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राज्य सरकार द्वारा गोंड जनजाति की उपजातियां घोषित करने का सरकारी आदेश हाईकोर्ट ने किया रद्द - इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी जाति प्रमाणपत्रों को रोकने के सरकारी आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया. राज्य सरकार द्वारा गोंड जनजाति की उपजातियों को घोषित करने का सरकारी आदेश रद्द कर करते हुए कहा कि राज्य सरकार को ऐसा करने का अधिकार नहीं है.

हाईकोर्ट ने किया रद्द
हाईकोर्ट ने किया रद्द
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Published : Aug 17, 2021, 10:50 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोंड जाति को अनुसूचित जनजाति घोषित करने की केन्द्र सरकार की अधिसूचना का राज्य सरकार को पालन करने का निर्देश दिया है. साथ ही जनजाति गोंड की उपजातियों की व्याख्या करने के राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र जारी करने पर रोक लगाने के सरकारी आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है और कहा है कि प्रदेश के 13 जिलों की केन्द्र द्वारा घोषित जनजाति गोंड जाति में दो उप-जातियों नायक और ओझा को शामिल करने का राज्य सरकार को अधिकार नहीं है. राज्य सरकार फर्जी जाति प्रमाणपत्र जारी करने से पहले कड़ाई से जांच कर सकती हैं.

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने नायक जन सेवा संस्थान की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याचिका में समाज कल्याण विभाग के 15 जुलाई 2020 को जारी शासनादेश की वैधता को चुनौती दी गई थी.

याची का कहना था कि केंद्र सरकार ने 8 जनवरी 2003 को अधिसूचना जारी की है. राज्य सरकार ने महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती, मिर्जापुर, गाजीपुर, वाराणसी, सोनभद्र में गोंड की उप जातियों नायक औक ओझा को स्पष्ट कर दिया. याची का कहना था कि राज्य सरकार को ऐसा करने का अधिकार नहीं है. वहीं सरकार का कहना था कि फर्जी प्रमाणपत्र जारी न हो, इसके लिए स्थिति साफ की गयी है. ऐसा कोर्ट के आदेश पर किया गया है.

सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इसे सही नहीं माना और कहा राज्य सरकार को इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती. अनुच्छेद 324 के अंतर्गत संसद को यह अधिकार है. केन्द्र सरकार की अधिसूचना की राज्य सरकार को व्याख्या करने का अधिकार नहीं है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोंड जाति को अनुसूचित जनजाति घोषित करने की केन्द्र सरकार की अधिसूचना का राज्य सरकार को पालन करने का निर्देश दिया है. साथ ही जनजाति गोंड की उपजातियों की व्याख्या करने के राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र जारी करने पर रोक लगाने के सरकारी आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है और कहा है कि प्रदेश के 13 जिलों की केन्द्र द्वारा घोषित जनजाति गोंड जाति में दो उप-जातियों नायक और ओझा को शामिल करने का राज्य सरकार को अधिकार नहीं है. राज्य सरकार फर्जी जाति प्रमाणपत्र जारी करने से पहले कड़ाई से जांच कर सकती हैं.

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने नायक जन सेवा संस्थान की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याचिका में समाज कल्याण विभाग के 15 जुलाई 2020 को जारी शासनादेश की वैधता को चुनौती दी गई थी.

याची का कहना था कि केंद्र सरकार ने 8 जनवरी 2003 को अधिसूचना जारी की है. राज्य सरकार ने महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती, मिर्जापुर, गाजीपुर, वाराणसी, सोनभद्र में गोंड की उप जातियों नायक औक ओझा को स्पष्ट कर दिया. याची का कहना था कि राज्य सरकार को ऐसा करने का अधिकार नहीं है. वहीं सरकार का कहना था कि फर्जी प्रमाणपत्र जारी न हो, इसके लिए स्थिति साफ की गयी है. ऐसा कोर्ट के आदेश पर किया गया है.

सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इसे सही नहीं माना और कहा राज्य सरकार को इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती. अनुच्छेद 324 के अंतर्गत संसद को यह अधिकार है. केन्द्र सरकार की अधिसूचना की राज्य सरकार को व्याख्या करने का अधिकार नहीं है.

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