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हाईकोर्ट ने UP सरकार से मदरसों को फंड देने को लेकर मांगी जानकारी

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने यूपी सरकार से मदरसों को दिए जाने वाले फंड (Funding to madrasas) को लेकर कई सवाल पूछे हैं. कोर्ट ने कहा है कि क्या संविधान के अनुच्छेद 28 में मदरसे धार्मिक शिक्षा संदेश और पूजा पद्धति की शिक्षा दे सकते हैं.

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Published : Sep 2, 2021, 12:34 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने यूपी सरकार से मदरसों को दिए जाने वाले फंड (Funding in madrasas) को लेकर कई सवाल पूछे हैं. कोर्ट ने कहा है कि क्या पंथनिरपेक्ष राज्य धार्मिक शिक्षा देने वाले शिक्षण संस्थानों (मदरसों) (Madrasas) को फंड दे सकता है. क्या धार्मिक शिक्षा देने वाले मदरसे अनुच्छेद 25 से 30 तक प्राप्त मौलिक अधिकारों के तहत सभी धर्मों के विश्वास को संरक्षण दे रहे हैं. क्या संविधान के अनुच्छेद 28 में मदरसे धार्मिक शिक्षा संदेश और पूजा पद्धति की शिक्षा दे सकते हैं.

यह सवाल हाईकोर्ट ने मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की तरफ से दाखिल याचिका पर पूछे. इतना ही नहीं, हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का वक्त दिया है. हाईकोर्ट ने पूछा कि स्कूलों में खेल मैदान रखने के अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के अनुच्छेद 21 और 21 ए की अनिवार्यता का पालन किया जा रहा है. कोर्ट ने जानना चाहा है कि क्या अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के धार्मिक शिक्षा संस्थानों को सरकार फंड दे रही है. क्या महिलाओं को मदरसों में प्रवेश पर रोक है. यदि ऐसा है तो क्या यह गलत और भेदभाव पूर्ण नहीं है.

इस मामले में अगली सुनवाई 6 अक्तूबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने प्रबंध समिति मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की याचिका पर दिया है. यह मदरसा, मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है और राजकीय सहायता प्राप्त है. कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि मदरसों के पाठ्यक्रम, शर्तें, मान्यता का मानक, खेल मैदान की अनिवार्यता का पालन किया जा रहा है या नहीं? क्या लड़कियों को प्रवेश दिया जाता है? इसका भी जवाब दिया जाए. कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या धार्मिक शिक्षा देने वाले अन्य धर्मों के लिए कोई शिक्षा बोर्ड है.

कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या धार्मिक शिक्षा देने वाले अन्य धर्मों के लिए कोई शिक्षा बोर्ड है. कोर्ट ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में पंथनिरपेक्ष राज्य की स्कीम है तो सवाल है कि क्या पंथनिरपेक्ष राज्य धार्मिक शिक्षा देने वाले स्कूलों को फंड दे सकते हैं. सरकार का जवाब आने पर सुनवाई होगी.

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने यूपी सरकार से मदरसों को दिए जाने वाले फंड (Funding in madrasas) को लेकर कई सवाल पूछे हैं. कोर्ट ने कहा है कि क्या पंथनिरपेक्ष राज्य धार्मिक शिक्षा देने वाले शिक्षण संस्थानों (मदरसों) (Madrasas) को फंड दे सकता है. क्या धार्मिक शिक्षा देने वाले मदरसे अनुच्छेद 25 से 30 तक प्राप्त मौलिक अधिकारों के तहत सभी धर्मों के विश्वास को संरक्षण दे रहे हैं. क्या संविधान के अनुच्छेद 28 में मदरसे धार्मिक शिक्षा संदेश और पूजा पद्धति की शिक्षा दे सकते हैं.

यह सवाल हाईकोर्ट ने मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की तरफ से दाखिल याचिका पर पूछे. इतना ही नहीं, हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का वक्त दिया है. हाईकोर्ट ने पूछा कि स्कूलों में खेल मैदान रखने के अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के अनुच्छेद 21 और 21 ए की अनिवार्यता का पालन किया जा रहा है. कोर्ट ने जानना चाहा है कि क्या अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के धार्मिक शिक्षा संस्थानों को सरकार फंड दे रही है. क्या महिलाओं को मदरसों में प्रवेश पर रोक है. यदि ऐसा है तो क्या यह गलत और भेदभाव पूर्ण नहीं है.

इस मामले में अगली सुनवाई 6 अक्तूबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने प्रबंध समिति मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की याचिका पर दिया है. यह मदरसा, मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है और राजकीय सहायता प्राप्त है. कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि मदरसों के पाठ्यक्रम, शर्तें, मान्यता का मानक, खेल मैदान की अनिवार्यता का पालन किया जा रहा है या नहीं? क्या लड़कियों को प्रवेश दिया जाता है? इसका भी जवाब दिया जाए. कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या धार्मिक शिक्षा देने वाले अन्य धर्मों के लिए कोई शिक्षा बोर्ड है.

कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या धार्मिक शिक्षा देने वाले अन्य धर्मों के लिए कोई शिक्षा बोर्ड है. कोर्ट ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में पंथनिरपेक्ष राज्य की स्कीम है तो सवाल है कि क्या पंथनिरपेक्ष राज्य धार्मिक शिक्षा देने वाले स्कूलों को फंड दे सकते हैं. सरकार का जवाब आने पर सुनवाई होगी.

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