बीच आपराधिक घटनाएं करतीं रहीं सिस्टम में पोल की गवाही
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Published : Mar 9, 2022, 9:57 PM IST

लखनऊ. विधानसभा चुनाव 2022 में आम मुद्दों के अलावा कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सत्ताधारी दल ने वोट मांगा. वहीं, इस मुद्दे पर विपक्षी दल लगातार सरकार को घेरते नजर आए. हालांकि पिछले कुछ सालों में जिस तरह प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी आपराधिक घटनाएं हुईं और जिस तरह उनमें प्रशासनिक और पुलिस की लापरवाही को उजागर किया, उसने सभी सरकारी दावों के साथ ही पूरी सरकारी मशीनरी की किरकिरी कर दी. विधानसभा चुनावों में भी इसका गाहे बगाहे असर देखने को मिला.

बात चाहे लखीमपुर खीरी में किसानों और भाजपा नेता के बीच झड़प की हो (जिसमें कथित तौर पर किसानों को थार जीप से कुचल दिया गया और जिसके परिणामस्वरूप भाजपा के चार कार्यकर्ताओं की किसानों की भीड़ ने हत्या कर दी), उन्नाव रेप कांड, हाथरस बिटिया कांड, आगरा में पुलिस अभिरक्षा में युवक की मौत का मामला हो या बलरामपुर और कानपुर में व्यापारी की हत्या जैसी घटनाओं की बात हो, ये सभी घटनाएं कहीं न कहीं व्यवस्था की पोल खोलने के साथ ही चुनाव में वोटरों के मतों को प्रभावित करतीं नजर आईं.

इन घटनाओं की परछाईं विधानसभा चुनाव में देखने को मिली. विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान सात चरणों के चुनावों के दौरान इन मुद्दों पर सत्ताधारी दल बचाव की मुद्रा में दिखाई दिए. वहीं, विपक्षी दल लगातार आक्रामक रुख अख्तियार किए रहे.

विधानसभा चुनाव 2022
विधानसभा चुनाव 2022 : सरकारी दावों के बीच आपराधिक घटनाएं करतीं रहीं सिस्टम में पोल की गवाही

लखीमपुर खीरी : तिकोनिया कांड के बाद किसानों में दिखी नाराजगी

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव (Up Assembly Elections 2022) परिणामों पर लखीमपुर खीरी के निघासन विधानसभा क्षेत्र के तिकोनिया में तीन अक्टूबर को हुई घटना का असर पड़ा है. तिकोनिया निघासन विधानसभा क्षेत्र में स्थित वही जगह है जहां 3 अक्टूबर 2021 को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के एक तल्ख बयान और तीन नए कृषि कानूनों के किसानों के विरोध के बीच हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोग मारे गए थे. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष को मुख्य अभियुक्त के तौर पर गिरफ्तार किया गया. इस घटना के बाद जिले के सिख समुदाय में सत्ताधारी दल के प्रति नाराजगी देखने को मिली.

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विधानसभा चुनाव 2022 : सरकारी दावों के बीच आपराधिक घटनाएं करतीं रहीं सिस्टम में पोल की गवाही

उन्नाव : सपा नेता के बेटे पर लगा दुष्कर्म का आरोप

उत्तर प्रदेश के उन्नाव कानून व्यवस्था के सवाल पर काफी चर्चा में रहा. यहां पहले बहुचर्चित दुष्कर्म कांड में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बुरी तरह घिरी रही. पर यहीं अब समाजवादी पार्टी (सपा) के एक नेता और पूर्व मंत्री के बेटे की करतूत ने चुनाव के बीच अखिलेश की पार्टी को असहज कर दिया. आरोप लगा कि सपा सरकार में राज्यमंत्री रहे स्व. फतेहबहादुर सिंह के बेटे रजोल सिंह ने न सिर्फ एक दलित बेटी का अपहरण किया बल्कि हत्या कर लाश को शौचालय के टैंक में दफना दिया. दो महीने बाद लड़की की लाश मिलने पर सियासत तेज हो गई. इस मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर 24 जनवरी 2021 को लखनऊ में युवती की मां ने अखिलेश यादव के काफिले के आगे कूदकर जान देने की कोशशि की.

इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा तो पुलिस ने आनन-फानन रजोल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. 04 फरवरी को पुलिस ने रजोल को पीसीआर रिमांड पर लेकर आठ घंटे पूछताछ की तो उसके साथी हरदोई थाना मुबारकपुर के नवा गांव निवासी साथी सूरज के बारे में पता चला. इसके बाद पुलिस ने आरोपित के आश्रम के पीछे प्लॉट स्थित सेप्टिक टैंक के गड्ढे की खुदाई कराई जहां से शव को बरामद किया गया. घटनास्थल पहुंची पीड़ित मां ने सीओ व इंस्पेक्टर और दरोगा पर लापरवाही का आरोप लगाया. मामले को संज्ञान में लेते हुए एसपी दिनेश त्रिपाठी ने जांच के बाद सदर कोतवाली इंस्पेक्टर अखिलेश चंद्र पांडेय को निलंबित कर दिया. यह मुद्दा उन्नाव और आसपास के जिलों में काफी चर्चा का विषय बना रहा. चुनाव के दौरान भी वोटरों के जेहन में इस मुद्दे ने घर किए रखा जो वोटिंग के दौरान दिखाई भी दिया.

यह भी पढ़ें : UP Election 2022: इस बार सबसे अधिक 13 फीसदी महिलाओं ने ठोंकी ताल, जानिए अब तक हुए चुनावों में महिला उम्मीदवारों की स्थिति

हाथरस : इंसाफ को दर-दर भटकते रहे परिजन

साल 2020 में हाथरस कांड ने पूरे देश को दहला दिया था. उसके बाद सीबीआई जांच हुई और अभी फ़िलहाल जांच की चार्जशीट हो चुकी है. इस कांड का असर इस चुनाव में भी देखने को मिला. आज पीड़ित परिवार का कहना है कि इस घटना को पूरे एक डेढ़ साल हो गए हैं लेकिन वे लोग अभी तक इन्साफ के इंतज़ार में हैं. परिवार का आरोप है कि सरकार न्याय नहीं दे रही है. आज स्थिति यह है कि हाथरस में हींग से पहले इस कांड की बात होती है. निश्चित तौर पर चुनाव परिणाम आने के साथ ही हाथरस की तीन विधानसभा सीटों पर इस कांड का जो असर पड़ा है, अब वह स्पष्ट हो रहा है.

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आगरा कांड : पुलिस पर लगा हिरासत में हत्या का आरोप

आगरा पुलिस की हिरासत में सफाईकर्मी अरुण वाल्मीकि की मौत का मामला भी काफी चर्चा में रहा. इस मुद्दे ने भी प्रदेश के कानून व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी. पुलिस प्रशासन भी कटघरे में दिखाई दिया. अब इस मामले की विवेचना अलीगढ़ रेंज की कासगंज पुलिस कर रही है. इस मामले में मुकदमे की विवेचना एडीजी जोन राजीव कृष्ण ने अलीगढ़ रेंज के किसी जिले से कराने के आदेश दिए थे. अलीगढ़ रेंज में अलीगढ़, हाथरस, कासगंज एटा 4 जिलों की पुलिस आती है. अलीगढ़ रेंज डीआईजी दीपक कुमार ने इस मामले की विवेचना कासगंज स्थानांतरित कर दी है और इसके लिए आदेश भी जारी कर दिए गए हैं. अब इस मामले की विवेचना कासगंज पुलिस करेगी.

गौरतलब है कि आगरा के जगदीशपुर थाने के मालखाने से 16 अक्टूबर 2021 की रात 25 लाख की चोरी हुई थी. इसके आरोप में सफाईकर्मी अरुण वाल्मीकि को पुलिस ने हिरासत में लिया था. हिरासत में 19 अक्टूबर की रात अरुण की मौत हो गई थी. इधर, आगरा के इस बहुचर्चित मामले में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ खफा दिखे थे. इस बाबत उन्होंने एसएसपी मुनि राज का स्थानांतरण भी कर दिया था. मामले में थाने के एसएचओ सहित 6 पुलिसकर्मियों को भी सस्पेंड किया गया था. हालांकि इस मुद्दे को लेकर स्थानीय स्तर पर काफी आक्रोश देखने को मिला था. हालांकि जिस तरह मामले को कांग्रेस ने हाईजैक करने की कोशिश की, उसने इसे राजनीतिक बना दिया. इसके बावजूद वाल्मीकि समाज के वोटरों में पुलिस प्रशासन के प्रति आक्रोश बना रहा जिसका चुनाव में भी असर देखने को मिला.

