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भू-माफिया तारा सिंह बिष्ट को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, जिला बदर के आदेश को दी थी चुनौती - तारा सिंह बिष्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने भू-माफिया के आरोपों में जिला बदर किए गए तारा सिंह बिष्ट को कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है. तारा सिंह बिष्ट के खिलाफ 24 आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं.

Allahabad High Court
इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Mar 22, 2021, 10:41 PM IST

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने भू-माफिया के आरोपों के चलते जिला बदर किए गए तारा सिंह बिष्ट को कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है. न्यायालय ने कहा है कि याची एक लैंड शॉर्क है और उसे जिला बदर किये जाने के पुलिस आयुक्त के आदेश में कुछ भी अविधिक नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने तारा सिंह बिष्ट की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया.

याची के खिलाफ पुलिस आयुक्त, लखनऊ ने 15 अक्टूबर 2020 को गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए छह माह के लिए लखनऊ की सीमा से जिला बदर कर दिया, जिसके खिलाफ याची ने डिविजनल कमिश्नर के समक्ष अपील दाखिल की. याची की अपील भी 21 अक्टूबर 2020 को खारिज हो गई, जिसके बाद याची ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए दलील दी कि वह भारतीय किसान यूनियन अवध (राजू गुट) का प्रवक्ता है. उसे राजनीतिक कारणों से फंसाया गया है.

याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार के अधिवक्ता राव नरेंद्र सिंह ने दलील दी कि याची के खिलाफ 24 आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं. वह गरीब और कमजोर तबके के लोगों की जमीनें धोखाधड़ी और बल पूर्वक हड़प लेता है. याची का समाज में इतना भय है कि उसके खिलाफ कोई गवाही नहीं देता. वहीं न्यायालय ने भी पाया कि याची 11 मुकदमों में बरी हुआ है, लेकिन उसके बरी होने का आधार गवाहों का होस्टाइल होते जाना है. न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दिए अपने आदेश में कहा कि याची एक लैंड शॉर्क है. याची के खिलाफ पर्याप्त सामग्री है, जिससे उसे गुंडा कहा जा सकता है. इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया.

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने भू-माफिया के आरोपों के चलते जिला बदर किए गए तारा सिंह बिष्ट को कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है. न्यायालय ने कहा है कि याची एक लैंड शॉर्क है और उसे जिला बदर किये जाने के पुलिस आयुक्त के आदेश में कुछ भी अविधिक नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने तारा सिंह बिष्ट की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया.

याची के खिलाफ पुलिस आयुक्त, लखनऊ ने 15 अक्टूबर 2020 को गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए छह माह के लिए लखनऊ की सीमा से जिला बदर कर दिया, जिसके खिलाफ याची ने डिविजनल कमिश्नर के समक्ष अपील दाखिल की. याची की अपील भी 21 अक्टूबर 2020 को खारिज हो गई, जिसके बाद याची ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए दलील दी कि वह भारतीय किसान यूनियन अवध (राजू गुट) का प्रवक्ता है. उसे राजनीतिक कारणों से फंसाया गया है.

याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार के अधिवक्ता राव नरेंद्र सिंह ने दलील दी कि याची के खिलाफ 24 आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं. वह गरीब और कमजोर तबके के लोगों की जमीनें धोखाधड़ी और बल पूर्वक हड़प लेता है. याची का समाज में इतना भय है कि उसके खिलाफ कोई गवाही नहीं देता. वहीं न्यायालय ने भी पाया कि याची 11 मुकदमों में बरी हुआ है, लेकिन उसके बरी होने का आधार गवाहों का होस्टाइल होते जाना है. न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दिए अपने आदेश में कहा कि याची एक लैंड शॉर्क है. याची के खिलाफ पर्याप्त सामग्री है, जिससे उसे गुंडा कहा जा सकता है. इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया.

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