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UP Politics:अनुशासनहीन और भितरघात करने वाले नेताओं को बख्शने के मूड में नहीं सपा

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Published : Jun 28, 2021, 4:59 PM IST

समाजवादी पार्टी 2022 विधानसभा चुनाव से पहले ही अपनी तैयारी में कोई कमी नहीं छोड़ना नहीं चाह रहे हैं. इसिलए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सपा उम्मीदवारों का नामांकन न करा पाने वाले 11 जिलाध्यक्षों को अखिलेश यादव के निर्देश पर बाहर का रास्ता दिखाया है.

समाजवादी पार्टी.
समाजवादी पार्टी.

लखनऊः समाजवादी पार्टी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है. पार्टी चुनाव के लेकर अपनी राजनीतिक बिसात बिछाने के साथ जनता के बीच साफ-सुथरी छवि प्रस्तुत करने कोशिश कर रही है. सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव अनुशासनहीनता और भितरघात करने वाले नेताओं पर सख्त रुख अपना रहे हैं. सपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव से ही पहले 12 से अधिक पदाधिकारियों पर कार्रवाई कर जनता की बीच अच्छी छवि बनाने की कोशिश की है. बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब समाजवादी पार्टी ने अपने पदाधिकारियों पर कार्रवाई की है. इससे पूर्व भी सपा के राष्ट्रीय अखिलेश यादव इस तरह के फैसले ले चुके हैं. वहीं, राजनीतिक विश्लेषक का मानना है कि पदाधिकारियों को इस बात का एहसास कराने के लिए की भितरघात करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. अखिलेश यादव इस तरह के फैसले ले रहे हैं.

अनुशासनहीन और भितरघात करने वाले नेताओं को बख्शने के मूड में नहीं सपा.


11 जिलाध्यक्षों को किया बर्खास्त
प्रदेश भर में हो रहे जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर अपने-अपने जनपदों में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों का नामांकन न करा पाने वाले 11 जिलाध्यक्षों को अखिलेश यादव ने पद से बर्खास्त कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि अनुशासनहीनता कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी. इसके साथ ही जो भी व्यक्ति पार्टी में रहकर भितरघात करेगा उसे पार्टी बाहर का रास्ता दिखाएगी. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में अपने जनपदों में नामांकन न करा पाने वाले गोरखपुर, मुरादाबाद, झांसी, आगरा, गौतम बुद्ध नगर, मऊ, बलरामपुर, श्रावस्ती, भदोही, गोंडा ललितपुर के जिला अध्यक्षों को बर्खास्त किया गया है.

फैसले लेने में संकोच नहीं करती पार्टी
वहीं, वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय का कहना है कि अखिलेश यादव ने 11 जिला अध्यक्षों को बर्खास्त कर यह बताने की कोशिश की है कि समाजवादी पार्टी फैसले लेने में संकोच नहीं करती है और इसका एहसास पदाधिकारियों को होना चाहिए. राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि अनुशासनहीनता करने वालों के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने फैसला लेकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि हम इस तरह के मामलों में फैसला लेने में देरी नहीं करते. उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों का नामांकन न हो पाना सरकार की गलती कम और सपा जिलाध्यक्षों की ज्यादा है और यही कारण है कि इन पर कार्रवाई की गई है.

सीमा रेखा लांघने वालों पर होगी कार्रवाई
वहीं, इस मामले में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज सिंह का कहना है कि हर दल का प्रशासनिक तंत्र होता है. बिना अनुशासन के परिवार और दल नहीं चलता है. उन्होंने कहा कि जो लोग दायित्वों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं और सीमा रेखा को लगेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अखिलेश यादव सम्यक दृष्टिकोण से सभी को देखने वाले नेता हैं.

डीपी यादव मामले पर भी अडिग थे अखिलेश
बता दें कि 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले जब मोहम्मद आजम खान बदायूं के बाहुबली पूर्व सांसद डीपी यादव को समाजवादी पार्टी में शामिल कराने की जद्दोजहद कर रहे थे. आजम खान मजबूती के साथ डीपी यादव को सपा में लाने की कोशिश कर रहे थे. उस समय भी अखिलेश यादव ने डीपी यादव को पार्टी में शामिल न कराने का फैसला लिया था, जिसके बाद से यह जाना जाने लगा था कि समाजवादी पार्टी में अब अपराधियों की एंट्री बंद हो गई है. यही कारण था कि 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को पहली बार 226 सीटें हासिल कर बहुमत मिला था.


इन लोगों पर हो चुकी है कार्रवाई
बता दें कि मुलायम सिंह यादव के समधी फिरोजाबाद की सिरसागंज विधानसभा से विधायक हरिओम यादव को भी अखिलेश यादव ने फरवरी में निष्कासित कर दिया था. हरिओम यादवा पर पार्टी के लाइन से हटकर काम करने के आरोप में कार्रवाई की गई थी. इसी तरह फिरोजाबाद के पूर्व विधायक अजीम भाई को अनुशासनहीनता के आरोप में सपा से निष्कासित कर दिया गया था. वहीं, फर्रुखाबाद के पदाधिकारी सचिन यादव को भी हाल ही में पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है. सपा विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में 18 जून को बागपत के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और पूर्व जिलाध्यक्ष को निष्कासित कर दिया था.

इसे भी पढ़ें-जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव: कई सीटों पर नामांकन न कर पाने से बौखलाई सपा


बता दें कि 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी गंभीर है और यही कारण है कि लगातार पदाधिकारियों के साथ बैठक कर 2022 की रणनीति बनाई जा रही है. बसपा के नेताओं को समाजवादी पार्टी में शामिल कराने के साथ-साथ लगातार अखिलेश यादव इस बात को कहते रहते हैं कि छोटे दलों के लिए दरवाजे खुले हैं. ऐसे में 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी सभी को साथ लेकर भाजपा से दो-दो हाथ करने की तैयारी में लगी हुई है.

लखनऊः समाजवादी पार्टी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है. पार्टी चुनाव के लेकर अपनी राजनीतिक बिसात बिछाने के साथ जनता के बीच साफ-सुथरी छवि प्रस्तुत करने कोशिश कर रही है. सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव अनुशासनहीनता और भितरघात करने वाले नेताओं पर सख्त रुख अपना रहे हैं. सपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव से ही पहले 12 से अधिक पदाधिकारियों पर कार्रवाई कर जनता की बीच अच्छी छवि बनाने की कोशिश की है. बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब समाजवादी पार्टी ने अपने पदाधिकारियों पर कार्रवाई की है. इससे पूर्व भी सपा के राष्ट्रीय अखिलेश यादव इस तरह के फैसले ले चुके हैं. वहीं, राजनीतिक विश्लेषक का मानना है कि पदाधिकारियों को इस बात का एहसास कराने के लिए की भितरघात करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. अखिलेश यादव इस तरह के फैसले ले रहे हैं.

अनुशासनहीन और भितरघात करने वाले नेताओं को बख्शने के मूड में नहीं सपा.


11 जिलाध्यक्षों को किया बर्खास्त
प्रदेश भर में हो रहे जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर अपने-अपने जनपदों में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों का नामांकन न करा पाने वाले 11 जिलाध्यक्षों को अखिलेश यादव ने पद से बर्खास्त कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि अनुशासनहीनता कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी. इसके साथ ही जो भी व्यक्ति पार्टी में रहकर भितरघात करेगा उसे पार्टी बाहर का रास्ता दिखाएगी. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में अपने जनपदों में नामांकन न करा पाने वाले गोरखपुर, मुरादाबाद, झांसी, आगरा, गौतम बुद्ध नगर, मऊ, बलरामपुर, श्रावस्ती, भदोही, गोंडा ललितपुर के जिला अध्यक्षों को बर्खास्त किया गया है.

फैसले लेने में संकोच नहीं करती पार्टी
वहीं, वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय का कहना है कि अखिलेश यादव ने 11 जिला अध्यक्षों को बर्खास्त कर यह बताने की कोशिश की है कि समाजवादी पार्टी फैसले लेने में संकोच नहीं करती है और इसका एहसास पदाधिकारियों को होना चाहिए. राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि अनुशासनहीनता करने वालों के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने फैसला लेकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि हम इस तरह के मामलों में फैसला लेने में देरी नहीं करते. उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों का नामांकन न हो पाना सरकार की गलती कम और सपा जिलाध्यक्षों की ज्यादा है और यही कारण है कि इन पर कार्रवाई की गई है.

सीमा रेखा लांघने वालों पर होगी कार्रवाई
वहीं, इस मामले में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज सिंह का कहना है कि हर दल का प्रशासनिक तंत्र होता है. बिना अनुशासन के परिवार और दल नहीं चलता है. उन्होंने कहा कि जो लोग दायित्वों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं और सीमा रेखा को लगेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अखिलेश यादव सम्यक दृष्टिकोण से सभी को देखने वाले नेता हैं.

डीपी यादव मामले पर भी अडिग थे अखिलेश
बता दें कि 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले जब मोहम्मद आजम खान बदायूं के बाहुबली पूर्व सांसद डीपी यादव को समाजवादी पार्टी में शामिल कराने की जद्दोजहद कर रहे थे. आजम खान मजबूती के साथ डीपी यादव को सपा में लाने की कोशिश कर रहे थे. उस समय भी अखिलेश यादव ने डीपी यादव को पार्टी में शामिल न कराने का फैसला लिया था, जिसके बाद से यह जाना जाने लगा था कि समाजवादी पार्टी में अब अपराधियों की एंट्री बंद हो गई है. यही कारण था कि 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को पहली बार 226 सीटें हासिल कर बहुमत मिला था.


इन लोगों पर हो चुकी है कार्रवाई
बता दें कि मुलायम सिंह यादव के समधी फिरोजाबाद की सिरसागंज विधानसभा से विधायक हरिओम यादव को भी अखिलेश यादव ने फरवरी में निष्कासित कर दिया था. हरिओम यादवा पर पार्टी के लाइन से हटकर काम करने के आरोप में कार्रवाई की गई थी. इसी तरह फिरोजाबाद के पूर्व विधायक अजीम भाई को अनुशासनहीनता के आरोप में सपा से निष्कासित कर दिया गया था. वहीं, फर्रुखाबाद के पदाधिकारी सचिन यादव को भी हाल ही में पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है. सपा विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में 18 जून को बागपत के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और पूर्व जिलाध्यक्ष को निष्कासित कर दिया था.

इसे भी पढ़ें-जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव: कई सीटों पर नामांकन न कर पाने से बौखलाई सपा


बता दें कि 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी गंभीर है और यही कारण है कि लगातार पदाधिकारियों के साथ बैठक कर 2022 की रणनीति बनाई जा रही है. बसपा के नेताओं को समाजवादी पार्टी में शामिल कराने के साथ-साथ लगातार अखिलेश यादव इस बात को कहते रहते हैं कि छोटे दलों के लिए दरवाजे खुले हैं. ऐसे में 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी सभी को साथ लेकर भाजपा से दो-दो हाथ करने की तैयारी में लगी हुई है.

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