लखनऊ: राजधानी के कैसरबाग में आज बस स्टेशन पर दिव्यांगों को रोजगार देने के लिए पहला दिव्यांग स्टाल खोला गया है. इस स्टाल को खोलने का मक़सद है कि कैसे सरकारी योजनाओं का फायदा दिव्यांगों को मिले और वो भी समाज के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें. इसी के चलते बुधवार को प्रदेश का पहला दिव्यांग स्टाल धरातल पर उतरा गया है. 'दिव्यांग एक उम्मीद' संस्था के संस्थापक विकास गुप्ता ने 'ईटीवी भारत' से खास बातचीत की.
विकास गुप्ता ने बताया कि जब वो आईआईटी रुड़की कॉलेज में थे तब बस स्टेशन और रेलवे स्टेशन पर अक्सर देखते थे कि अमूल के स्टाल लगे हुए हैं और हल्दीराम के स्टाल लगे हुए हैं तो सभी लोग नाम से उन स्टालों पर जाया करते थे. इसे ही देखकर उनके मन में ये विचार आया क्यों न दिव्यांग स्टॉल शुरू किया जाए, जिससे दिव्यांगों को भी रोजगार मिले और उन्हें रेलवे स्टेशन और बस स्टेशनों पर गुटखा न बेचना पड़े. इसी के चलते आज कैसरबाग में प्रदेश का पहला दिव्यांग मॉडर्न स्टाल खोला गया है.
इस योजना का पूरी तरह सभी को लाभ मिले इसलिए 'दिव्यांग एक उम्मीद' नाम से पहले ही एक मोबाइल एप लांच किया गया था. इस एप पर जितनी भी सरकार की स्कीम है उनका एक प्लेटफार्म बना हुआ है, ताकि दिव्यांगों को सारी इंफॉर्मेशन मिले. सरकार की कई स्कीमें हैं जिनका दिव्यांगो को फायदा ही नहीं मिल रहा है.
संस्थापक विकास गुप्ता ने बताया कि मुझे भी बीटेक फर्स्ट ईयर में सरकार की तरफ से मिलने वाली 60000 रुपये की स्कॉलरशिप का फायदा नहीं मिला था, जिसकी वजह से मुझे नुकसान हुआ. उन्होंने बताया कि इरा सिंघल जो आईएएस टॉपर थीं, उन्होंने यह एप लांच किया था. करीब 10,000 दिव्यांगों को इसका फायदा हुआ. इस एप के कारण अब तक 100 से अधिक फर्जी दिव्यांग भी पकड़े गए.