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गंगा में प्रदूषण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त, कहा- सफाई कर नहीं पा रहे या करना ही नहीं चाहते अधिकारी

गंगा की सफाई पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court on pollution in Ganga) ने गुरुवार को गंभीर टिप्पणी की. गंगा में प्रदूषण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकारी सफाई कर नहीं पा रहे या करना ही नहीं चाहते हैं.

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Published : Jan 6, 2023, 7:11 AM IST

प्रयागराज: गंगा में प्रदूषण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को जिम्मेदार अफसरों पर नाराज़गी जाहिर की. अदालत ने कहा कि अधिकारी गंगा की सफाई नहीं कर पा रहे हैं या करना ही नहीं चाहते. कोर्ट ने मामले में सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रखने का निर्देश देते हुए सरकार का पक्ष रखने के लिए महाधिवक्ता बुलाया है. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पूर्णपीठ ने गंगा प्रदूषण (Allahabad High Court on pollution in Ganga ) मामले की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया.

कोर्ट ने गत एक नवंबर को विभिन्न विभागों के हलफनामों में विरोधाभास को देखते हुए महाधिवक्ता को सभी की ओर से एक हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट पक्ष रखने का आदेश दिया था. अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह सरकार का पक्ष रखने आए तो कोर्ट ने सुनवाई टालते हुए कहा कि महाधिवक्ता स्वयं आएं. याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव व शैलेश सिंह ने कहा कि कि छह जनवरी से माघ मेला शुरू हो रहा है लेकिन कोर्ट के आदेश के बावजूद गंगा में स्नान के लिए पर्याप्त जल नहीं है. श्रद्धालु मेला क्षेत्र में आ चुके हैं लेकिन अधिकारी कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं. गंगा का जल बहुत गंदा भी है क्योंकि नालों का गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है. उन्होंने यह भी बताया की पॉलीथिन पर पाबंदी की महज खानापूरी की गई है.

गंगा की सफाई पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अरुण कुमार गुप्ता ने कहा कि गंगा की स्वच्छता (allahabad high court on cleaning ganga) के नाम पर अधिकारी केवल धन खर्च कर रहे हैं और गंगा स्वच्छ नहीं हो रही है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में उनकी शोधन क्षमता से दूना पानी आ रहा है. 60 फीसदी सीवर एसटीपी से जोड़ा गया है. शेष 40 फीसदी सीवर सीधे गंगा में गिर रहा है. नालों के बायोरेमिडियल शोधन की अधूरी प्रणाली से खानापूरी ही की जा रही है. उन्होंने कहा कि केवल गंगा में पानी छोड़ने भर से गंगा स्वच्छ नहीं होगी. राजापुर एवं नैनी सहित कई एसटीपी से फ्लो 120 एमएलडी आ रहा है, जबकि क्षमता 60 एमएलडी की है.

उन्होंने बताया कि एसटीपी से भी पानी नहीं शोधित हो पा रहा है. नगर निगम कचरे के लिए केवल एक ड्रम रखकर खानापूरी कर रहा है . माघ मेला के दौरान केवल चार हजार क्यूसेक पानी छोड़ने से गंगा का जल शुद्ध नहीं हो पाएगा. इस पर कोर्ट ने सरकार की ओर से उपस्थित अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह ने स्थिति जाननी चाही. कोर्ट ने पूछा कि जल की शुद्धता के मामले में क्या किया गया. अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के आदेश के तहत उन्होंने गंगा में गिर रहे नाले बंद करा दिए हैं. इसके अलावा मेला क्षेत्र को पॉलीथिन मुक्त करने की कार्रवाई की जा रही है.

अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि दो दिन पहले ही मुख्य सचिव और डीजीपी मेले की तैयारियों की समीक्षा करने आए थे, लेकिन उन्होंने गंगाजल के शुद्धिकरण पर कोई कार्रवाई नहीं की. ऐसा लगता है शासन इस मामले में चिंतित नहीं है. कल्पवासी गंदे और काले पानी में स्नान करने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव से इस बारे में पूछा जाना चाहिए. अधिवक्ता शैलेश सिंह ने कहा कि 21 जनवरी 2021 के आदेश में गंगा जल की शुद्धता, एसटीपी और ड्रेनेज सिस्टम में सुधार के लिए कहा गया था.

इस पर अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट के पिछले आदेश की अनुपालन रिपोर्ट हलफनामे के माध्यम से प्रस्तुत की. कोर्ट ने उसे रिकॉर्ड कर लेते हुए पूछा कि गंगा जल शुद्धिकरण के मामले में क्या किया गया है. महाधिवक्ता को पक्ष रखने का आदेश दिया गया था और वह कहां है? बताया गया कि वह बाहर हैं. इस पर कोर्ट ने सुनवाई स्थगित करते हुए महाधिवक्ता से शुक्रवार को पक्ष रखने को कहा है.

