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चित्रकूट जेलकांड: मुकीम काला के जेल पहुंचते ही अंशुल ने कर ली थी हत्या की तैयारी

चित्रकूट जिला जेल में पश्चिम उत्तर प्रदेश के माफिया मुकीम काला और अंसारी के खास मेराजुद्दीन अली की हत्या और पुलिस कार्रवाई में मारे गए अंशुल दीक्षित की घटना ने समूचे प्रदेश को हिला के रख दिया. जांच कमेटी रिपोर्ट के मुताबिक अंशुल दीक्षित ने काला की हत्या की पटकथा पहले ही लिख ली थी.

जिला कारागार, चित्रकूट
जिला कारागार, चित्रकूट
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Published : May 15, 2021, 12:08 PM IST

Updated : May 15, 2021, 12:46 PM IST

लखनऊः चित्रकूट जिला जेल में पश्चिम उत्तर प्रदेश के माफिया मुकीम काला और अंसारी के खास मेराजुद्दीन अली की हत्या की पटकथा अंशु दीक्षित ने पहले ही लिखी थी. वो इसके फिराक में लगा था. बीते 7 मई को जिला जेल सहारनपुर से ट्रांसफर होकर मुकीम काला चित्रकूट जेल पहुंचे थे. मुकीम काला के चित्रकूट जेल पहुंचते के करीब 6 घंटे बाद ही अंशुल ने हत्या की साजिश तैयार की. चित्रकूट जिला जेल में महीनों से बंद पड़े सीसीटीवी कैमरे अंशुल दीक्षित के हथियार बने.

बादशाहत कायम करना चाहता था अंशुल दीक्षित

कुख्यात अंशुल दीक्षित को अपराध की दुनिया में कदम रखने के बाद से ही यूपी में अपनी बादशाहत कायम करने की सनक थी. वह चर्चा में बने रहने के लिए अक्सर घटनाओं को क्रिएट करता था. जिन जेलों में अंशुल बन्द रहा, वहां तैनात कई जेल अधिकारी इस बात की पुष्टि करते हैं. जेलों में अंशुल की बादशाहत चलती थी. जेल में भी वो अपना सिक्का चलता था. लेकिन, पश्चिम उत्तर प्रदेश के शातिर माफिया मुकीम काला और मुख्तार अंसारी के खास मेराजउद्दीन के आने के बाद से अंशुल दीक्षित मानसिक रूप से परेशान हो गया. मुकीम काला के आने के 6 घंटे बाद ही अंशुल दीक्षित ने तय कर लिया कि वह काला को मार देगा. शासन को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार उसके साथ बैरक में बंद कैदियों ने यह बात कबूली है.

हमेशा रखता था 9MM की पिस्टल

जांच रिपोर्ट में ये भी बात सामने आई है कि अंशुल दीक्षित हमेशा अपने पास 9MM की पिस्टल रखता था. वो अपनी 10-12 दबंग कैदियों की टीम का खर्चा भी खुद उठाता था. उसके बैरक में रोज नए-नए पकवान बनाए जाते थे. अंशु दीक्षित को जिला जेल में मिली छूट पर चित्रकूट जिला जेल के अधिकारियों पर भी सवाल उठ रहे हैं. जांच रिपोर्ट के मुताबिक कई जेल अधिकारियों के अंशुल दीक्षित से संबंध होने की पुष्टि होती है. जेल में पिस्टल कैसे पहुंची ? इस बात की पड़ताल की जा रही है.

22 जेलकर्मी और प्रत्यक्षदर्शी बंदियों के हुए बयान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बनी जांच कमेटी के 3 अफसर वारदात के बाद से चित्रकूट में डेरा जमाए हुए हैं. सूत्रों की माने तो जांच कमेटी ने 22 जेलकर्मी और प्रत्यक्षदर्शी बंदियों के बयान लिए हैं. बयान में कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं.

