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लखनऊः लोहिया संस्थान में लिथोट्रिप्सी से होगी एंजियोप्लास्टी, ट्रायल शुरू - लखनऊ समाचार

राजधानी लखनऊ के राम मनोहर लोहिया संस्थान में स्टोन निकालने वाली लिथोट्रिप्सी तकनीक से एनजीओप्लास्टी शुरू की गई है. इसके तहत दिल के मरीजों के इलाज में रोड़ा बनने वाले स्टोन को खत्म करके इलाज देने की प्रक्रिया शुरू की गई है.

लिथोट्रिप्सी तकनीक से एनजीओप्लास्टी शुरू
लिथोट्रिप्सी तकनीक से एनजीओप्लास्टी शुरू
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Published : Feb 25, 2020, 9:17 PM IST

लखनऊः शहर के लोहिया संस्थान में दिल के मरीजों की दिक्कतों को खत्म करने के लिए एक नई तकनीक से इलाज शुरू किया गया है. इसके तहत मरीजों के इलाज में रोड़ा बनने वाले स्टोन को खत्म करके बेहतर तकनीक से इलाज देने की प्रक्रिया शुरू की गई है.

लिथोट्रिप्सी से होगी एंजियोप्लास्टी.

राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान में लोहिया अस्पताल के विलय हो जाने के बाद से ही तमाम तरह की व्यवस्थाओं में परिवर्तन किया गया है. नई तकनीकी शुरू करने पर संस्थान विशेष तौर से ध्यान दे रही है. इसी कड़ी में अब राम मनोहर लोहिया संस्थान में स्टोन निकालने वाली लिथोट्रिप्सी तकनीक से एनजीओप्लास्टी शुरू की गई है. इसमें जिस तरह किडनी में स्टोन को तोड़कर निकाला जाता है. ठीक उसी तरह दिल की धमनियों में जमे कैल्शियम को तोड़कर निकालने में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.

लोहिया संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. भुवन तिवारी ने बताया कि अभी तक इस तकनीक का इस्तेमाल किसी भी चिकित्सा संस्थान द्वारा प्रदेश में नहीं किया गया है. लोहिया संस्थान द्वारा बीते दिन इस तकनीकी के माध्यम से एनजीओप्लास्टी की गई. इसमें नस के माध्यम से वायर डाला गया और उसमें लिथोट्रिप्सी से बलून भी लगा दिया गया. इसके बाद ब्लॉकेज में इसके जरिए शॉक किए गए, जिससे कि ब्लॉकेज पाउडर बन गया और फिर उसमें स्टंट डाल दिया गया.

पढ़ें: परामर्श केन्द्र दे रहा बिखरते परिवारों को नई दिशा

पहले ऐसे केस में रोटा वेटर तकनीक का प्रयोग होता था. इसमें दीवारों में ड्रिल करने जैसा ब्लॉक किया जाता था. इससे ब्लॉक टूट जाता था, लेकिन नस में आगे जाकर जमने का खतरा होता था. तो वहीं इस तकनीक के माध्यम से पाउडर के रूप में बदल दिया जाएगा. जो कि बाद में शरीर से स्वतः बाहर हो जाएगा और एनजीओप्लास्टी को पूरी तरह से अंजाम तक आसानी से पहुंचा दिया जाता है.

लखनऊः शहर के लोहिया संस्थान में दिल के मरीजों की दिक्कतों को खत्म करने के लिए एक नई तकनीक से इलाज शुरू किया गया है. इसके तहत मरीजों के इलाज में रोड़ा बनने वाले स्टोन को खत्म करके बेहतर तकनीक से इलाज देने की प्रक्रिया शुरू की गई है.

लिथोट्रिप्सी से होगी एंजियोप्लास्टी.

राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान में लोहिया अस्पताल के विलय हो जाने के बाद से ही तमाम तरह की व्यवस्थाओं में परिवर्तन किया गया है. नई तकनीकी शुरू करने पर संस्थान विशेष तौर से ध्यान दे रही है. इसी कड़ी में अब राम मनोहर लोहिया संस्थान में स्टोन निकालने वाली लिथोट्रिप्सी तकनीक से एनजीओप्लास्टी शुरू की गई है. इसमें जिस तरह किडनी में स्टोन को तोड़कर निकाला जाता है. ठीक उसी तरह दिल की धमनियों में जमे कैल्शियम को तोड़कर निकालने में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.

लोहिया संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. भुवन तिवारी ने बताया कि अभी तक इस तकनीक का इस्तेमाल किसी भी चिकित्सा संस्थान द्वारा प्रदेश में नहीं किया गया है. लोहिया संस्थान द्वारा बीते दिन इस तकनीकी के माध्यम से एनजीओप्लास्टी की गई. इसमें नस के माध्यम से वायर डाला गया और उसमें लिथोट्रिप्सी से बलून भी लगा दिया गया. इसके बाद ब्लॉकेज में इसके जरिए शॉक किए गए, जिससे कि ब्लॉकेज पाउडर बन गया और फिर उसमें स्टंट डाल दिया गया.

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पहले ऐसे केस में रोटा वेटर तकनीक का प्रयोग होता था. इसमें दीवारों में ड्रिल करने जैसा ब्लॉक किया जाता था. इससे ब्लॉक टूट जाता था, लेकिन नस में आगे जाकर जमने का खतरा होता था. तो वहीं इस तकनीक के माध्यम से पाउडर के रूप में बदल दिया जाएगा. जो कि बाद में शरीर से स्वतः बाहर हो जाएगा और एनजीओप्लास्टी को पूरी तरह से अंजाम तक आसानी से पहुंचा दिया जाता है.

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