ETV Bharat / state

प्रदेश सरकार की तमाम योजनाओं के बाद भी पशुपालन की ओर नहीं बढ़ रहा लोगों का रुझान - Analysis of UP Bureau Chief Alok Tripathi

उत्तर प्रदेश में पशुपालन के लिए केंद्र के साथ राज्य सरकारें भी कई योजनाएं चला रही हैं. इसके बावजूद पशुपालन के क्षेत्र में सरकार की अपेक्षा के अनुरूप किसान दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. कुछ एक उदाहरणों को छोड़ दिया जाए तो सरकारी योजनाओं के नतीजे काफी खराब हैं. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 15, 2023, 7:01 PM IST

लखनऊ : प्रदेश की भाजपा सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं लेकर आई है. बावजूद इसके पशुपालन की ओर लोगों का रुझान उस तरह से दिखाई नहीं दे रहा जैसी उम्मीद की जा रही थी. एक तो सरकारी योजनाओं का लाभ ले पाना उतना आसान नहीं होता, जितना बताया जाता है. दूसरी बात है पशुपालन में आने वाली समस्याएं. गांवों में चकबंदी के समय जमीनों के कई वर्गीकरण किए जाते थे. आबादी के अलावा, पशुपालन के लिए चारागाह के लिए भी अच्छी तादाद में भूमि छोड़ी जाती थी. इसके अतिरिक्त तालाब, ग्राम पंचायत, खलिहान और आबादी के विकास के लिए भी जमीन छोड़ी जाती थीं. अब अधिकांश स्थानों पर इन जमीनों पर कब्जे हो गए हैं. स्वाभाविक है कि पशुओं के लिए चारागाह के लिए पर्याप्त जगह नहीं बची हैं. पशुपालन से मोहभंग होने का यह भी एक बड़ा कारण है.

उत्तर प्रदेश में पशुपालन.
उत्तर प्रदेश में पशुपालन.
उत्तर प्रदेश में पशुपालन.
उत्तर प्रदेश में पशुपालन.


ऐसा नहीं है कि पशुपालन कोई घाटे का सौदा है. कृषि कार्य से जुड़े ग्रामीणों में लगभग 10 फीसद के लिए पशु पालन आजीविका का साधन बनता है. यह बात और है कि यह संख्या दिनोंदिन घटती जा रही है. खेती में जुटे किसानों के साथ महिलाएं भी कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं. ऐसे में महिलाओं के लिए पशुपालन अतिरिक्त आय का साधन भी बनता है. पशुपालन की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है, लगातार बढ़ रही चारे व पशुओं के लिए अन्य खाद्य सामग्री के बढ़ते दाम. दो-तीन दशक में पशुओं के चारे की कीमतें कई गुना बढ़ी हैं. लोगों का पशुपालन की ओर रुझान न बढ़ने के कारणों में यह भी प्रमुख है. पशु चिकित्सा व्यवस्था में भी काफी कमी भी देखने को मिल रही है. एक ओर दुधारू पशुओं के दाम बहुत ज्यादा होते हैं तो दूसरी ओर उचित चिकित्सा व्यवस्था न होने के कारण कई बार बीमारी से पशुओं की मौत हो जाती है. यह घाटा किसानों की कमर तोड़ देता है. सरकार को इस ओर भी विशेष प्रयास करने चाहिए.

उत्तर प्रदेश में पशुपालन.
उत्तर प्रदेश में पशुपालन.
उत्तर प्रदेश में पशुपालन.
उत्तर प्रदेश में पशुपालन.


विदेशी नस्लों के पशु जहां ज्यादा दूध देते हैं, वहीं देसी नस्ल के पशुओं की क्षमता काफी कम होती है. इस स्थिति के कारण भी किसान परेशान रहते हैं. बाहरी नस्लों के जानवर बहुत महंगे पड़ते हैं और उन्हें खरीद पाना सबके बस की बात नहीं होती. हालांकि योगी सरकार ने प्रदेश में गोवंशीय पशुओं की नस्ल सुधार व दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि के लिए नन्द बाबा मिशन के तहत नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना का शासनादेश जारी कर दिया है. इससे जहां प्रदेश में उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता के गौवंश में सुधार होगा, वहीं पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी भी होगी. योजना के पहले चरण में योगी सरकार लाभार्थी को 25 दुधारू गायों की 35 इकाइयां स्थापित करने के लिए गायों की खरीद से लेकर उनके संरक्षण एवं भरण पोषण जैसे मदों में सब्सिडी देगी. यह सब्सिडी तीन चरणों में दी जाएगी. शुरुआती चरण में यह योजना प्रदेश के दस मंडल मुख्यालयों के अयोध्या, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर, झांसी, मेरठ, आगरा और बरेली शहरों में संचालित की जाएगी.