जेलकर्मियों-अपराधियों के गठजोड़ का भी खुलासा

जांच में जेल कर्मियों और जेल में बंद अपराधियों के गठजोड़ का भी खुलासा हुआ है. जानकारी मिली है कि चित्रकूट जिला जेल में बंद अंशुल दीक्षित को जेलकर्मी सारी सुविधाएं उपलब्ध करा रहे थे. वह जेल में पूरी शान-ओ-शौकत से रहता था. सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि उसके पास मोबाइल फोन भी उपलब्ध था. यूपी एसटीएफ गुपचुप तरीके से सर्विलांस के जरिए अंशुल दीक्षित के द्वारा प्रयोग किए जा रहे मोबाइल फोन नम्बर पता कर रही है. कॉल डिटेल में यह भी महत्वपूर्ण है कि अंशुल दीक्षित से किन-किन लोगों से बातचीत होती थी और आखिरी दो दिनों में उसने किन-किन लोगों से बात की है.

ये है पूरा मामला

चित्रकूट जेल में बीते 14 मई को सीतापुर के शातिर बदमाश अंशुल दीक्षित ने बच्चा बैरक में बंद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के माफिया मुकीम काला और हाई सिक्योरिटी दो नंबर बैरक में बंद मेराजुद्दीन को भी मार दिया. मुकीम काला 7 मई 2021 को सहारनपुर से चित्रकूट जिला आया था. जबकि, मेराजुद्दीन 20 मार्च 2021 को वाराणसी से भेजा गया था. दावा है कि पुलिस टीम ने अंशुल दीक्षित को सरेंडर करने के लिए कहा, लेकिन वो फायरिंग करता रहा, जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में अंशु को भी मार गिराया.

इसे भी पढ़ें- यूपी में मिले कोरोना के 15,747 मरीज, 312 की मौत

बड़ी साजिश का अंदेशा, मास्टरमाइंड कौन?

चित्रकूट जिला जेल में दो बन्दियों की हत्या और एक एनकाउंटर में मारे जाने के दावे में जेल और पुलिस की थ्योरी गले नहीं उतर रही. कोई तो है जो इस पूरी घटना का मास्टरमाइंड है. पर्दे के पीछे उसने इतनी बड़ी साजिश रची. तीन माह के भीतर चित्रकूट जिला जेल में इसकी पटकथा तैयार की गई. फिर एक-एक कर मेराजुद्दीन और मुकीम को चित्रकूट जेल लाया गया. इसके बाद अचानक 14 मई को ये घटना हुई. इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में तमाम चर्चा की जा रही है. सरकार की कार्यशैली पर भी उंगलियां उठाई जा रही है.

लखनऊः चित्रकूट जिला जेल में पश्चिम उत्तर प्रदेश के माफिया मुकीम काला और अंसारी के खास मेराजुद्दीन अली की हत्या की पटकथा अंशु दीक्षित ने पहले ही लिखी थी. वो इसके फिराक में लगा था. बीते 7 मई को जिला जेल सहारनपुर से ट्रांसफर होकर मुकीम काला चित्रकूट जेल पहुंचे थे. मुकीम काला के चित्रकूट जेल पहुंचते के करीब 6 घंटे बाद ही अंशुल ने हत्या की साजिश तैयार की. चित्रकूट जिला जेल में महीनों से बंद पड़े सीसीटीवी कैमरे अंशुल दीक्षित के हथियार बने.

बादशाहत कायम करना चाहता था अंशुल दीक्षित

कुख्यात अंशुल दीक्षित को अपराध की दुनिया में कदम रखने के बाद से ही यूपी में अपनी बादशाहत कायम करने की सनक थी. वह चर्चा में बने रहने के लिए अक्सर घटनाओं को क्रिएट करता था. जिन जेलों में अंशुल बन्द रहा, वहां तैनात कई जेल अधिकारी इस बात की पुष्टि करते हैं. जेलों में अंशुल की बादशाहत चलती थी. जेल में भी वो अपना सिक्का चलता था. लेकिन, पश्चिम उत्तर प्रदेश के शातिर माफिया मुकीम काला और मुख्तार अंसारी के खास मेराजउद्दीन के आने के बाद से अंशुल दीक्षित मानसिक रूप से परेशान हो गया. मुकीम काला के आने के 6 घंटे बाद ही अंशुल दीक्षित ने तय कर लिया कि वह काला को मार देगा. शासन को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार उसके साथ बैरक में बंद कैदियों ने यह बात कबूली है.

