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सैनिक की तीसरी पत्नी बीरबाला ने जीती फेमिली पेंशन की जंग, सशस्त्र बल अधिकरण ने दिया यह आदेश

सशत्र बल अधिकरण न्यायमूर्ति अनिल कुमार और मेजर जनरल संजय सिंह (सेवानिवृत्त) की खण्डपीठ ने राजपूत रेजीमेंट के सैनिक की तीसरी पत्नी को फेमिली पेंशन के लिए पार्ट-दो आर्डर प्रकाशित करने का आदेश दिया है.

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Published : Apr 27, 2023, 7:23 PM IST

लखनऊ : सशत्र बल अधिकरण न्यायमूर्ति अनिल कुमार और मेजर जनरल संजय सिंह (सेवानिवृत्त) की खण्डपीठ ने रक्षा-मंत्रालय को शाहजहांपुर की निवासी दिवंगत पूर्व नायक साधू सिंह की पत्नी बीरबाला के पक्ष में फेमिली पेंशन के लिए पार्ट-दो आर्डर प्रकाशित करने का आदेश दिया है. मामला राजपूत रेजीमेंट से संबंधित था.




वादिनी के पति स्वर्गीय साधू सिंह वर्ष 1977 में सेना की राजपूत रेजीमेंट में सिपाही के पद पर भर्ती हुए और 15 साल की सर्विस के बाद वर्ष 1992 में सेवानिवृत्त होकर सेना से पेंशन पाने लगे. नौकरी में रहते हुए उन्होंने संतोष कुमारी उर्फ़ राज कुमारी से 25 जून 1978 में विवाह किया. जिनकी मृत्यु 10 अक्टूबर 1982 को हो गई. इसके बाद 14 जून 1983 को मंजू देवी से विवाह किया. जिनकी मृत्यु छह जून 1995 को हो गई. इसके बाद 16 मई 1996 में वादिनी से हिन्दू रीति रिवाज विवाह किया. इससे पहले कि उसके पति वादिनी का नाम सर्विस रिकार्ड में दर्ज करा पाते 17 अक्टूबर 2018 को उनकी मृत्यु हो गई. उसके बाद जब वादिनी ने पेंशन की मांग की तो सेना ने इंकार कर दिया.


वादिनी ने 19 जुलाई 2021 को सेना को विवाह, जन्म, मृत्यु, उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र, परिवार रजिस्टर,आधार कार्ड, खतौनी, शपथ-पत्र इत्यादि बतौर प्रमाण भेजा, लेकिन सेना ने यह कहते हुए पेंशन देने से इंकार कर दिया कि आपके पति ने अपने जीवनकाल में शादी का पार्ट-2 आर्डर नहीं कराया. इसलिए आपको फैमिली पेंशन नहीं दी जा सकती. उसके बाद वादिनी ने अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय के माध्यम से वाद दायर किया. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने दलील दी कि 15 अप्रैल 2008 को ही वादिनी के पति ने पार्ट-टू आर्डर प्रकाशित करने संबंधी प्रार्थना-पत्र भेजा था, लेकिन सेना ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की. इसलिए प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर उसका नाम दर्ज करके पेंशन दी जाए. दस्तावेजों के अवलोकन के बाद खण्ड-पीठ ने रक्षा-मंत्रालय को आदेशित किया कि उसका क्लेम सही है. इसलिए उसका पार्ट-2 आर्डर प्रकाशित किया जाए, जिससे उसे पेंशन मिल सके.


पार्ट-2 आर्डर

सेना में सैनिक के परिवार में होने वाली हर घटना को तिथि सहित रिकार्ड किया जाता है. जैसे शादी, जन्म, मृत्यु, पिता, माता, पत्नी और बच्चों का विवरण. उसी आधार पर भविष्य में परिवार के अधिकार निर्धारित किए जाते हैं. सैनिक इस कार्य को अपने जीवन काल में कराता है. जिसका नाम दर्ज नहीं होगा उसे परिवार का सदस्य नहीं माना जाएगा. इसके लिए उसे सबसे पहले अपना नाम जुड़वाना पड़ेगा. जिसके लिए उसके पक्ष में सेना की तरफ से पार्ट-2 आदेश जारी किया जाता है.

