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प्राइमरी हाइपर टेंशन बीमारी में सेना कोर्ट से एक्स-गनर को मिली विकलांगता पेंशन

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Published : Apr 9, 2021, 6:13 AM IST

सेना कोर्ट लखनऊ खण्ड-पीठ के न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव और वाइस एडमिरल अभय रघुनाथ कार्वे ने गोरखपुर निवासी एक्स गनर मनोज कुमार यादव को प्राइमरी हाइपर टेंशन बीमारी में 50 प्रतिशत विकलांगता पेंशन दिए जाने का निर्णय सुनाया. कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि भारत सरकार इस समय सीमा का उल्लंघन करती है तो याची आठ प्रतिशत ब्याज पाने का भी हकदार होगा.

Army court orders ex-gunner Manoj Kumar Yadav to be given 50 percent disability pension
सेना कोर्ट ने एक्स गनर को विकलांगता पेंशन दिए जाने का निर्णय सुनाया.

लखनऊ: सेना कोर्ट लखनऊ खण्ड-पीठ के न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव और वाइस एडमिरल अभय रघुनाथ कार्वे ने गोरखपुर निवासी एक्स गनर मनोज कुमार यादव को प्राइमरी हाइपर टेंशन बीमारी में 50 प्रतिशत विकलांगता पेंशन दिए जाने का निर्णय सुनाया. याची के अधिवक्ता सेना कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री विजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि याची फरवरी 2002 में आर्टिलरी में भर्ती हुआ और 17 वर्ष की सैन्य सेवा के पश्चात् आजीवन 30 प्रतिशत प्राइमरी हाइपर टेंशन की विकलांगता के साथ यह कहकर भारत सरकार द्वारा 2019 में डिस्चार्ज कर दिया गया कि इस बीमारी के लिए सेना जिम्मेदार नहीं है.

अदालत में दायर की गई याचिका

याची द्वारा की गई अपीलों को भी सरकार द्वारा खारिज कर दिया गया. तब पीड़ित ने भारत सरकार के खिलाफ अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय के माध्यम से संघर्ष करने का फैसला किया और अदालत में ओ.ए.नं. 564/2019 दायर किया. मामले की सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता द्वारा दलील दी गई कि जब भर्ती के समय मेरा मुवक्किल शारीरिक और मानसिक रूप से फिट था. उसको कोई बीमारी नहीं थी और सेना के मेडिकल बोर्ड द्वारा बीमारी के संदर्भ में किसी प्रकार की टिप्पणी भर्ती के समय नहीं की गई थी तो इससे साफ़ जाहिर होता है कि इस बीमारी का संबंध सेना से ही है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और सेना कोर्ट की विभिन्न बेंचों ने कई फैसले दिए हैं.

समय सीमा का उल्लंघन करने पर देना होगा 8% ब्याज

भारत सरकार के अधिवक्ता द्वारा भारत सरकार का बचाव करते हुए इसका जोरदार विरोध किया गया, लेकिन कोर्ट ने उसे स्वीकार नहीं किया और निर्णय सुनाया कि याची को तीस प्रतिशत की जगह पचास प्रतिशत विकलांगता पेंशन चार महीने के अंदर भारत सरकार प्रदान करे. यदि भारत सरकार इस समय सीमा का उल्लंघन करती है तो याची आठ प्रतिशत ब्याज पाने का भी हकदार होगा. विजय पाण्डेय ने कहा कि सेना कोर्ट लखनऊ कोरोना जैसी महामारी से बचाव करते हुए सैनिकों को न्याय प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है.

लखनऊ: सेना कोर्ट लखनऊ खण्ड-पीठ के न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव और वाइस एडमिरल अभय रघुनाथ कार्वे ने गोरखपुर निवासी एक्स गनर मनोज कुमार यादव को प्राइमरी हाइपर टेंशन बीमारी में 50 प्रतिशत विकलांगता पेंशन दिए जाने का निर्णय सुनाया. याची के अधिवक्ता सेना कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री विजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि याची फरवरी 2002 में आर्टिलरी में भर्ती हुआ और 17 वर्ष की सैन्य सेवा के पश्चात् आजीवन 30 प्रतिशत प्राइमरी हाइपर टेंशन की विकलांगता के साथ यह कहकर भारत सरकार द्वारा 2019 में डिस्चार्ज कर दिया गया कि इस बीमारी के लिए सेना जिम्मेदार नहीं है.

अदालत में दायर की गई याचिका

याची द्वारा की गई अपीलों को भी सरकार द्वारा खारिज कर दिया गया. तब पीड़ित ने भारत सरकार के खिलाफ अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय के माध्यम से संघर्ष करने का फैसला किया और अदालत में ओ.ए.नं. 564/2019 दायर किया. मामले की सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता द्वारा दलील दी गई कि जब भर्ती के समय मेरा मुवक्किल शारीरिक और मानसिक रूप से फिट था. उसको कोई बीमारी नहीं थी और सेना के मेडिकल बोर्ड द्वारा बीमारी के संदर्भ में किसी प्रकार की टिप्पणी भर्ती के समय नहीं की गई थी तो इससे साफ़ जाहिर होता है कि इस बीमारी का संबंध सेना से ही है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और सेना कोर्ट की विभिन्न बेंचों ने कई फैसले दिए हैं.

समय सीमा का उल्लंघन करने पर देना होगा 8% ब्याज

भारत सरकार के अधिवक्ता द्वारा भारत सरकार का बचाव करते हुए इसका जोरदार विरोध किया गया, लेकिन कोर्ट ने उसे स्वीकार नहीं किया और निर्णय सुनाया कि याची को तीस प्रतिशत की जगह पचास प्रतिशत विकलांगता पेंशन चार महीने के अंदर भारत सरकार प्रदान करे. यदि भारत सरकार इस समय सीमा का उल्लंघन करती है तो याची आठ प्रतिशत ब्याज पाने का भी हकदार होगा. विजय पाण्डेय ने कहा कि सेना कोर्ट लखनऊ कोरोना जैसी महामारी से बचाव करते हुए सैनिकों को न्याय प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है.

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