लखनऊः डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) के कॉलेज से बी. टेक, एमबीए जैसे तकनीकी पाठ्यक्रमों की डिग्री के लिए लाखों रुपये खर्च हो गए. छात्रों के पिता जी ने अपनी जीवन भर की कमाई फीस में दे दी. कुछ ने एजुकेशन लोन ले लिया. उम्मीद थी कि पढ़ाई पूरी होने पर नौकरी मिलेगी और अपने कमाई से लौटा देंगे, लेकिन हालत यह है कि अब छात्र नौकरियों के लिए भटक रहे हैं. यह हम नहीं कह रहे बल्कि एकेटीयू के आंकड़े खुद यह कहानी बयां कर रहे हैं.
यह है तस्वीर
एकेटीयू ने नवम्बर 2018 में यूनिवर्सिटी इंडस्ट्री इंटरफेस सेल की शुरुआत की. विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. विनीत कंसल खुद इसे देखते हैं. इस सेल के आंकड़ों पर नजर डालें तो दो साल में 158 से ज्यादा कम्पनियों ने कैम्पस प्लेसमेंट के नाम पर 25 हजार से ज्यादा अवसर दिए. विश्वविद्यालय के आंकड़ों पर भरोसा करें तो 5600 से ज्यादा को मौका मिला. वहीं, इस दो साल के अंदर विश्वविद्यालय में करीब 1.30 लाख छात्र-छात्राओं ने दाखिले लिए हैं और एक लाख से ज्यादा को डिग्री बांटी गई हैं. इस पूरे प्रकरण पर प्रतिकुलपति प्रो. विनीत कंसल का पक्ष जानने के लिए सम्पर्क किया गया. लेकिन, उनके तरफ से कोई जवाब नहीं मिल पाया.
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यह है सेल की दो साल की रिपोर्ट कार्ड
- बी.टेक के 5321 छात्र-छात्राओं को प्लेसमेंट दिलाने का दावा है.
- एमसीए में यह सिर्फ 124 है.
- एमबीए और एमटेक को मिलकर यह आंकड़ा करीब 136 है.
छात्रों का दर्द, पूछे सवाल
- राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज आजमगढ़ में 180 में से 4-5 स्टूडेंट्स को 2020 में प्लेसमेंट मिला है. ये भी आईटी शाखा के हैं. मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्रों को मौका ही नहीं पाया है.
- प्लेसमेंट सिर्फ कम्प्यूटर साइंस के स्टूडेंट्स का हो रहा है. केमिकल, मैकेनिकल वालों के लिए कोई मौका नहीं है क्या
- राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र-छात्राओं को प्लेसमेंट का अवसर कब मिलेगा.
यह है विश्वविद्यालय का पक्ष
सेंट्रलाइज्ड कैम्पस प्लेसमेंट की शुरुआत दो साल पहले की गई थी. यह विश्वविद्यालय के स्तर पर प्रयास है. इसके अलावा, कॉलेजों के स्तर पर अपने प्लेसमेंट कराए जा रहे हैं. उनके आंकड़े विश्वविद्यालय के पास उपलब्ध नहीं है.-आशीष मिश्र, प्रवक्ता, एकेटीयू