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विधानसभा चुनाव 2022 : सरकारी दावों के बीच आपराधिक घटनाएं करतीं रहीं सिस्टम में पोल की गवाही

कानपुर के व्यापारी की हत्या

रामगढ़ताल थाना के कृष्णा पैलेस के होटल नंबर 512 में बीते 27 सितंबर को संदिग्ध परिस्थितियों में कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की मौत हो गई थी. मनीष की मौत को लेकर शुरूआत में एसएसपी गोरखपुर ने उसे हादसा बताया था. हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट एसएसपी के बयान से उलटा साबित होने पर मृतक की पत्नी मीनाषी गुप्ता ने योगी सरकार से मदद की गुहार लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी.

इस पर मुख्यमंत्री योगी ने सीबीआई जांच के संस्तुति करने के साथ ही केस ट्रांसफर किए जाने तक पूरे प्रकरण की जांच एसआईटी से कराने का निर्देश दिया था. हालांकि एसआईटी द्वारा अभी इस प्रकरण में कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. कयास लगाये जा रहे हैं कि सभी आरोपी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी के साथ ही अब एसआईटी पूरे प्रकरण की जांच रिपोर्ट सीबीआई को सौंप सकती है.

इस मुद्दे ने भी कानपुर समेत गोरखपुर तक सरकार और पुलिस प्रशासन की भद्द पिटवा दी थी. इस मामले के तुरंत बाद जिस तरह समाजवादी पार्टी के नेता पीड़ित के घर पहुंचे और लाखों की सहायता राशि दी उसने योगी सरकार को भी सकते में डाल दिया. हालांकि बाद में प्रशासनिक अधिकारियों ने किसी तरह लीपापोती कर मामले को संभाला था. कानपुर के वोटरों खासकर व्यापारियों में इसका खासा असर देखने को मिला. वोटिंग के दौरान भी व्यापारी वर्ग प्रदेश सरकार से नाराजगी व्यक्त करता दिखाई दिया.

लखनऊ. विधानसभा चुनाव 2022 में आम मुद्दों के अलावा कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सत्ताधारी दल ने वोट मांगा. वहीं, इस मुद्दे पर विपक्षी दल लगातार सरकार को घेरते नजर आए. हालांकि पिछले कुछ सालों में जिस तरह प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी आपराधिक घटनाएं हुईं और जिस तरह उनमें प्रशासनिक और पुलिस की लापरवाही को उजागर किया, उसने सभी सरकारी दावों के साथ ही पूरी सरकारी मशीनरी की किरकिरी कर दी. विधानसभा चुनावों में भी इसका गाहे बगाहे असर देखने को मिला.

बात चाहे लखीमपुर खीरी में किसानों और भाजपा नेता के बीच झड़प की हो (जिसमें कथित तौर पर किसानों को थार जीप से कुचल दिया गया और जिसके परिणामस्वरूप भाजपा के चार कार्यकर्ताओं की किसानों की भीड़ ने हत्या कर दी), उन्नाव रेप कांड, हाथरस बिटिया कांड, आगरा में पुलिस अभिरक्षा में युवक की मौत का मामला हो या बलरामपुर और कानपुर में व्यापारी की हत्या जैसी घटनाओं की बात हो, ये सभी घटनाएं कहीं न कहीं व्यवस्था की पोल खोलने के साथ ही चुनाव में वोटरों के मतों को प्रभावित करतीं नजर आईं.

इन घटनाओं की परछाईं विधानसभा चुनाव में देखने को मिली. विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान सात चरणों के चुनावों के दौरान इन मुद्दों पर सत्ताधारी दल बचाव की मुद्रा में दिखाई दिए. वहीं, विपक्षी दल लगातार आक्रामक रुख अख्तियार किए रहे.

