लखनऊ : फर्जी कागजात तैयार के सहारे, कूटरचना, धोखाधड़ी करके पशुपालन विभाग में आटा, दाल, गेहूं और शक्कर की सप्लाई देने के नाम पर व्यापारी से करोड़ों रुपये हड़पने और भ्रष्टाचार करने के आरोपी अमित मिश्र और रूपक राय की जमानत अर्जियों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश रमाकांत प्रसाद ने खारिज कर दिया है.
अदालत में सरकारी वकील प्रभा वैश्य ने दोनों आरोपियों की ओर से अलग-अलग दी गई अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि इंदौर के व्यापारी और मामले के वादी मंजीत सिंह भाटिया उर्फ रिंकू ने 13 जून को हज़रतगंज में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि अप्रैल 2018 में उनके छोटे भाई के दोस्त वैभव शुक्ला ने अपने साथी संतोष शर्मा के साथ उनके इंदौर स्थित आवास पर आए. बताया कि पशुपालन मंत्री के करीबी और उप निदेशक पशुपालन एसके मित्तल आपको पार्टी हित में गेहूं, शक्कर, आटा और दाल की सप्लाई देना चाहते हैं. जिस पर विश्वास करके वादी ने दोनों आरोपियों को अपनी कम्पनी का प्रोफाइल और टर्न ओवर के कागज दे दिए.
कुछ दिनों के बाद दोनों पशुपालन से जारी टेंडर फार्म लेकर आए और वादी और उसकी पत्नी के हस्ताक्षर कराए और रेट उप निदेशक के द्वारा भरने की बात कही. इस सप्लाई के कार्य के लिए आरोपियों ने वादी से कुल 9 करोड़ 72 लाख 12 हजार रुपये लिए और कथित मित्तल से मुलाकात कराई और टेंडर मिलने की सूचना दी. कहा गया कि जब वादी ने ऑनलाइन टेंडर की स्थिति देखी तो पता चला कि उसे टेंडर नहीं मिला है और पता चला कि जो व्यक्ति एसके मित्तल के नाम से मिलता था, वह आशीष राय नाम का जालसाज है. जिसने अपने साथी मोंटी गुर्जर, रूपक राय, संतोष मिश्रा, अमित मिश्रा, उमाशंकर तिवारी, रजनीश दीक्षित, डीवी सिंह, पशुपालन मंत्री के निजी सचिव धीरज कुमार, राज्यमंत्री पशुपालन के कार्यालय के उमेश मिश्र और अनिल राय समेत अन्य सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर कूटरचित, फर्जी दस्तावेज तैयार करके करोड़ों की धोखाधड़ी की है.