लखनऊः समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्यसभा में पारित हुए कृषि बिल का विरोध किया है. अखिलेश यादव ने इस बिल पर अपना विरोध ट्विटर कर के माध्यम से दर्ज कराते हुए कहा कि लोकतांत्रिक कपट कर भाजपा ने कृषि बिल नहीं, बल्कि अपना पतन पत्र पारित कराया है.
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भाजपा ने कृषि बिल पारित कराने के लिए ‘ध्वनि मत’ की आड़ में राज्य सभा में किसानों व विपक्ष की आवाज़ का गला दबाया है व अपने कुछ चुनिंदा पूँजीपतियों व धन्नासेठों के लिए भारत की 2/3 जनसंख्या को धोखा दिया है।
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लोकतांत्रिक कपट कर भाजपा ने कृषि बिल नहीं; अपना ‘पतन-पत्र’ पारित कराया है। pic.twitter.com/wfJjAoyGFW
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लोकतांत्रिक कपट कर भाजपा ने कृषि बिल नहीं; अपना ‘पतन-पत्र’ पारित कराया है। pic.twitter.com/wfJjAoyGFWभाजपा ने कृषि बिल पारित कराने के लिए ‘ध्वनि मत’ की आड़ में राज्य सभा में किसानों व विपक्ष की आवाज़ का गला दबाया है व अपने कुछ चुनिंदा पूँजीपतियों व धन्नासेठों के लिए भारत की 2/3 जनसंख्या को धोखा दिया है।
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लोकतांत्रिक कपट कर भाजपा ने कृषि बिल नहीं; अपना ‘पतन-पत्र’ पारित कराया है। pic.twitter.com/wfJjAoyGFW
राज्यसभा में रविवार को सरकार की ओर से कृषि बिल पारित होने पर विपक्षी पार्टियों ने इस बिल को किसान विरोधी बताते हुए विरोध दर्ज कराना शुरू कर दिया है. जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी शामिल हो गए हैं.
अपने ट्विटर हैंडल के माध्यम से अखिलेश ने रविवार को ट्वीट करते हुए सरकार पर निशाना साधा है. अखिलेश ने कहा कि भाजपा ने कृषि बिल पारित कराने के लिए ‘ध्वनि मत’ की आड़ में राज्यसभा में किसानों और विपक्ष की आवाज का गला दबाया है. अपने कुछ चुनिंदा पूंजीपतियों और धन्नासेठों के लिए भारत की 2/3 जनसंख्या को धोखा दिया है. अखिलेश ने बड़ा तंज कसते हुए कहा कि लोकतांत्रिक कपट कर भाजपा ने कृषि बिल नहीं, अपना ‘पतन-पत्र’ पारित कराया है.
गौरतलब है कि राज्यसभा ने कृषि उपज, व्यापार और वाणिज्य विधेयक 2020, कृषक कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 को मंजूरी दे दी है. इसपर अब कई विपक्षी पार्टियां विरोध दर्ज कराकर और इसे किसान विरोधी बताते हुए बिल को वापस लेने की मांग कर रही हैं.
वहीं कृषि मंत्री का कहना है कि इस बिल का पास होना ऐतिहासिक है. इससे किसानों को बड़ा लाभ मिलने वाला है. बिल के लागू होने के बाद बाजार में प्रतियोगिता बढ़ेंगी, जिससे किसानों को उनके उपज का सही दाम मिल सकेगा.