लखनऊ : यूपी में एंबुलेंस सेवा छठें दिन भी लड़खड़ाई रही. हजारों कर्मियों को नौकरी से बर्खास्त करने के बाद हर ओर अव्यवस्था हावी दिखी. टैक्सी ड्राइवर, रोडवेज चालकों को आनन-फानन कई जिलों में एंबुलेंस थमा दी गईं.
यह कर्मी स्ट्रेचर खोलकर मरीज तक को शिफ्ट नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में चारपाई समेत मरीज को एंबुलेंस में लिटा रहे हैं. इस दौरान पेशेंट मैनेजमेंट सिस्टम फेल हो गया है. वहीं, अभी 1100 एम्बुलेंस खड़ीं हैं. वहीं, प्रशासन का कहना है कि स्टाफ की भर्ती शुरू कर दी गयी है.
राजधानी के वृंदावन योजना ट्रामा-टू के पास छठे दिन भी एंबुलेंस कर्मियों का प्रदर्शन जारी रहा. इस दौरान प्रदेश भर से हजारों कर्मी जुटे. सेवा प्रदाता कंपनी जीवीकेईएमआरआई स्टेट हेड टीवीएस रेड्डी के मुताबिक ड्यूटी ज्वॉइन न करने वाले लगभग 4200 के करीब कर्मियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया.
वहीं, शनिवार से प्रदेश के 18 स्थानों पर भर्ती शुरू हो गई ही. पहले दिन दो हजार के करीब लोगों का चयन हो गया है. उनकी ट्रेनिंग भी शुरू कर दी गई है. राज्य में 108, 102 व एलएलएस मिलाकर 4720 एम्बुलेंस हैं. इनमें 3600 एम्बुलेंस से सेवा शुरू कर दी गई है. शेष दो अगस्त तक चलने लग जाएंगी.
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कर्मियों में आक्रोश
जीवनदायिनी स्वास्थ्य विभाग 108 -102 एंबुलेंस संघ के पदाधिकारियों का धरना अभी जारी है. मीडिया प्रभारी शादाब के मुताबिक विभिन्न जनपदों से करीब नौ हजार कर्मी राजधानी में जुटे. उनमें आक्रोश है.
सभी ने मांगों को जल्द पूरा करने को लेकर आवाज उठाई. साथ ही एंबुलेंस में चारपाई पर लाए जा रहे मरीजों की फोटो जारी कर अव्यवस्था को उजागर किया.
मरीजों पर आफत बरकरार
राज्य में तीन तरह की एंबुलेंस सेवा संचालित हैं. इसमें 108 इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा के 2200 वाहन हैं. इससे रोज औसतन 9500 मरीज अस्पताल शिफ्ट किए जाते हैं.
वहीं, गर्भवती, प्रसूता ,नवजात को अस्पताल पहुंचाने के लिए 102 एंबुलेंस सेवा है. इसके राज्यभर में 2270 वाहन संचालित हैं. इस एंबुलेंस से रोज औसतन 9500 मरीज से जाए जाते हैं.
गंभीर मरीजों के लिए वेंटिलेटर युक्त एंबुलेंस 75 जनपदों में 250 तैनात की गई हैं. इससे 500 के करीब मरीजों की मदद की जाती रही. इन सभी एंबुलेंस के संचालन की बागडोर निजी कंपनी के पास है. अभी 1100 के करीब एम्बुलेंस खड़ी हैं. ऐसे में हजारों मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा.