लखनऊ: प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर जमकर निशाना साधा है. सपा कार्यालय से जारी बयान में अखिलेश यादव ने कहा कि शहरों में पढ़ाई और नौकरी की तलाश में आने वाले छात्रों और नौजवानों को समय से मदद की सख्त जरूरत है. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते लोगों की हालत खराब है. छात्रों समेत उनके परिजनों के पास वर्तमान में कमरे का किराया, खाने-पीने और फीस देने का भी इंतजाम नहीं है. विडम्बना है कि लाॅकडाउन की स्थिति में शैक्षणिक गतिविधियां बंद रही हैं. बावजूद इसके तमाम स्कूल-काॅलेजों के प्रबन्धक अभिभावकों से फीस और अन्य खर्चे वसूलने के लिए लगातार दबाव बनाए हुए हैं. अखिलेश यादव ने कहा कि यह सब जानने के बावजूद भी प्रदेश सरकार खामोश है.
सीएम योगी पर साधा निशाना
अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों और दूसरे कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दिया जा रहा है. मुख्यमंत्री और उनकी टीम-11 इन मामलों में मौन धारण किए हैं. केवल प्रेस नोट जारी कर ही सरकार अपने कर्तव्य की इतिश्री मान रही है. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार में भविष्य की पीढ़ियों को सशक्त करने के लिए उन तक लैपटाॅप पहुंचाए गए थे. आज भी ये लैपटाॅप चल रहे हैं जबकि भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में वादा करके भी मेधावी छात्र-छात्राओं को लैपटाॅप से वंचित रखा है.
'भाजपा को अपनी सत्ता के प्रदर्शन का खासा शौक'
भाजपा पर निशाना साधते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा को अपनी सत्ता के प्रदर्शन का खासा शौक है, इसलिए भाजपा ने कोरोना बीमारी पर जीत हासिल करने की जगह चुनाव की पवित्रता नष्ट करने के लिए जंगल के पेड़ों तक पर एलईडी लगवा दी. उन्होंने अमित शाह की वर्चुअल रैली पर भी सवाल खड़ा किया. अखिलेश यादव ने कहा कि जब पूरे देश में महामारी का आतंक है तो बिहार-बंगाल में भाजपा ने अपनी वर्चुअल रैली में ढाई सौ करोड़ रुपए से ज्यादा रकम क्यों खर्च की. भाजपा हर वक्त चुनाव की चिंता में रहती है. उसकी पूरी राजनीति इन दिनों में भी चुनावी स्वार्थपरक रणनीति बनाने तक सीमित है.
सरकार से की मांग
सपा मुखिया ने कहा कि नौजवानों की जिंदगी से खिलवाड़ का क्रूरतापूर्ण खेल भाजपा राज में धड़ल्ले से हो रहा है. सच्चाई यह है कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार में इन्वेस्टमेंट समिट्स एवं डिफेंस एक्सपो का कागजी इवेंट न तो निवेशक ही ला सका है और न ही रोजगार. अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा कि अगर मुख्यमंत्री 69,000 शिक्षक, बीडीओ, एलटी, एटीए एवं यूपीपीएससी की अन्य नौकरियां अटकाएं और लटकाएं नहीं और जाते-जाते नौकरियों का ‘दिव्यदान‘ दे जाएं तो युवा उनकी विदाई मुस्कुरा कर करेंगे. वहीं उन्होंने बताया कि समाजवादी पार्टी ने सरकार से मांग की है कि वह आपदाग्रस्त किसान परिवारों, श्रमिक परिवारों और कोरोना पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख रुपए की सहायता दे.