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अदालत ने अजीत सिंह हत्याकांड के अभियुक्त की जमानत याचिका खारिज की, जानिए और क्या कहा - अजीत सिंह हत्याकांड

पिछले साल जनवरी महीने में विभूति खंड के कठौता चौराहे पर अजीत सिंह की हत्या के मामले में अभियुक्त अखंड प्रताप सिंह की जमानत याचिका को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है. अदालत ने जमानत अर्जी खारिज करते वक्त अभियुक्त के कृत्यों पर गंभीर टिप्पणियां कीं.

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Published : Dec 15, 2022, 9:09 PM IST

लखनऊ : पिछले साल जनवरी महीने में विभूति खंड के कठौता चौराहे पर अजीत सिंह की हत्या के मामले में अभियुक्त अखंड प्रताप सिंह की जमानत याचिका को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है. न्यायालय ने अपने आदेश में घटना को दुस्साहसिक वारदात करार देते हुए कहा कि अभियुक्त दुर्दांत अपराधी है, उस पर 40 जघन्य अपराधों के मुकदमे दर्ज हैं और वह पूर्वांचाल का बाहुबली माना जाता है. ऐसे अपराधी की समाज में कोई जगह नहीं है, उसे उसी जगह होना चाहिए जहां वह आज (जेल में) है.


यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह (Justice Dinesh Kumar Singh) की एकल पीठ ने अभियुक्त अखंड प्रताप सिंह (Accused Akhand Pratap Singh) की जमानत याचिका पर पारित किया. अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता ने दलील दी कि उसे मामले में झूठा फंसाया गया है. वह घटनास्थल के आसपास भी मौजूद नहीं था. याचिका का अपर शासकीय अधिवक्ता राव नरेंद्र सिंह (Additional Government Advocate Rao Narendra Singh) ने विरोध किया.

अपर शासकीय अधिवक्ता (Additional Government Advocate ) ने दलील दी कि उक्त हत्याकांड का सारा ताना-बाना वर्तमान अभियुक्त व सह अभियुक्त कुंटू सिंह ने बुना था. वे दो साल से पूर्व विधायक सर्वेश सिंह की हत्या में गवाही न देने के लिए अजीत सिंह को धमका रहे थे. सर्वेश सिंह की भी हत्या इन्हीं दोनों ने करवाई थी. न्यायालय ने यह भी पाया कि अखंड प्रताप सिंह के खिलाफ दर्ज कई मामलों में वह बरी कर दिया गया है. इस पर न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त के खिलाफ के गवाह या होस्टाइल हो जाते हैं अथवा दुनिया से ही मिटा दिए जाते हैं. न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को भी इस हत्याकांड की सुनवाई एक साल में पूरा करने का आदेश दिया है.

यह भी पढ़ें : दस सिखों के एनकाउंटर केस में 43 पुलिसकर्मी दोषी करार, सभी को सात सात साल की सजा

लखनऊ : पिछले साल जनवरी महीने में विभूति खंड के कठौता चौराहे पर अजीत सिंह की हत्या के मामले में अभियुक्त अखंड प्रताप सिंह की जमानत याचिका को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है. न्यायालय ने अपने आदेश में घटना को दुस्साहसिक वारदात करार देते हुए कहा कि अभियुक्त दुर्दांत अपराधी है, उस पर 40 जघन्य अपराधों के मुकदमे दर्ज हैं और वह पूर्वांचाल का बाहुबली माना जाता है. ऐसे अपराधी की समाज में कोई जगह नहीं है, उसे उसी जगह होना चाहिए जहां वह आज (जेल में) है.


यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह (Justice Dinesh Kumar Singh) की एकल पीठ ने अभियुक्त अखंड प्रताप सिंह (Accused Akhand Pratap Singh) की जमानत याचिका पर पारित किया. अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता ने दलील दी कि उसे मामले में झूठा फंसाया गया है. वह घटनास्थल के आसपास भी मौजूद नहीं था. याचिका का अपर शासकीय अधिवक्ता राव नरेंद्र सिंह (Additional Government Advocate Rao Narendra Singh) ने विरोध किया.

अपर शासकीय अधिवक्ता (Additional Government Advocate ) ने दलील दी कि उक्त हत्याकांड का सारा ताना-बाना वर्तमान अभियुक्त व सह अभियुक्त कुंटू सिंह ने बुना था. वे दो साल से पूर्व विधायक सर्वेश सिंह की हत्या में गवाही न देने के लिए अजीत सिंह को धमका रहे थे. सर्वेश सिंह की भी हत्या इन्हीं दोनों ने करवाई थी. न्यायालय ने यह भी पाया कि अखंड प्रताप सिंह के खिलाफ दर्ज कई मामलों में वह बरी कर दिया गया है. इस पर न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त के खिलाफ के गवाह या होस्टाइल हो जाते हैं अथवा दुनिया से ही मिटा दिए जाते हैं. न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को भी इस हत्याकांड की सुनवाई एक साल में पूरा करने का आदेश दिया है.

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