लखनऊ: सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कृषि विधेयकों और श्रम सुधार कानून को लेकर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि किसानों के हितों की अनदेखी करने वाला जो कृषि विधेयक भारत सरकार लाई है, उससे किसान अपनी जमीन का मालिक न रहकर मजदूर हो जाएगा. इससे कृषि उत्पादन मण्डी की समाप्ति और विधेयक में न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना सुनिश्चित न होने से किसान अब औने-पौने दामों पर अपनी फसल बेचने को मजबूर होगा. अखिलेश ने कहा कि सपा के पदाधिकारी सभी जनपदों में कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए 25 सितंबर को इन विधेयकों के खिलाफ विरोध दर्ज करेंगे. इसके साथ ही कृषि एवं श्रम कानूनों के विरोध में जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन सौंपेंगे.
किसानों की आवाज दबने नहीं देगी सपा
दरअसल समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बयान जारी किया है. अखिलेश ने कहा कि गेहूं, धान की फसल को आवश्यक वस्तु अधिनियम से हटाए जाने से किसान को बड़े आढ़तियों और व्यापारिक घरानों की शर्तों पर अपनी फसल बेचना मजबूरी होगी. समाजवादी पार्टी किसानों की आवाज दबने नहीं देगी. उन्होंने कहा कि संसद से पारित श्रमिक कानून से श्रमिकों के हित बुरी तरह प्रभावित होंगे. अभी तक 100 कर्मचारियों वाले उद्योगों को बिना सरकारी अनुमति छंटनी का अधिकार नहीं था. नया कानून 300 कर्मचारियों वाले उद्योगों को भी जब चाहे छंटनी करने का अधिकार दे रहा है. इससे श्रमिकों में असुरक्षा की भावना बढ़ेगी और वे अपनी जायज मांग भी नहीं उठा सकेंगे. उद्योगपति के वे बंधुआ मजदूर रह जाएंगे.
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के प्रति इन जनविरोधी कानूनों को लेकर भारी आक्रोश व्याप्त है. किसान जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं. भाजपा सरकार श्रमिकों को रोजगार तो दे नहीं पा रही है, उल्टे उनको पूंजी घरानों की दया पर आश्रित बनाने की साजिश कर रही है. समाजवादी पार्टी इन साजिशों का पुरजोर विरोध करेगी. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार किसानों की विरोधी है लेकिन समाजवादी पार्टी लगातार किसानों के साथ उनके हर संघर्ष में सहयोग करेगी. किसानों की लड़ाई समाजवादी पार्टी हमेशा से लड़ती आई है और आगे भी लड़ती रहेगी. इस बिल का जोरदार विरोध किया जाएगा.