लखनऊ: देशभर में करवाचौथ 4 नवंबर को मनाया जाएगा. इस पर्व को लेकर महिलाएं जोर-शोर से तैयारियों में जुटी हैं. कोरोना काल होने के बावजूद महिलाओं में व्रत को लेकर उत्साह कम नहीं हुआ है. मान्यता है कि यह व्रत पौराणिक काल से किया जा रहा है. महाभारत काल में द्रौपदी ने अर्जुन के लिए इस व्रत का अनुष्ठान किया था. भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को इस व्रत को रखने का परामर्श दिया था.
भगवान कृष्ण ने व्रत के बारे में दी थी जानकारी
करवाचौथ का व्रत महिलाएं पति की दीर्घआयु की कामना के लिए रखती हैं. इस व्रत में महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान कार्तिकेय की पूजा करती हैं. पूजा के बाद चंद्रदेव को अर्घ देकर व्रत पूरा किया जाता है. इस व्रत को करक चतुर्थी भी कहा जाता है. व्रत के संदर्भ में एक कथा प्रचलित है कि पांडव के वनवास काल में अर्जुन इंद्रनील पर्वत पर तप करने चले गए. उनके बहुत दिनों तक न लौटने पर द्रौपदी को बड़ी चिंता हुई. कृष्ण ने आकर द्रौपदी की चिंता दूर करते हुए उन्हें इस व्रत के बारे में बताया. तब द्रौपदी ने इस व्रत को किया. जो कथा भगवान शिव ने माता पार्वती देवी को सुनाई थी, द्रोपदी ने वह कथा भी सुनाई.
नवविवाहिताएं न रखें व्रत
अध्यात्म एवं ज्योतिष शोध संस्थान के अध्यक्ष पं. राधेश्याम शास्त्री ने जानकारी दी कि करवा चौथ के दिन शाम 7:55 मिनट पर चंद्रोदय होगा. शास्त्री जी ने बताया कि इस बार करवाचौथ पर सवार्थसिद्ध योग होगा, जो शुभ माना जाता है. पं. राधेश्याम शास्त्री ने बताया कि जिन महिलाओं की शादी बीते अधिमास से पहले हुई है. उन महिलाओं को अधिमास के कारण ही व्रत नहीं रहना चाहिए. अधिमास से एक वर्ष बढ़ गया है. अब उनको अगले साल 2021 में व्रत रखना चाहिए.