लखनऊ: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज टीम ने एक ऐसा रोबोट तैयार किया है, जो कोविड-19 अस्पतालों में चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए सहायक की भूमिका में रहेगा. इससे कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रसार रोकने में आसानी होगी.
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एकेटीयू) के प्रोफेसरों ने एक ऐसा रोबोट बनाने में सफलता हासिल की है, जो अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों की देखभाल कर रहे चिकित्साकर्मियों को जानलेवा खतरे से बचा सके.
एकेटीयू के सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज के असिस्टेंट प्रोफेसर अनुज कुमार शर्मा बताते हैं कि इस रोबोट को तैयार करने से पहले उन लोगों ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के चिकित्सकों से बातचीत कर उनकी आवश्यकता को समझने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि एकेटीयू ने इस रोबोट को 'कृष्णा' नाम दिया है. यह रोबोट किसी भी परिसर को सैनिटाइज करने के लिए जरूरी दवाओं का छिड़काव करने में सक्षम है.
सूक्ष्म तत्वों का सफाया करने में सक्षम रोबोट कृष्णा
प्रोफेसर अनुज ने बताया कि इसकी अल्ट्रावायलेट विसंक्रमण तकनीक कोरोना वायरस जैसे सूक्ष्म तत्वों का सफाया करने में सक्षम है. यह रोबोट केवल सैनिटाइजेशन में ही काम नहीं आएगा, बल्कि जरूरत के अनुसार इसे व्हील चेयर के विकल्प के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. रिमोट कंट्रोल और कैमरा लगे होने की वजह से 1 किलोमीटर की दूरी पर भी बैठकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है.
यह मरीजों के पास दवाओं को भी लेकर जा सकता है. इस तरह हॉस्पिटल में सहायक चिकित्सा कर्मी की आवश्यकता बेहद न्यून रह जाएगी. कोरोना संक्रमित मरीजों के वार्ड में स्वास्थ्य कर्मियों को बार-बार जाना जरूरी नहीं रहेगा.
कृष्णा के निर्माण को चिकित्सक एक बेहतर प्रयास मान रहे हैं. राजधानी लखनऊ के श्यामा प्रसाद मुखर्जी चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ आशुतोष कुमार दुबे कहते हैं कि इस तरह का प्रयोग सराहनीय है, क्योंकि यह कोरोना वायरस के प्रकोप का मरीज के साथ ही सीधा सामना कर रहे चिकित्सा कर्मियों को ध्यान में रखकर बनाया गया है.
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हॉस्पिटल में छोटे-मोटे कामों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन मरीज को चिकित्सक और चिकित्सा कर्मियों से जिस मानवीय संबंध के अपेक्षा है, वह मशीन कभी पूरा नहीं कर सकती. बेहद गंभीर रोगी को भी इस मशीन की मदद से वार्ड में शिफ्ट करना संभव नहीं होगा, क्योंकि इस रोबोट का इस्तेमाल वही मरीज कर सकता है जो खुद व्हील चेयर पर बैठने लायक हो.
-डॉ. आशुतोष दुबे, सीएमएस, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी संयुक्त चिकित्सालय