विधानसभा चुनाव 2022
विधानसभा चुनाव 2022 : सरकारी दावों के बीच आपराधिक घटनाएं करतीं रहीं सिस्टम में पोल की गवाही

लखीमपुर खीरी : तिकोनिया कांड के बाद किसानों में दिखी नाराजगी

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव (Up Assembly Elections 2022) परिणामों पर लखीमपुर खीरी के निघासन विधानसभा क्षेत्र के तिकोनिया में तीन अक्टूबर को हुई घटना का असर पड़ा है. तिकोनिया निघासन विधानसभा क्षेत्र में स्थित वही जगह है जहां 3 अक्टूबर 2021 को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के एक तल्ख बयान और तीन नए कृषि कानूनों के किसानों के विरोध के बीच हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोग मारे गए थे. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष को मुख्य अभियुक्त के तौर पर गिरफ्तार किया गया. इस घटना के बाद जिले के सिख समुदाय में सत्ताधारी दल के प्रति नाराजगी देखने को मिली.

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विधानसभा चुनाव 2022 : सरकारी दावों के बीच आपराधिक घटनाएं करतीं रहीं सिस्टम में पोल की गवाही

उन्नाव : सपा नेता के बेटे पर लगा दुष्कर्म का आरोप

उत्तर प्रदेश के उन्नाव कानून व्यवस्था के सवाल पर काफी चर्चा में रहा. यहां पहले बहुचर्चित दुष्कर्म कांड में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बुरी तरह घिरी रही. पर यहीं अब समाजवादी पार्टी (सपा) के एक नेता और पूर्व मंत्री के बेटे की करतूत ने चुनाव के बीच अखिलेश की पार्टी को असहज कर दिया. आरोप लगा कि सपा सरकार में राज्यमंत्री रहे स्व. फतेहबहादुर सिंह के बेटे रजोल सिंह ने न सिर्फ एक दलित बेटी का अपहरण किया बल्कि हत्या कर लाश को शौचालय के टैंक में दफना दिया. दो महीने बाद लड़की की लाश मिलने पर सियासत तेज हो गई. इस मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर 24 जनवरी 2021 को लखनऊ में युवती की मां ने अखिलेश यादव के काफिले के आगे कूदकर जान देने की कोशशि की.

इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा तो पुलिस ने आनन-फानन रजोल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. 04 फरवरी को पुलिस ने रजोल को पीसीआर रिमांड पर लेकर आठ घंटे पूछताछ की तो उसके साथी हरदोई थाना मुबारकपुर के नवा गांव निवासी साथी सूरज के बारे में पता चला. इसके बाद पुलिस ने आरोपित के आश्रम के पीछे प्लॉट स्थित सेप्टिक टैंक के गड्ढे की खुदाई कराई जहां से शव को बरामद किया गया. घटनास्थल पहुंची पीड़ित मां ने सीओ व इंस्पेक्टर और दरोगा पर लापरवाही का आरोप लगाया. मामले को संज्ञान में लेते हुए एसपी दिनेश त्रिपाठी ने जांच के बाद सदर कोतवाली इंस्पेक्टर अखिलेश चंद्र पांडेय को निलंबित कर दिया. यह मुद्दा उन्नाव और आसपास के जिलों में काफी चर्चा का विषय बना रहा. चुनाव के दौरान भी वोटरों के जेहन में इस मुद्दे ने घर किए रखा जो वोटिंग के दौरान दिखाई भी दिया.

यह भी पढ़ें : UP Election 2022: इस बार सबसे अधिक 13 फीसदी महिलाओं ने ठोंकी ताल, जानिए अब तक हुए चुनावों में महिला उम्मीदवारों की स्थिति

हाथरस : इंसाफ को दर-दर भटकते रहे परिजन

साल 2020 में हाथरस कांड ने पूरे देश को दहला दिया था. उसके बाद सीबीआई जांच हुई और अभी फ़िलहाल जांच की चार्जशीट हो चुकी है. इस कांड का असर इस चुनाव में भी देखने को मिला. आज पीड़ित परिवार का कहना है कि इस घटना को पूरे एक डेढ़ साल हो गए हैं लेकिन वे लोग अभी तक इन्साफ के इंतज़ार में हैं. परिवार का आरोप है कि सरकार न्याय नहीं दे रही है. आज स्थिति यह है कि हाथरस में हींग से पहले इस कांड की बात होती है. निश्चित तौर पर चुनाव परिणाम आने के साथ ही हाथरस की तीन विधानसभा सीटों पर इस कांड का जो असर पड़ा है, अब वह स्पष्ट हो रहा है.

