लखनऊ: आखिरकार पांच साल बाद 2016 में भर्ती हुए सब इंस्पेक्टरों को नियुक्ति पत्र मिलने का सिलसिला शुरू हो गया है. साल 2016 से लटकी यूपी दारोगा भर्ती का सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रास्ता साफ हो गया. सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के बाद पुलिस मुख्यालय ने भी अपनी तैयारियां तेज करते हुए यूपी पुलिस स्थापना बोर्ड ने सभी चयनित दारोगा को आज से नियुक्त पत्र देना शुरू कर दिया है. साथ ही एडीजी स्थापना ने इन्हें जिले भी आवंटित कर दिए हैं.
एडीजी स्थापना संजय सिंघल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा यूपी सरकार की याचिका मंजूर करने के बाद चयनित 2106 दरोगा को जिले आवंटित कर दिए गए है. इनमें 1833 पुरुष और 273 महिलाएं शामिल हैं. साथ ही आज से सभी को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए है हालांकि इनकी बची हुई ट्रेनिंग पूरी होने के बाद ही इन्हें तैनाती मिलेगी.
वहीं, एडीजी ट्रेनिंग संजय एम तराडे ने बताया कि वो सभी जिलों में रिक्त पदों की स्टडी कर रहे हैं. जहां-जहां जितने रिक्त पद होंगे उसके अनुसार जनवरी में ही ट्रेनिंग शुरू करवा दी जाएगी, जिसके बाद उनकी दीक्षांत परेड करा उन्हें पोस्टिंग दे दी जाएगी.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में पुलिस में सब इंस्पेक्टरों, प्लाटून कमांडेंट (पीएसी) और फायर ब्रिगेड अधिकारियों की करीब 2500 भर्ती का रास्ता सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था.
कोर्ट ने दिसंबर 2017 में आयोजित लिखित परीक्षा और उसके बाद आयोजित शारीरिक सहित अन्य परीक्षा के परिणाम को निरस्त करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया था.
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वर्ष 2016 में राज्य पुलिस में 2400 सब इंस्पेक्टर, 210 पलाटून कमांडेंट और 97 फायर अधिकारी की भर्ती के लिए आवेदन मंगाए गए थे. इन पदों के लिए 630926 लोगों ने आवेदन किए थे. इनमें से 11734 छात्रों को आगे की परीक्षाओं के लिए बुलाया गया था.
लिखित परीक्षा में 50 फीसदी अंक अनिवार्य थे. इनमें से 5461 ने 50 फीसदी से अधिक अंक हासिल किए थे जबकि 5713 ने 50 फीसदी अंक (नॉर्मर्लजाइशन को जोड़ कर) पाए थे. सभी 11734 छात्रों को आगे की परीक्षाओं के लिए बुलाया गया.
इसके बाद 50 फीसदी अंक हासिल करने वालों की अंतिम सूची तैयार की गई थी और चयनित 2,486 अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग के लिए बुलाया गया जिसमें 2106 अभ्यर्थियों ने ट्रेनिंग की. इसके बाद हाईकोर्ट में मुकदमेबाजी का दौर चला और हाईकोर्ट ने इस आयोजित परीक्षा में नियमों की अनदेखी किए जाने पर रिजल्ट को निरस्त कर दिया और फिर से मेरिट लिस्ट बनाने का निर्देश दिया था.
इस फैसले को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2021 में सुनवाई पूरी कर फैसला सुऱक्षित रखा था और कल सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए यूपी सरकार की याचिका स्वीकार कर ली थी.
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