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पंचायत चुनावः हाईकोर्ट ने आरक्षण प्रकिया पर लगाई रोक

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट बेंच ने शुक्रवार को अंतरिम रोक लगा दी है. इस संबंध में न्यायालय ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. वहीं मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी. वहीं हाईकोर्ट के फैसले के बाद पंचायत चुनाव आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है.

हाईकोर्ट
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Published : Mar 12, 2021, 8:39 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश में पंचायत चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था को अंतिम रूप देने पर शुक्रवार को अंतरिम रोक लगा दी है. न्यायालय ने मामले में राज्य सरकार व चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने अजय कुमार की पीआईएल पर पारित किया. वहीं हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार ने पंचायत चुनाव में आरक्षण की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.

11 फरवरी के आदेश को दी चुनौती
याचिका में 11 फरवरी के शासनादेश को चुनौती दी गई है. याची की ओर से कहा गया है कि पंचायत चुनावों में आरक्षण की रोटेशन व्यवस्था के लिए वर्ष 1995 को मूल वर्ष माना जा रहा है. उसी के आधार पर आरक्षण को रोटेट किया जा रहा है. जबकि राज्य सरकार ने 16 सितम्बर 2015 को शासनादेश जारी कर मूल वर्ष 2015 कर दिया था. उसी आधार पर पिछले चुनावों में आरक्षण भी लागू किया गया था.

1995 को मूल वर्ष मान रही सरकार
आदेश में कहा गया कि राज्य सरकार को इस वर्ष भी 2015 को ही मूल वर्ष मानकर आरक्षण को रोटेट करने की प्रकिया करना था लेकिन सरकार मनमाने तरीके से 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण प्रकिया पूरी कर रही है और 17 मार्च 2021 को आरक्षण सूची घोषित करने जा रही है.

'1995 को मूल वर्ष मानना उचित नहीं'
याचिका में आगे कहा गया है कि 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश में कहा गया था कि वर्ष 2001 व 2011 के जनगणना के अनुसार अब बड़ी मात्रा में डेमोग्राफिक बदलाव हो चुका है, लिहाजा वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण लागू किया जाना उचित नहीं होगा. न्यायमंडल ने कहा कि 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश को नजरंदाज करते हुए, 11 फरवरी 2021 का शासनादेश लागू कर दिया गया, जिसमें वर्ष 1995 को ही मूल वर्ष माना गया है. यह भी कहा गया कि वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव भी 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश के ही अनुसार सम्पन्न हुए थे.

हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने रोकी आरक्षण प्रक्रिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगाए जाने के आदेश के बाद पंचायती राज विभाग ने फिलहाल आरक्षण प्रक्रिया व आवंटन प्रक्रिया को पूरी तरह से रोकने के आदेश जारी कर दिया है. पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर हाईकोर्ट के फैसले के मद्देनजर पंचायत चुनाव से संबंधित आरक्षण का आवंटन प्रक्रिया को रोकने के साथ ही अंतिम रूप न दिए जाने के निर्देश जारी किए हैं. हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार 15 मार्च को कोर्ट में अपना जवाब भी दाखिल करेगी.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश में पंचायत चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था को अंतिम रूप देने पर शुक्रवार को अंतरिम रोक लगा दी है. न्यायालय ने मामले में राज्य सरकार व चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने अजय कुमार की पीआईएल पर पारित किया. वहीं हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार ने पंचायत चुनाव में आरक्षण की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.

11 फरवरी के आदेश को दी चुनौती
याचिका में 11 फरवरी के शासनादेश को चुनौती दी गई है. याची की ओर से कहा गया है कि पंचायत चुनावों में आरक्षण की रोटेशन व्यवस्था के लिए वर्ष 1995 को मूल वर्ष माना जा रहा है. उसी के आधार पर आरक्षण को रोटेट किया जा रहा है. जबकि राज्य सरकार ने 16 सितम्बर 2015 को शासनादेश जारी कर मूल वर्ष 2015 कर दिया था. उसी आधार पर पिछले चुनावों में आरक्षण भी लागू किया गया था.

1995 को मूल वर्ष मान रही सरकार
आदेश में कहा गया कि राज्य सरकार को इस वर्ष भी 2015 को ही मूल वर्ष मानकर आरक्षण को रोटेट करने की प्रकिया करना था लेकिन सरकार मनमाने तरीके से 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण प्रकिया पूरी कर रही है और 17 मार्च 2021 को आरक्षण सूची घोषित करने जा रही है.

'1995 को मूल वर्ष मानना उचित नहीं'
याचिका में आगे कहा गया है कि 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश में कहा गया था कि वर्ष 2001 व 2011 के जनगणना के अनुसार अब बड़ी मात्रा में डेमोग्राफिक बदलाव हो चुका है, लिहाजा वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण लागू किया जाना उचित नहीं होगा. न्यायमंडल ने कहा कि 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश को नजरंदाज करते हुए, 11 फरवरी 2021 का शासनादेश लागू कर दिया गया, जिसमें वर्ष 1995 को ही मूल वर्ष माना गया है. यह भी कहा गया कि वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव भी 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश के ही अनुसार सम्पन्न हुए थे.

हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने रोकी आरक्षण प्रक्रिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगाए जाने के आदेश के बाद पंचायती राज विभाग ने फिलहाल आरक्षण प्रक्रिया व आवंटन प्रक्रिया को पूरी तरह से रोकने के आदेश जारी कर दिया है. पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर हाईकोर्ट के फैसले के मद्देनजर पंचायत चुनाव से संबंधित आरक्षण का आवंटन प्रक्रिया को रोकने के साथ ही अंतिम रूप न दिए जाने के निर्देश जारी किए हैं. हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार 15 मार्च को कोर्ट में अपना जवाब भी दाखिल करेगी.

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