नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के सनौली में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा की गई खुदाई से कई चौंकाने वाले प्रमाण सामने आए हैं. ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि 1800 से 2000 ईसा पूर्व भी भारत में लोग वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल करते थे और उनकी जीवनशैली आधुनिक थी. इतना ही नहीं एएसआई की खोज में जो रथ, हथियार और अन्य चीजें मिली हैं, उनके तार कहीं न कहीं महाभारत, रामायण और वेदों में मौजूद वर्णन से भी मेल खाते हैं.
हथियारों के अवशेष में तांबे के तीर, भाले और कई ऐसे अवशेष मिले हैं, जो उस काल की युद्ध विधि के बारे में प्रमाण देते हैं. साथ ही धनुष के आकार के भी अवशेष मिले हैं.
सनौली की खुदाई में ऐसे तीन ताबूत और कंकाल मिले हैं. जिन परिस्थितियों में ये अवशेष मिले हैं उससे ये अनुमान लगाया जा सकता है कि उस काल में योद्धा को उसके हथियार और युद्ध के अन्य उपकरणों के साथ मरणोपरांत दफनाया जाता था.
क्या है इनका महत्व
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संयुक्त महानिदेशक डॉ. संजय कुमार मंजुल ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने बताया कि लोगों के ये जरूर जानना चाहिए कि उस समय भी भारत में लोगों की जीवनशैली आधुनिक थी. साथ ही जिस तरह के युद्ध विधि का जिक्र वेद, महाभारत और रामायण में है, उनसे ये काफी मेल खाते खाते हैं. इस तरह से यह बेहद रोचक खोज है.