यह भी पढ़ें : यूपी में पुरानी पेंशन योजना पर भाजपा के पास जवाब नहीं, कर्मचारी संघ ने कहा-आंदोलन का रास्ता ही सही

लखनऊ : सशत्र बल अधिकरण न्यायमूर्ति अनिल कुमार और मेजर जनरल संजय सिंह (सेवानिवृत्त) की खण्डपीठ ने रक्षा-मंत्रालय को शाहजहांपुर की निवासी दिवंगत पूर्व नायक साधू सिंह की पत्नी बीरबाला के पक्ष में फेमिली पेंशन के लिए पार्ट-दो आर्डर प्रकाशित करने का आदेश दिया है. मामला राजपूत रेजीमेंट से संबंधित था.




वादिनी के पति स्वर्गीय साधू सिंह वर्ष 1977 में सेना की राजपूत रेजीमेंट में सिपाही के पद पर भर्ती हुए और 15 साल की सर्विस के बाद वर्ष 1992 में सेवानिवृत्त होकर सेना से पेंशन पाने लगे. नौकरी में रहते हुए उन्होंने संतोष कुमारी उर्फ़ राज कुमारी से 25 जून 1978 में विवाह किया. जिनकी मृत्यु 10 अक्टूबर 1982 को हो गई. इसके बाद 14 जून 1983 को मंजू देवी से विवाह किया. जिनकी मृत्यु छह जून 1995 को हो गई. इसके बाद 16 मई 1996 में वादिनी से हिन्दू रीति रिवाज विवाह किया. इससे पहले कि उसके पति वादिनी का नाम सर्विस रिकार्ड में दर्ज करा पाते 17 अक्टूबर 2018 को उनकी मृत्यु हो गई. उसके बाद जब वादिनी ने पेंशन की मांग की तो सेना ने इंकार कर दिया.


वादिनी ने 19 जुलाई 2021 को सेना को विवाह, जन्म, मृत्यु, उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र, परिवार रजिस्टर,आधार कार्ड, खतौनी, शपथ-पत्र इत्यादि बतौर प्रमाण भेजा, लेकिन सेना ने यह कहते हुए पेंशन देने से इंकार कर दिया कि आपके पति ने अपने जीवनकाल में शादी का पार्ट-2 आर्डर नहीं कराया. इसलिए आपको फैमिली पेंशन नहीं दी जा सकती. उसके बाद वादिनी ने अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय के माध्यम से वाद दायर किया. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने दलील दी कि 15 अप्रैल 2008 को ही वादिनी के पति ने पार्ट-टू आर्डर प्रकाशित करने संबंधी प्रार्थना-पत्र भेजा था, लेकिन सेना ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की. इसलिए प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर उसका नाम दर्ज करके पेंशन दी जाए. दस्तावेजों के अवलोकन के बाद खण्ड-पीठ ने रक्षा-मंत्रालय को आदेशित किया कि उसका क्लेम सही है. इसलिए उसका पार्ट-2 आर्डर प्रकाशित किया जाए, जिससे उसे पेंशन मिल सके.


पार्ट-2 आर्डर

सेना में सैनिक के परिवार में होने वाली हर घटना को तिथि सहित रिकार्ड किया जाता है. जैसे शादी, जन्म, मृत्यु, पिता, माता, पत्नी और बच्चों का विवरण. उसी आधार पर भविष्य में परिवार के अधिकार निर्धारित किए जाते हैं. सैनिक इस कार्य को अपने जीवन काल में कराता है. जिसका नाम दर्ज नहीं होगा उसे परिवार का सदस्य नहीं माना जाएगा. इसके लिए उसे सबसे पहले अपना नाम जुड़वाना पड़ेगा. जिसके लिए उसके पक्ष में सेना की तरफ से पार्ट-2 आदेश जारी किया जाता है.

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