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विधानसभा चुनाव 2022 : सरकारी दावों के बीच आपराधिक घटनाएं करतीं रहीं सिस्टम में पोल की गवाही

आगरा कांड : पुलिस पर लगा हिरासत में हत्या का आरोप

आगरा पुलिस की हिरासत में सफाईकर्मी अरुण वाल्मीकि की मौत का मामला भी काफी चर्चा में रहा. इस मुद्दे ने भी प्रदेश के कानून व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी. पुलिस प्रशासन भी कटघरे में दिखाई दिया. अब इस मामले की विवेचना अलीगढ़ रेंज की कासगंज पुलिस कर रही है. इस मामले में मुकदमे की विवेचना एडीजी जोन राजीव कृष्ण ने अलीगढ़ रेंज के किसी जिले से कराने के आदेश दिए थे. अलीगढ़ रेंज में अलीगढ़, हाथरस, कासगंज एटा 4 जिलों की पुलिस आती है. अलीगढ़ रेंज डीआईजी दीपक कुमार ने इस मामले की विवेचना कासगंज स्थानांतरित कर दी है और इसके लिए आदेश भी जारी कर दिए गए हैं. अब इस मामले की विवेचना कासगंज पुलिस करेगी.

गौरतलब है कि आगरा के जगदीशपुर थाने के मालखाने से 16 अक्टूबर 2021 की रात 25 लाख की चोरी हुई थी. इसके आरोप में सफाईकर्मी अरुण वाल्मीकि को पुलिस ने हिरासत में लिया था. हिरासत में 19 अक्टूबर की रात अरुण की मौत हो गई थी. इधर, आगरा के इस बहुचर्चित मामले में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ खफा दिखे थे. इस बाबत उन्होंने एसएसपी मुनि राज का स्थानांतरण भी कर दिया था. मामले में थाने के एसएचओ सहित 6 पुलिसकर्मियों को भी सस्पेंड किया गया था. हालांकि इस मुद्दे को लेकर स्थानीय स्तर पर काफी आक्रोश देखने को मिला था. हालांकि जिस तरह मामले को कांग्रेस ने हाईजैक करने की कोशिश की, उसने इसे राजनीतिक बना दिया. इसके बावजूद वाल्मीकि समाज के वोटरों में पुलिस प्रशासन के प्रति आक्रोश बना रहा जिसका चुनाव में भी असर देखने को मिला.

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विधानसभा चुनाव 2022 : सरकारी दावों के बीच आपराधिक घटनाएं करतीं रहीं सिस्टम में पोल की गवाही

कानपुर के व्यापारी की हत्या

रामगढ़ताल थाना के कृष्णा पैलेस के होटल नंबर 512 में बीते 27 सितंबर को संदिग्ध परिस्थितियों में कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की मौत हो गई थी. मनीष की मौत को लेकर शुरूआत में एसएसपी गोरखपुर ने उसे हादसा बताया था. हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट एसएसपी के बयान से उलटा साबित होने पर मृतक की पत्नी मीनाषी गुप्ता ने योगी सरकार से मदद की गुहार लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी.

इस पर मुख्यमंत्री योगी ने सीबीआई जांच के संस्तुति करने के साथ ही केस ट्रांसफर किए जाने तक पूरे प्रकरण की जांच एसआईटी से कराने का निर्देश दिया था. हालांकि एसआईटी द्वारा अभी इस प्रकरण में कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. कयास लगाये जा रहे हैं कि सभी आरोपी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी के साथ ही अब एसआईटी पूरे प्रकरण की जांच रिपोर्ट सीबीआई को सौंप सकती है.

इस मुद्दे ने भी कानपुर समेत गोरखपुर तक सरकार और पुलिस प्रशासन की भद्द पिटवा दी थी. इस मामले के तुरंत बाद जिस तरह समाजवादी पार्टी के नेता पीड़ित के घर पहुंचे और लाखों की सहायता राशि दी उसने योगी सरकार को भी सकते में डाल दिया. हालांकि बाद में प्रशासनिक अधिकारियों ने किसी तरह लीपापोती कर मामले को संभाला था. कानपुर के वोटरों खासकर व्यापारियों में इसका खासा असर देखने को मिला. वोटिंग के दौरान भी व्यापारी वर्ग प्रदेश सरकार से नाराजगी व्यक्त करता दिखाई दिया.

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