लखनऊ: राजधानी लखनऊ में हुए बहुचर्चित अजीत सिंह हत्याकांड के मुख्य आरोपी गिरधारी विश्वकर्मा को पुलिस ने सोमवार को एक एनकाउंटर में मार गिराया. गिरधारी का एनकांउटर भी विकास दुबे के एनकाउंटर जैसा ही था. पुलिस ने बताया कि गिरधारी पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश कर रहा था, इस दौरान हुए एनकाउंटर में वह मारा गया. लेकिन, अब उसके बारे में कई चौकाने वाले खुलासा हो रहे हैं
दोनों हाथों से पिस्टल चलाता था गिरधारी
पुलिस एनकाउंटर में मारा गया गिरधारी विश्वकर्मा कोई मामूली अपराधी नहीं था, बल्कि एक कुख्यात शूटर के तौर पर मशहूर था. पूर्वांचल की कई जिलों में गिरधारी के नाम दहशत थी. वह एक कॉन्ट्रैक्ट किलर के तौर पर काम करता था. खास बात ये थी कि वो दोनों हाथों से पिस्टल चलाने में की महारत रखता था. कहा जाता है कि उसका निशाना कभी चुकता नहीं था. 16 साल पहले गिरधारी ने पहली हत्या की थी और फिर धीरे-धीरे उसका सिक्का चलने लगा और वह पूर्वांचल के अपराध जगत में एक बड़ा नाम बन गया.
गिरधारी पर 22 अपराधिक मुकदमे दर्ज थे. गिरधारी विश्वकर्मा के ऊपर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था. वह जुलाई 2020 से ही लखनऊ में रहकर अजीत सिंह की हत्या के लिए जमीन तैयार कर रहा था.
गिरधारी का अपराधिक इतिहास
2001 में गिरधारी ने वाराणसी के चोलापुर में पहली बार लूट की घटना को अंजाम दिया था. इसके बाद उसने कई वारदातों को अंजाम दिया. 2005 में जौनपुर के केराकत में युवक की हत्या की, 2008 में मऊ के घोसी में नंदू सिंह की हत्या, 2011 में आजमगढ़ के डमरु में हत्या, 2010 में मऊ में सुनील सिंह की हत्या, 2013 में बसपा विधायक सर्वेश सिंह सीपू की हत्या में वह शामिल रहा. साल 2019 में ठेकेदार नितेश सिंह की हत्या को भी गिरधारी ने ही अंजाम दिया. जिसके बाद उस पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित हो किया गया था.
गिरधारी को क्यों कहते थे डॉक्टर
गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ डॉक्टर अपराध जगत का एक बड़ा नाम था. पूर्वांचल में ज्यादातर लोग उसे डॉक्टर के नाम से जानते थे. पुलिस अधिकारियों की माने तो गिरधारी को डॉक्टर इसलिए कहा जाता था, क्योंकि उसे यह पता होता था कि किस व्यक्ति को कहां गोली मारने से क्या नुकसान हो सकता है.