यह भी पढ़ें

लखनऊ : प्रदेश की भाजपा सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं लेकर आई है. बावजूद इसके पशुपालन की ओर लोगों का रुझान उस तरह से दिखाई नहीं दे रहा जैसी उम्मीद की जा रही थी. एक तो सरकारी योजनाओं का लाभ ले पाना उतना आसान नहीं होता, जितना बताया जाता है. दूसरी बात है पशुपालन में आने वाली समस्याएं. गांवों में चकबंदी के समय जमीनों के कई वर्गीकरण किए जाते थे. आबादी के अलावा, पशुपालन के लिए चारागाह के लिए भी अच्छी तादाद में भूमि छोड़ी जाती थी. इसके अतिरिक्त तालाब, ग्राम पंचायत, खलिहान और आबादी के विकास के लिए भी जमीन छोड़ी जाती थीं. अब अधिकांश स्थानों पर इन जमीनों पर कब्जे हो गए हैं. स्वाभाविक है कि पशुओं के लिए चारागाह के लिए पर्याप्त जगह नहीं बची हैं. पशुपालन से मोहभंग होने का यह भी एक बड़ा कारण है.

उत्तर प्रदेश में पशुपालन.
उत्तर प्रदेश में पशुपालन.
उत्तर प्रदेश में पशुपालन.
उत्तर प्रदेश में पशुपालन.


ऐसा नहीं है कि पशुपालन कोई घाटे का सौदा है. कृषि कार्य से जुड़े ग्रामीणों में लगभग 10 फीसद के लिए पशु पालन आजीविका का साधन बनता है. यह बात और है कि यह संख्या दिनोंदिन घटती जा रही है. खेती में जुटे किसानों के साथ महिलाएं भी कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं. ऐसे में महिलाओं के लिए पशुपालन अतिरिक्त आय का साधन भी बनता है. पशुपालन की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है, लगातार बढ़ रही चारे व पशुओं के लिए अन्य खाद्य सामग्री के बढ़ते दाम. दो-तीन दशक में पशुओं के चारे की कीमतें कई गुना बढ़ी हैं. लोगों का पशुपालन की ओर रुझान न बढ़ने के कारणों में यह भी प्रमुख है. पशु चिकित्सा व्यवस्था में भी काफी कमी भी देखने को मिल रही है. एक ओर दुधारू पशुओं के दाम बहुत ज्यादा होते हैं तो दूसरी ओर उचित चिकित्सा व्यवस्था न होने के कारण कई बार बीमारी से पशुओं की मौत हो जाती है. यह घाटा किसानों की कमर तोड़ देता है. सरकार को इस ओर भी विशेष प्रयास करने चाहिए.

उत्तर प्रदेश में पशुपालन.
उत्तर प्रदेश में पशुपालन.
उत्तर प्रदेश में पशुपालन.
उत्तर प्रदेश में पशुपालन.


विदेशी नस्लों के पशु जहां ज्यादा दूध देते हैं, वहीं देसी नस्ल के पशुओं की क्षमता काफी कम होती है. इस स्थिति के कारण भी किसान परेशान रहते हैं. बाहरी नस्लों के जानवर बहुत महंगे पड़ते हैं और उन्हें खरीद पाना सबके बस की बात नहीं होती. हालांकि योगी सरकार ने प्रदेश में गोवंशीय पशुओं की नस्ल सुधार व दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि के लिए नन्द बाबा मिशन के तहत नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना का शासनादेश जारी कर दिया है. इससे जहां प्रदेश में उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता के गौवंश में सुधार होगा, वहीं पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी भी होगी. योजना के पहले चरण में योगी सरकार लाभार्थी को 25 दुधारू गायों की 35 इकाइयां स्थापित करने के लिए गायों की खरीद से लेकर उनके संरक्षण एवं भरण पोषण जैसे मदों में सब्सिडी देगी. यह सब्सिडी तीन चरणों में दी जाएगी. शुरुआती चरण में यह योजना प्रदेश के दस मंडल मुख्यालयों के अयोध्या, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर, झांसी, मेरठ, आगरा और बरेली शहरों में संचालित की जाएगी.




यह भी पढ़ें
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.