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यूपी के नौनिहालों को प्रारंभिक शिक्षा देगी आंगनबाड़ी कार्यकत्री

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Published : Aug 28, 2020, 6:37 PM IST

Updated : Aug 28, 2020, 9:32 PM IST

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री प्राइमरी स्कूल के रूप में संचालित करने का फैसला लिया है. बेसिक शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग ने इन स्कूलों के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने व संसाधन जुटाना शुरू कर दिया है.

सतीश द्विवेदी, बेसिक शिक्षा मंत्री
सतीश द्विवेदी, बेसिक शिक्षा मंत्री.

लखनऊ: नई शिक्षा नीति 2020 के तहत सभी राज्यों को प्री प्राइमरी शिक्षा व्यवस्था को स्थापित करना होगा. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री प्राइमरी स्कूल के रूप में संचालित करने का फैसला लिया है. बेसिक शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग ने इन स्कूलों के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने व संसाधन जुटाना शुरू कर दिया है. स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद की तरफ से इस संबंध में सभी जिलों को एक आदेश जारी किया गया है.

जानकारी देते बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी.

नई शिक्षा नीति के इस व्यवस्था को लागू करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य होगा. आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री प्राइमरी स्कूल के रूप में संचालित करने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जाएगा. बेसिक शिक्षा विभाग ने यूनिसेफ के साथ कार्यक्रम तैयार किया है.

स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद ने बताया कि इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है. राज्य शैक्षिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान और महिला एवं बाल विकास विभाग प्री प्राइमरी स्कूल के लिए पाठ्यक्रम और सिखाने के लिए मापदंड तैयार कर रहा है. एनसीईआरटी के अनुरूप पाठ्यक्रम बनाया जा रहा है, ताकि बच्चों को आगे पढ़ाई में परेशानी न हो और एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को आगे चलकर ठीक से पढ़ सकें.

इसके लिए राज्य में आंगनबाड़ी केंद्रों पर गुणवत्तापूर्ण प्री प्राइमरी स्कूल संचालन के लिए राज्य स्तर पर (एसआरजी), जिला स्तर पर (डीएलटी) और ब्लॉक स्तर पर (बीएलटी) रिसोर्स ग्रुप का गठन किया जाएगा. राज्य स्तर पर कुल 300 सदस्य रखे जाएंगे. प्रत्येक जिले में चार सदस्य होंगे. इसमें एक सीडीपीओ, दो मुख्य सेविका और बेसिक शिक्षा के एक एसआरजी सदस्य होंगे. वहीं डीएलटी (जिला स्तरीय) में 450 सदस्य होंगे. बीएलएलटी (ब्लॉक स्तर) में 3588 सदस्य होंगे.

ज्ञात हो कि नई शिक्षा नीति 2020 में तीन से छह वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के लिए भी प्री प्राइमरी स्कूल में शिक्षा देने की बात की गई है. साथ ही इसे निशुल्क व शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के दायरे में लाया गया. योगी सरकार के इसकी शुरुआत करने से गरीब बच्चों को पढ़ाई करने में मदद मिलेगी. आमतौर पर नन्हे बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था निजी क्षेत्र के विद्यालयों में ही थी.

बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ विशेषज्ञ गुणवत्ता आनंद पांडे ने बताया कि प्री प्राइमरी का कांसेप्ट लागू किया जा रहा है. इसके लिए यूनिसेफ के सहयोग से विभाग ने एक अच्छा मॉड्यूल तैयार किया है. वृहद माड्यूल बनाया गया है, जिससे जनपद स्तर पर, विकास खंड स्तर पर ट्रेनर तैयार करके शिक्षकों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि प्री प्राइमरी के लिए बेहतर शिक्षा की व्यवस्था की जा सके.

लखनऊ: नई शिक्षा नीति 2020 के तहत सभी राज्यों को प्री प्राइमरी शिक्षा व्यवस्था को स्थापित करना होगा. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री प्राइमरी स्कूल के रूप में संचालित करने का फैसला लिया है. बेसिक शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग ने इन स्कूलों के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने व संसाधन जुटाना शुरू कर दिया है. स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद की तरफ से इस संबंध में सभी जिलों को एक आदेश जारी किया गया है.

जानकारी देते बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी.

नई शिक्षा नीति के इस व्यवस्था को लागू करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य होगा. आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री प्राइमरी स्कूल के रूप में संचालित करने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जाएगा. बेसिक शिक्षा विभाग ने यूनिसेफ के साथ कार्यक्रम तैयार किया है.

स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद ने बताया कि इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है. राज्य शैक्षिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान और महिला एवं बाल विकास विभाग प्री प्राइमरी स्कूल के लिए पाठ्यक्रम और सिखाने के लिए मापदंड तैयार कर रहा है. एनसीईआरटी के अनुरूप पाठ्यक्रम बनाया जा रहा है, ताकि बच्चों को आगे पढ़ाई में परेशानी न हो और एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को आगे चलकर ठीक से पढ़ सकें.

इसके लिए राज्य में आंगनबाड़ी केंद्रों पर गुणवत्तापूर्ण प्री प्राइमरी स्कूल संचालन के लिए राज्य स्तर पर (एसआरजी), जिला स्तर पर (डीएलटी) और ब्लॉक स्तर पर (बीएलटी) रिसोर्स ग्रुप का गठन किया जाएगा. राज्य स्तर पर कुल 300 सदस्य रखे जाएंगे. प्रत्येक जिले में चार सदस्य होंगे. इसमें एक सीडीपीओ, दो मुख्य सेविका और बेसिक शिक्षा के एक एसआरजी सदस्य होंगे. वहीं डीएलटी (जिला स्तरीय) में 450 सदस्य होंगे. बीएलएलटी (ब्लॉक स्तर) में 3588 सदस्य होंगे.

ज्ञात हो कि नई शिक्षा नीति 2020 में तीन से छह वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के लिए भी प्री प्राइमरी स्कूल में शिक्षा देने की बात की गई है. साथ ही इसे निशुल्क व शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के दायरे में लाया गया. योगी सरकार के इसकी शुरुआत करने से गरीब बच्चों को पढ़ाई करने में मदद मिलेगी. आमतौर पर नन्हे बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था निजी क्षेत्र के विद्यालयों में ही थी.

बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ विशेषज्ञ गुणवत्ता आनंद पांडे ने बताया कि प्री प्राइमरी का कांसेप्ट लागू किया जा रहा है. इसके लिए यूनिसेफ के सहयोग से विभाग ने एक अच्छा मॉड्यूल तैयार किया है. वृहद माड्यूल बनाया गया है, जिससे जनपद स्तर पर, विकास खंड स्तर पर ट्रेनर तैयार करके शिक्षकों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि प्री प्राइमरी के लिए बेहतर शिक्षा की व्यवस्था की जा सके.

Last Updated : Aug 28, 2020, 9:32 PM IST
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