लखनऊः पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि किसानों को धोखा देने में भाजपा ने कमाल कर दिया है. खाद की बोरी में खाद की मात्रा कम कर दी गई. डीजल-बिजली महंगी कर दी गई. संकल्प पत्र में भाजपा ने किसानों की कर्ज माफी और आय दोगुनी करने का भरोसा दिलाया. भाजपा की सरकार बनी तो ये वादे दाखिल दफ्तर हो गए. किसानों की यह भाजपा सरकार ऐसी हितैषी बनी कि उस पर तीन काले कृषि कानून लाद दिए गए. अपनी खेती बचाने के लिए किसान अब पिछले दस महीने से आंदोलन कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार किसानों की फसल की एमएसपी पर खरीद के मामले में भी ढुलमुल नीति अपनाए है. सरकारी क्रय केन्द्रों पर असली किसान को उसके गेहूं-धान को खरीद योग्य नहीं होने के बहाने कर परेशान किया जाता है. बिचौलिए किसानों से औने-पौने दाम पर खरीद कर एमएसपी पर बेच लेते हैं. मुनाफे के इस धंधे में अफसर भी मिले रहते हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि छोटे व्यापारियों और गरीबों की जिंदगी से खिलवाड़ का एक नया कानून भी भाजपा सरकार अपने बड़े पूंजीपति मित्रों के कहने पर ले आई. बाजार में केवल ब्रांडेड तेल बिकेगा. भारतीय खाद्य एवं सुरक्षा मानक प्राधिकरण ने राजाज्ञा निकालकर खुदरा खाद्य तेल की बिक्री पर रोक लगा दी है. इसके तहत किराना दुकानों से सोयाबीन, सरसों, सनफ्लावर और पाम आयल खुले रूप में नहीं बिकेगा. केवल बड़ी कम्पनियों के तेल की बिक्री होगी.
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इससे तेल के छोटे धंधे बंद हो जाएंगे और उससे जुड़े तमाम लोगों की जीविका छिन जाएगी. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार अपने इरादे में तो बड़ी कम्पनियों और उनके अमीर मालिकों को संरक्षण देती नजर आती है. जनता को भ्रमित करने के लिए कहा जाता है कि मिलावटी तेल से बचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है. यह सरासर झूठ है. ब्रांडेड कम्पनियों का भी नकली माल बाजार में भरा पड़ा मिलता है. कई छापो में यह सिद्ध हो चुका है. दरअसल भाजपा बड़े पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए अपनी रणनीतिक चालाकी दिखा रही है.
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा की नीतियां न केवल जनहित विरोधी हैं. अपितु संविधान का भी अपमान करती है. क्या भाजपा यह दावा कर सकती है कि उसकी कार्यप्रणाली संविधान सम्मत है. भाजपा वस्तुतः एक खतरनाक पार्टी है. इस बार लोकतंत्र बचाने की अंतिम लड़ाई है. 2022 में राज्य से भाजपा की सत्ता से विदाई लोकतंत्र के लिए आवश्यक है. समाजवादी पार्टी की सत्ता में पुनः प्रतिष्ठा से ही लोकतंत्र की बहाली होगी.