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संक्रमण का खतरा, मरीजों की दस दिन में मिल रही जीन सीक्वेंसिंग रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रोन को लेकर हाई अलर्ट जारी किया गया है. जबकि पॉजिटिव पाए जा रहे मरीजों में स्ट्रेन पता लगाने में स्वास्थ्य विभाग को दस दिन लग रहे हैं.

कोरोना अपडेट.
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Published : Dec 10, 2021, 3:47 PM IST

लखनऊः देश में कोरोना का नया वैरिएंट ओमीक्रोन दस्तक दे चुका है. यूपी में संक्रमण के खतरे को लेकर अलर्ट जारी किया गया है. खासकर, लखनऊ एयरपोर्ट पर आवागमन अधिक होने से वायरस के प्रसार की संभावना ज्यादा हैं. ऐसे में स्क्रीनिंग, टेस्टिंग पर जोर दिया जा रहा है. वहीं पॉजिटिव पाए जा रहे यात्रियों में कौन सा स्ट्रेन है, यह पता लगाने में स्वास्थ्य विभाग को दस दिन तक लग रहे हैं.

मरीज में कोरोना की पुष्टि के लिए एंटीजेन और आरटीपीसीआर टेस्ट किए जाते हैं. वहीं, व्यक्ति कोरोना वायरस के किस वैरिएंट से पीड़ित है, इसके लिए जीन सीक्वेसिंग की जाती है. पहले इस टेस्ट के लिए सैम्पल एनआईवी पुणे भेजे जाते थे. कोरोना की दूसरी लहर में सरकार ने जीन सीक्वेसिंग की भी जिम्मेदारी केजीएमयू को दे दी. लेकिन केजीएमयू ने खुद की लैब में व्यवस्था दुरुस्त करने के बजाए एक प्राईवेट लैब से करार कर लिया है. ऐसे में पहले हेल्थ टीम द्वारा सैम्पल केजीएमयू जांच के लिए भेजे जाते हैं. वहीं केजीएमयू उन सैम्पल को पुणे लैब भेज देता है. ऐसे में मरीज की रिपोर्ट आने में 10 दिन के करीब समय लग रहा है.

केजीएमयू में अब तक 500 से अधिक सैम्पल जीन सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए. इसमें दूसरी लहर में 90 फीसद में डेल्टा वैरिएंट ही पाया गया. कुछ में डेल्टा प्लस मिला. वहीं राज्य में ओमीक्रोन अभी किसी मरीज में नहीं पाया गया. 20 मरीजों की रिपोर्ट पेंडिंग में हैं.

इसे भी पढ़ें-UP Corona Update: मंगलवार सुबह मिले 4 मरीज, 'ओमीक्रोन' को लेकर प्रशासन अलर्ट

केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी के हेड डॉ. अमिता जैन ने बताया कि जीन सीक्वेंसिंग टेस्ट अभी केजीएमयू में नहीं हो रहा है. यहां से सैम्पल जांच के लिए बाहर भेजे जा रहे हैं. ऐसे में रिपोर्ट में 10 दिन तक लग रहे हैं. जल्द ही संस्थान में जांच की सुविधा शुरू होगी.

लखनऊः देश में कोरोना का नया वैरिएंट ओमीक्रोन दस्तक दे चुका है. यूपी में संक्रमण के खतरे को लेकर अलर्ट जारी किया गया है. खासकर, लखनऊ एयरपोर्ट पर आवागमन अधिक होने से वायरस के प्रसार की संभावना ज्यादा हैं. ऐसे में स्क्रीनिंग, टेस्टिंग पर जोर दिया जा रहा है. वहीं पॉजिटिव पाए जा रहे यात्रियों में कौन सा स्ट्रेन है, यह पता लगाने में स्वास्थ्य विभाग को दस दिन तक लग रहे हैं.

मरीज में कोरोना की पुष्टि के लिए एंटीजेन और आरटीपीसीआर टेस्ट किए जाते हैं. वहीं, व्यक्ति कोरोना वायरस के किस वैरिएंट से पीड़ित है, इसके लिए जीन सीक्वेसिंग की जाती है. पहले इस टेस्ट के लिए सैम्पल एनआईवी पुणे भेजे जाते थे. कोरोना की दूसरी लहर में सरकार ने जीन सीक्वेसिंग की भी जिम्मेदारी केजीएमयू को दे दी. लेकिन केजीएमयू ने खुद की लैब में व्यवस्था दुरुस्त करने के बजाए एक प्राईवेट लैब से करार कर लिया है. ऐसे में पहले हेल्थ टीम द्वारा सैम्पल केजीएमयू जांच के लिए भेजे जाते हैं. वहीं केजीएमयू उन सैम्पल को पुणे लैब भेज देता है. ऐसे में मरीज की रिपोर्ट आने में 10 दिन के करीब समय लग रहा है.

केजीएमयू में अब तक 500 से अधिक सैम्पल जीन सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए. इसमें दूसरी लहर में 90 फीसद में डेल्टा वैरिएंट ही पाया गया. कुछ में डेल्टा प्लस मिला. वहीं राज्य में ओमीक्रोन अभी किसी मरीज में नहीं पाया गया. 20 मरीजों की रिपोर्ट पेंडिंग में हैं.

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केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी के हेड डॉ. अमिता जैन ने बताया कि जीन सीक्वेंसिंग टेस्ट अभी केजीएमयू में नहीं हो रहा है. यहां से सैम्पल जांच के लिए बाहर भेजे जा रहे हैं. ऐसे में रिपोर्ट में 10 दिन तक लग रहे हैं. जल्द ही संस्थान में जांच की सुविधा शुरू होगी.

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