हमेशा रखता था 9MM की पिस्टल

जांच रिपोर्ट में ये भी बात सामने आई है कि अंशुल दीक्षित हमेशा अपने पास 9MM की पिस्टल रखता था. वो अपनी 10-12 दबंग कैदियों की टीम का खर्चा भी खुद उठाता था. उसके बैरक में रोज नए-नए पकवान बनाए जाते थे. अंशु दीक्षित को जिला जेल में मिली छूट पर चित्रकूट जिला जेल के अधिकारियों पर भी सवाल उठ रहे हैं. जांच रिपोर्ट के मुताबिक कई जेल अधिकारियों के अंशुल दीक्षित से संबंध होने की पुष्टि होती है. जेल में पिस्टल कैसे पहुंची ? इस बात की पड़ताल की जा रही है.

22 जेलकर्मी और प्रत्यक्षदर्शी बंदियों के हुए बयान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बनी जांच कमेटी के 3 अफसर वारदात के बाद से चित्रकूट में डेरा जमाए हुए हैं. सूत्रों की माने तो जांच कमेटी ने 22 जेलकर्मी और प्रत्यक्षदर्शी बंदियों के बयान लिए हैं. बयान में कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं.

जेलकर्मियों-अपराधियों के गठजोड़ का भी खुलासा

जांच में जेल कर्मियों और जेल में बंद अपराधियों के गठजोड़ का भी खुलासा हुआ है. जानकारी मिली है कि चित्रकूट जिला जेल में बंद अंशुल दीक्षित को जेलकर्मी सारी सुविधाएं उपलब्ध करा रहे थे. वह जेल में पूरी शान-ओ-शौकत से रहता था. सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि उसके पास मोबाइल फोन भी उपलब्ध था. यूपी एसटीएफ गुपचुप तरीके से सर्विलांस के जरिए अंशुल दीक्षित के द्वारा प्रयोग किए जा रहे मोबाइल फोन नम्बर पता कर रही है. कॉल डिटेल में यह भी महत्वपूर्ण है कि अंशुल दीक्षित से किन-किन लोगों से बातचीत होती थी और आखिरी दो दिनों में उसने किन-किन लोगों से बात की है.

ये है पूरा मामला

चित्रकूट जेल में बीते 14 मई को सीतापुर के शातिर बदमाश अंशुल दीक्षित ने बच्चा बैरक में बंद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के माफिया मुकीम काला और हाई सिक्योरिटी दो नंबर बैरक में बंद मेराजुद्दीन को भी मार दिया. मुकीम काला 7 मई 2021 को सहारनपुर से चित्रकूट जिला आया था. जबकि, मेराजुद्दीन 20 मार्च 2021 को वाराणसी से भेजा गया था. दावा है कि पुलिस टीम ने अंशुल दीक्षित को सरेंडर करने के लिए कहा, लेकिन वो फायरिंग करता रहा, जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में अंशु को भी मार गिराया.

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बड़ी साजिश का अंदेशा, मास्टरमाइंड कौन?

चित्रकूट जिला जेल में दो बन्दियों की हत्या और एक एनकाउंटर में मारे जाने के दावे में जेल और पुलिस की थ्योरी गले नहीं उतर रही. कोई तो है जो इस पूरी घटना का मास्टरमाइंड है. पर्दे के पीछे उसने इतनी बड़ी साजिश रची. तीन माह के भीतर चित्रकूट जिला जेल में इसकी पटकथा तैयार की गई. फिर एक-एक कर मेराजुद्दीन और मुकीम को चित्रकूट जेल लाया गया. इसके बाद अचानक 14 मई को ये घटना हुई. इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में तमाम चर्चा की जा रही है. सरकार की कार्यशैली पर भी उंगलियां उठाई जा रही है.

Last Updated : May 15, 2021, 12:46 PM IST
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