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लखनऊः सत्ता में वापसी के लिए प्रदेशभर में ‘उम्मीदों की साइकिल’ चलाएंगे अखिलेश - 2019 में 11 सीटों पर हुए उपचुनाव

उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कमर कस ली है. 2012 की ही तरह अखिलेश सत्ता पर काबिज होने के लिए साइकिल यात्रा के आयोजन की तैयारी कर रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सपा ने किसी भी पार्टी से गठबंधन न करने का फैसला किया है.

पूर्व सीएम अखिलेश यादव.
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Published : Oct 30, 2019, 6:41 PM IST

लखनऊः 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रदेश भर में उम्मीदों की साइकिल चलाकर सपा मुखिया अखिलेश यादव प्रदेश की सत्ता पर स्थापित हुए थे. अब 10 साल बाद 2022 में यूपी में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव एक बार फिर प्रदेश भर में उम्मीदों की साइकिल चलाने की तैयारी कर रहे हैं. जिस तरह से 2017 में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन रहा है. इसे देखकर अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि प्रदेश भर में साइकिल चलाकर अखिलेश कामयाबी हासिल कर पाएंगे की नहीं, लेकिन 2019 में 11 सीटों पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को मात देकर पार्टी की उम्मीद जगाने में अखिलेश कामयाब जरूर हुए हैं.

उम्मीदों की साइकिल चलाएंगे अखिलेश यादव.

2022 के विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी से नहीं करेंगे गठबंधन
अखिलेश यादव प्रदेश में समाजवादी पार्टी की जीत का इतिहास दोहराने के लिए एक बार फिर प्रदेश भर में साइकिल लेकर निकलेंगे. इससे वह कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने का काम करेंगे. सपा साइकिल चलाने की योजना एक बार फिर से इसलिए बनने में लगी है क्योंकि विधानसभा उपचुनावों के नतीजों ने पार्टी को संजीवनी प्रदान की है. समाजवादी पार्टी के सूत्रों की मानें तो सपा मुखिया जल्द ही उम्मीदों की साइकिल लेकर प्रदेश भ्रमण पर निकलेंगे. उन्होंने इस बार एलान भी कर दिया है कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे.

पढ़ें- आधा घंटे तक अकेले में मुलायम-शिवपाल के बीच गुफ्तगू, तमाम मुद्दों पर हुई चर्चा

वर्ष 2017 में अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था, लेकिन नतीजा उम्मीदों के मुताबिक नहीं था. अखिलेश प्रदेश में सिर्फ 47 सीटों पर ही जीत पाए थे. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन किया, लेकिन उनका यह दांव भी उन्हें पर भारी पड़ गया. उन्होंने मायावती की बहुजन समाज पार्टी को तो जीवित कर दिया, लेकिन खुद सफल नहीं हो पाए. अखिलेश को सिर्फ पांच सीटें मिल पाईं.

लखनऊः 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रदेश भर में उम्मीदों की साइकिल चलाकर सपा मुखिया अखिलेश यादव प्रदेश की सत्ता पर स्थापित हुए थे. अब 10 साल बाद 2022 में यूपी में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव एक बार फिर प्रदेश भर में उम्मीदों की साइकिल चलाने की तैयारी कर रहे हैं. जिस तरह से 2017 में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन रहा है. इसे देखकर अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि प्रदेश भर में साइकिल चलाकर अखिलेश कामयाबी हासिल कर पाएंगे की नहीं, लेकिन 2019 में 11 सीटों पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को मात देकर पार्टी की उम्मीद जगाने में अखिलेश कामयाब जरूर हुए हैं.

उम्मीदों की साइकिल चलाएंगे अखिलेश यादव.

2022 के विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी से नहीं करेंगे गठबंधन
अखिलेश यादव प्रदेश में समाजवादी पार्टी की जीत का इतिहास दोहराने के लिए एक बार फिर प्रदेश भर में साइकिल लेकर निकलेंगे. इससे वह कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने का काम करेंगे. सपा साइकिल चलाने की योजना एक बार फिर से इसलिए बनने में लगी है क्योंकि विधानसभा उपचुनावों के नतीजों ने पार्टी को संजीवनी प्रदान की है. समाजवादी पार्टी के सूत्रों की मानें तो सपा मुखिया जल्द ही उम्मीदों की साइकिल लेकर प्रदेश भ्रमण पर निकलेंगे. उन्होंने इस बार एलान भी कर दिया है कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे.

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वर्ष 2017 में अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था, लेकिन नतीजा उम्मीदों के मुताबिक नहीं था. अखिलेश प्रदेश में सिर्फ 47 सीटों पर ही जीत पाए थे. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन किया, लेकिन उनका यह दांव भी उन्हें पर भारी पड़ गया. उन्होंने मायावती की बहुजन समाज पार्टी को तो जीवित कर दिया, लेकिन खुद सफल नहीं हो पाए. अखिलेश को सिर्फ पांच सीटें मिल पाईं.