ये भी पढ़ें- श्मशान ले जाते समय बोलने लगी लाश तो...

प्रयागराज: गंगा में प्रदूषण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को जिम्मेदार अफसरों पर नाराज़गी जाहिर की. अदालत ने कहा कि अधिकारी गंगा की सफाई नहीं कर पा रहे हैं या करना ही नहीं चाहते. कोर्ट ने मामले में सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रखने का निर्देश देते हुए सरकार का पक्ष रखने के लिए महाधिवक्ता बुलाया है. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पूर्णपीठ ने गंगा प्रदूषण (Allahabad High Court on pollution in Ganga ) मामले की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया.

कोर्ट ने गत एक नवंबर को विभिन्न विभागों के हलफनामों में विरोधाभास को देखते हुए महाधिवक्ता को सभी की ओर से एक हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट पक्ष रखने का आदेश दिया था. अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह सरकार का पक्ष रखने आए तो कोर्ट ने सुनवाई टालते हुए कहा कि महाधिवक्ता स्वयं आएं. याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव व शैलेश सिंह ने कहा कि कि छह जनवरी से माघ मेला शुरू हो रहा है लेकिन कोर्ट के आदेश के बावजूद गंगा में स्नान के लिए पर्याप्त जल नहीं है. श्रद्धालु मेला क्षेत्र में आ चुके हैं लेकिन अधिकारी कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं. गंगा का जल बहुत गंदा भी है क्योंकि नालों का गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है. उन्होंने यह भी बताया की पॉलीथिन पर पाबंदी की महज खानापूरी की गई है.

गंगा की सफाई पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अरुण कुमार गुप्ता ने कहा कि गंगा की स्वच्छता (allahabad high court on cleaning ganga) के नाम पर अधिकारी केवल धन खर्च कर रहे हैं और गंगा स्वच्छ नहीं हो रही है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में उनकी शोधन क्षमता से दूना पानी आ रहा है. 60 फीसदी सीवर एसटीपी से जोड़ा गया है. शेष 40 फीसदी सीवर सीधे गंगा में गिर रहा है. नालों के बायोरेमिडियल शोधन की अधूरी प्रणाली से खानापूरी ही की जा रही है. उन्होंने कहा कि केवल गंगा में पानी छोड़ने भर से गंगा स्वच्छ नहीं होगी. राजापुर एवं नैनी सहित कई एसटीपी से फ्लो 120 एमएलडी आ रहा है, जबकि क्षमता 60 एमएलडी की है.

उन्होंने बताया कि एसटीपी से भी पानी नहीं शोधित हो पा रहा है. नगर निगम कचरे के लिए केवल एक ड्रम रखकर खानापूरी कर रहा है . माघ मेला के दौरान केवल चार हजार क्यूसेक पानी छोड़ने से गंगा का जल शुद्ध नहीं हो पाएगा. इस पर कोर्ट ने सरकार की ओर से उपस्थित अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह ने स्थिति जाननी चाही. कोर्ट ने पूछा कि जल की शुद्धता के मामले में क्या किया गया. अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के आदेश के तहत उन्होंने गंगा में गिर रहे नाले बंद करा दिए हैं. इसके अलावा मेला क्षेत्र को पॉलीथिन मुक्त करने की कार्रवाई की जा रही है.

अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि दो दिन पहले ही मुख्य सचिव और डीजीपी मेले की तैयारियों की समीक्षा करने आए थे, लेकिन उन्होंने गंगाजल के शुद्धिकरण पर कोई कार्रवाई नहीं की. ऐसा लगता है शासन इस मामले में चिंतित नहीं है. कल्पवासी गंदे और काले पानी में स्नान करने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव से इस बारे में पूछा जाना चाहिए. अधिवक्ता शैलेश सिंह ने कहा कि 21 जनवरी 2021 के आदेश में गंगा जल की शुद्धता, एसटीपी और ड्रेनेज सिस्टम में सुधार के लिए कहा गया था.

इस पर अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट के पिछले आदेश की अनुपालन रिपोर्ट हलफनामे के माध्यम से प्रस्तुत की. कोर्ट ने उसे रिकॉर्ड कर लेते हुए पूछा कि गंगा जल शुद्धिकरण के मामले में क्या किया गया है. महाधिवक्ता को पक्ष रखने का आदेश दिया गया था और वह कहां है? बताया गया कि वह बाहर हैं. इस पर कोर्ट ने सुनवाई स्थगित करते हुए महाधिवक्ता से शुक्रवार को पक्ष रखने को कहा है.

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