लखनऊ : लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम ने शातिर अपराधी आशीष श्रीवास्तव के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उसकी करोड़ों की संपत्ति कुर्क कर ली है. प्रशासन ने 1 करोड़ 24 लाख 83 हजार 200 रुपए की संपत्ति को कुर्क की है.
आप को बता दें कि कुख्यात अपराधी आशीष श्रीवास्तव कमरिया बाग सत्यप्रेम नगर जिला बाराबंकी का रहने वाला है. इसका एक गैंग है. उस गैंग का लीडर स्वयं आशीष श्रीवास्तव है. मिली जानकारी के अनुसार आशीष श्रीवास्तव अपने गैंग के सदस्यों के साथ उत्तर प्रदेश गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1986 के तहत अपराधों में लिप्त रहता है. कहा जाता है कि आशीष श्रीवास्तव का भय और आतंक इस कदर है कि इसके विरोध में कोई भी व्यक्ति इसकी सूचना थाने पर या उच्च अधिकारियों को देने का साहस नहीं करता है. इसके गैंग के सदस्य आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहते हैं. इन सबके खिलाफ थाना गोमती नगर कमिश्नरेट लखनऊ में गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1986 का अपराध पंजीकृत है.
भोले-भाले लोगों को दिखाता था लुभावना सपना
शातिर जालसाज आशीष श्रीवास्तव ने भोले-भाले लोगों को लुभावना सपना दिखाता था. उसने स्कीम के माध्यम से सैकड़ों लोगों को करोड़ों का चूना लगाया है. आरोपी आशीष श्रीवास्तव ने आर संस नामक कंपनी बनाकर लोगों से मोटी रकम ठगी हुई है. बताया गया है कि इस शातिर जालसाज के ऊपर गोमती नगर थाने में लगभग 80 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं. तो वहीं अन्य थानों में भी इस आरोपी के खिलाफ कई अपराधिक मुकदमे पंजीकृत हुए हैं.
लकी ड्रॉ के माध्यम से लोगों देता था फ्लैट का लालच
एसीपी गोमतीनगर स्वेता श्रीवास्तव की माने तो शातिर जालसाज आशीष श्रीवास्तव लकी ड्रा के माध्यम से 16 हजार रुपये में प्लाट दिलाने का लालच देकर धोखाधड़ी करने की शुरुआत की थी. लकी ड्रा अगर किसी का निकलता भी था तो आरोपी उन लोगों को प्लाट नहीं देता था. इस मामले में बाराबंकी पुलिस ने शातिर ठग को भू-माफिया घोषित करते हुए भू-माफिया की सूची में दाखिल कर दिया था. इस शातिर जालसाज के गिरोह में शामिल उसकी पत्नी सुषमा, साला सुशील और उसका ड्राइवर राम सेवक के साथ ही उसके रिश्तेदार शामिल थे.
एसीपी की मानें तो आरोपी के खिलाफ पहला मुकदमा साल 2019 के फरवरी माह में दर्ज हुआ था. जिसके बाद सैकड़ों की संख्या में इसके शिकार हुए लोग सामने आए और उन्होंने अपना मुकदमा दर्ज कराया था. जिसके बाद ही पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए जेल भेज दिया था.