Intro:सूबे की गद्दी पर सत्तासीन होने को प्रदेश भर में 'उम्मीदों की साइकिल' चलाएंगे अखिलेश

लखनऊ। 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रदेश भर में उम्मीदों की साइकिल चलाकर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने जनता को अपने साथ जोड़कर प्रदेश की सत्ता पर समाजवादी पार्टी को काबिज कर दिया था। अब 10 साल बाद यानी 2022 में यूपी में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव एक बार फिर प्रदेश भर में उम्मीदों की साइकिल चलाने की तैयारी कर रहे हैं। जिस तरह से 2017 में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी का उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन रहा है उसे देखकर अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि प्रदेश भर में साइकिल चलाकर अखिलेश कामयाबी हासिल कर पाएंगे, लेकिन 2019 में 11 सीटों पर हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को मात देकर समाजवादी पार्टी की उम्मीद जगाने में अखिलेश कामयाब हुए हैं। इसी वजह से उम्मीदों की साइकिल लेकर एक बार फिर जनता के बीच जाने को तैयार है और सत्ता पाने को बेकरार।


Body:अखिलेश यादव प्रदेश में समाजवादी पार्टी की जीत का इतिहास दोहराने के लिए एक बार फिर प्रदेश भर में साइकिल लेकर निकलेंगे। इससे वे कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने का काम करेंगे, वहीं जनता को समाजवादी पार्टी से जोड़ने का भरसक प्रयास। साइकिल चलाने की योजना एक बार फिर से इसलिए बनने लगी है क्योंकि विधानसभा उपचुनावों के नतीजों ने समाजवादी पार्टी को संजीवनी प्रदान कर दी है। समाजवादी पार्टी के सूत्रों की मानें तो सपा मुखिया उम्मीदों की साइकिल लेकर प्रदेश भ्रमण पर निकलेंगे इस पर वे जल्द फैसला लेंगे। 2012 की तरह 2022 में भी अखिलेश यादव को लग रहा है कि वे अकेले दम पर जब चुनाव लड़ेंगे तो 2022 में जीत जरूर हासिल करेंगे, इसीलिए उन्होंने इस बार एलान भी कर दिया है कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। अकेले मैदान में उतरेंगे और जीतेंगेम बता दें कि वर्ष 2017 में अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था, लेकिन नतीजा उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा था। अखिलेश प्रदेश में सिर्फ 47 सीटों पर ही जीत पाए थे। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन किया लेकिन उनका यह दांव भी उन्हें पर उल्टा पड़ गया। उन्होंने मायावती की बहुजन समाज पार्टी को तो जीवित कर दिया लेकिन खुद सफल नहीं हो पाए। अखिलेश को सिर्फ पांच सीटें मिल पाईं। ऐसे में अखिलेश को 2012 की याद आई है और वे अकेले ही चलकर यूपी की कुर्सी पर काबिज होने की तैयारी कर रहे हैं।

बाइट: डॉ उमा शंकर पांडेय, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस

सपा मुखिया अखिलेश यादव के प्रदेशभर में साइकिल चलाने की तैयारी पर कांग्रेस पार्टी ने चुस्की ली है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ उमा शंकर पांडेय ने कहा है कि अखिलेश यादव की राजनीति का अपना एक तरीका है। वह फेसबुक पर हैं, वह ट्विटर पर हैं, लेकिन धरातल पर नहीं हैं। समाजवादी पार्टी एक क्षेत्रीय पार्टी है। उनकी अपनी सीमित सोच है उसके अंतर्गत जिस जाति के बंटवारे के आधार पर वो राजनीति किया करते थे। आज जनता जागरूक हो चुकी है जनता को विकास की बात समझ आने लगी है। जनता को सच्चे नेतृत्व की बातें दिखाई देने लगी हैं। उम्मीदों की साइकिल के दो पहिए थे, वह अलग-अलग पहिए थे। उनके अपने पहिये नहीं थे, उधार के पहिए थे। अब वह पहिए उनके पास नहीं रहे। अब सिर्फ टूटी हुई साइकिल का ढांचा है जो सिर्फ फेसबुक और ट्विटर पर दिखाई देता है।



Conclusion:10 साल बाद सत्ता पाने को उम्मीदों की साइकिल चलाने जा रहे अखिलेश यादव दस का दम दिखा पाएंगे? उम्मीदों की साइकिल क्या वाकई उनकी उम्मीदों पर खरा उतरेगी या फिर 2017 की तरह उन्हें नाउम्मीद कर देगी यह तो 2022 विधानसभा चुनाव का नतीजा ही बताएगा। फिलहाल अखिलेश अपनी तरफ से सत्ता पाने के लिए भरसक प्रयत्न करने में जरूर जुट गए हैं।

अखिल पांडेय, लखनऊ, 9336864096
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