लखनऊ: कोरोना वैक्सीन को लेकर दिए गए बयान के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को विपक्ष और जनता ने उन्हें आड़े हांथों लिया. जनता के रुख के बाद अखिलेश यादव को प्रेस कांफ्रेंस करके अपने बयान से पलटना पड़ गया था. यह कोई पहला मौका नहीं था, जब पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपने बयान बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा. इससे पूर्व भी अखिलेश यादव कई बार अपने बयान बदल चुके हैं.
पहले भी दे चुके हैं बयान
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2012 से 2017 के अपने कार्यकाल में उत्तर प्रदेश के विधायकों को विधायक निधि से एक्सयूवी गाड़ी खरीदने की मंजूरी देने की बात कही थी.अखिलेश यादव के इस बयान के बाद भाजपा और जनता ने उनकी चौतरफा निंदा की थी. जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपने बयान वापस लेने पड़े थे.
वहीं उसी दौरान उन्होंने राजधानी लखनऊ के शॉपिंग मॉल को शाम 7:00 बजे बंद करने का निर्देश दिया था. इसके पीछे उन्होंने प्रदेश में बिजली का लोड ज्यादा होने का तर्क दिया था. अखिलेश यादव के निर्देश का भाजपा और जनता ने जमकर विरोध किया था. जिसके बाद अखिलेश यादव को अपने इस फैसले को भी वापस लेना पड़ा था.
कोरोना पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी थी सफाई
विगत सप्ताह प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कोरोनावायरस की वैक्सीन को लेकर लेकर कहा था कि वह भाजपा की वैक्सिंन नहीं लगवाएंगे. जिसके बाद प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सहित भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं सहित जनता ने भी अखिलेश यादव के इस बयान की जमकर भर्त्सना की थी. जिसके बाद अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 'हमें देश के वैज्ञानिकों पर पूरा भरोसा है और हम किसी भी वैज्ञानिक और एक्सपर्ट पर सवाल नहीं उठा रहे हैं. हमारा सवाल भाजपा से है, भाजपा ने जो फैसले किए उस पर जनता को भरोसा नहीं है. हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि गरीबों को यह वैक्सीन मुफ्त में कब तक लगाई जाएगी.'