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बदले की भावना से काम कर रही है सरकार: अखिलेश यादव

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लगातार केंद्र व प्रदेश सरकार पर हमलावर हैं. कभी कानून-व्यवस्था को लेकर तो कभी किसानों के मुद्दे को लेकर वह केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधते रहते हैं.

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Published : Apr 9, 2021, 8:56 PM IST

अखिलेश यादव
अखिलेश यादव

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि किसानों के आंदोलन और आक्रोश से डरी हुई भाजपा सरकार अब उनके प्रति बदले की भावना से काम कर रही है. किसानों को मुश्किल में डालकर भाजपा सरकार अपनी खीझ उतार रही है. खेती-किसानी में खाद, बीज और बिजली की जरूरत के बारे में सभी जानते हैं. भाजपा सरकार ने खाद के दामों में वृद्धि के साथ बिजली के रेट बढ़ाने की भी तैयारी कर ली है. बीज के दाम तो पहले से बढ़े हैं, उनकी अनुपलब्धता और खराब बीजों की सप्लाई की भी शिकायतें आम हैं.

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि डीएपी खाद के दामों में अचानक फिर बढ़ोतरी कर दी गई है. यह बाजार में 3,800 में मिल रही है. एनपीके के दामों में भी बढ़ोतरी हो गई है. बीज, कृषि यंत्र, डीजल, बिजली के दामों की बढ़ोतरी से टूटे किसान को इस तरह और तोड़ दिया गया है. उपज का सही दाम नहीं मिलने से लगातार हो रहे घाटे के बीच डीएपी की बोरी के दाम बढ़ा देना अन्नदाता पर आर्थिक अत्याचार से कम नहीं है.

विद्युत नीति से बुनकर उद्योग चौपट
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विद्युत नियामक आयोग किसानों और आम उपभोक्ता पर ज्यादा से ज्यादा विद्युत व्यय भार बढ़ाने में गतवर्ष से ही लगा है. पहले उसके जिस स्लैब परिवर्तन को खारिज कर दिया गया था, उसे ही वह बिजली कम्पनियों के हित में लागू कराने की फिर साजिश कर रहा है. भाजपाई विद्युत नीति से बुनकर उद्योग चौपट हो गया है. विद्युत क्षेत्र में बढ़ती लाइन हानियों के अलावा उत्पादन और पारेषण के क्षेत्र में भी धांधलियां बढ़ती जा रही हैं. सरकार में शीर्ष पर बैठे लोग केवल जुबानी जमाखर्च करके रह जाते हैं. समाजवादी सरकार में बुनकरों को विद्युत दरों में राहत दी गई थी. भाजपा सरकार ने तो एक यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं किया, लेकिन उपभोक्ताओं की जेबें खाली करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

इसे भी पढ़ें:- स्मारक घोटाला: लखनऊ विजिलेंस टीम की बड़ी कार्रवाई, 4 अफसर गिरफ्तार

भाजपा राज में किसान को इतना पीड़ित किया जा रहा है कि वह खेती-किसानी से ही तौबा कर रहे हैं. वैसे भी कृषि क्षेत्रफल घटता ही जा रहा है. क्रय केन्द्रों पर गेहूं का अम्बार लगा है, लेकिन किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है. चिलचिलाती धूप में लम्बी-लम्बी कतारों में अपनी बारी का इंतजार कर रहे किसानों को कहीं ई-पास तो कहीं बोरा न होने पर बैरंग लौटा दिया जाता है. क्रय केन्द्रों पर नाममात्र की खरीद हो रही है, लेकिन अधिकांश जगहों पर क्रय केन्द्रों का अता पता ही नहीं है. घटतौली की शिकायतों पर बस लीपापोती कर असली अपराधियों को बचा लिया जाता है.

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि किसानों के आंदोलन और आक्रोश से डरी हुई भाजपा सरकार अब उनके प्रति बदले की भावना से काम कर रही है. किसानों को मुश्किल में डालकर भाजपा सरकार अपनी खीझ उतार रही है. खेती-किसानी में खाद, बीज और बिजली की जरूरत के बारे में सभी जानते हैं. भाजपा सरकार ने खाद के दामों में वृद्धि के साथ बिजली के रेट बढ़ाने की भी तैयारी कर ली है. बीज के दाम तो पहले से बढ़े हैं, उनकी अनुपलब्धता और खराब बीजों की सप्लाई की भी शिकायतें आम हैं.

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि डीएपी खाद के दामों में अचानक फिर बढ़ोतरी कर दी गई है. यह बाजार में 3,800 में मिल रही है. एनपीके के दामों में भी बढ़ोतरी हो गई है. बीज, कृषि यंत्र, डीजल, बिजली के दामों की बढ़ोतरी से टूटे किसान को इस तरह और तोड़ दिया गया है. उपज का सही दाम नहीं मिलने से लगातार हो रहे घाटे के बीच डीएपी की बोरी के दाम बढ़ा देना अन्नदाता पर आर्थिक अत्याचार से कम नहीं है.

विद्युत नीति से बुनकर उद्योग चौपट
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विद्युत नियामक आयोग किसानों और आम उपभोक्ता पर ज्यादा से ज्यादा विद्युत व्यय भार बढ़ाने में गतवर्ष से ही लगा है. पहले उसके जिस स्लैब परिवर्तन को खारिज कर दिया गया था, उसे ही वह बिजली कम्पनियों के हित में लागू कराने की फिर साजिश कर रहा है. भाजपाई विद्युत नीति से बुनकर उद्योग चौपट हो गया है. विद्युत क्षेत्र में बढ़ती लाइन हानियों के अलावा उत्पादन और पारेषण के क्षेत्र में भी धांधलियां बढ़ती जा रही हैं. सरकार में शीर्ष पर बैठे लोग केवल जुबानी जमाखर्च करके रह जाते हैं. समाजवादी सरकार में बुनकरों को विद्युत दरों में राहत दी गई थी. भाजपा सरकार ने तो एक यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं किया, लेकिन उपभोक्ताओं की जेबें खाली करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

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भाजपा राज में किसान को इतना पीड़ित किया जा रहा है कि वह खेती-किसानी से ही तौबा कर रहे हैं. वैसे भी कृषि क्षेत्रफल घटता ही जा रहा है. क्रय केन्द्रों पर गेहूं का अम्बार लगा है, लेकिन किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है. चिलचिलाती धूप में लम्बी-लम्बी कतारों में अपनी बारी का इंतजार कर रहे किसानों को कहीं ई-पास तो कहीं बोरा न होने पर बैरंग लौटा दिया जाता है. क्रय केन्द्रों पर नाममात्र की खरीद हो रही है, लेकिन अधिकांश जगहों पर क्रय केन्द्रों का अता पता ही नहीं है. घटतौली की शिकायतों पर बस लीपापोती कर असली अपराधियों को बचा लिया जाता है.

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