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अपनी 7 सूत्रीय मांगों को लेकर शिक्षकों ने एडेड विद्यालयों में चाकडाउन किया - सभी एडेड विद्यालयों में पढ़ाई ठप

मंगलवार को लखनऊ में अपनी 7 सूत्रीय मांगों को लेकर शिक्षकों ने एडेड विद्यालयों में चाकडाउन किया. प्रदेश के सभी एडेड विद्यालयों में पढ़ाई ठप (Aided school teachers strike in UP) हो गयी.

एडेड विद्यालयों में 'चाकडाउन'
एडेड विद्यालयों में 'चाकडाउन'
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 27, 2023, 10:46 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (संयुक्त मोर्चा) की ओर से मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर प्रदेश के सभी एडेड विद्यालयों में पढ़ाई ठप कर दी. विद्यालय में पूरी तरह चाकडाउन 'बन्द' रहा. प्रदेश भर के 4512 एडेड विद्यालय तो खोले गए, लेकिन सुबह से ही शिक्षकों ने चाक नहीं उठाई.

एडेड विद्यालयों में 'चाकडाउन'
एडेड विद्यालयों में 'चाकडाउन'



संघ के अध्यक्ष सोहनलाल वर्मा ने चाकडाउन को लेकर कहा कि प्रदेश के सभी एडेड विद्यालयों का राजकीयकरण हो. एडेड विद्यालयों की राजकीय विद्यालयों की तरह देखभाल हो. इससे विद्यालयों की स्थिति सुधरेगी और शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार होगा. उन्होंने एक दिन के चाकडाउन को लेकर कहा कि शिक्षक इस एक दिन की भरपाई अगले दो दिनों में छात्रों को चार-चार घंटे अतिरिक्त पढ़ाकर करेंगे.

एडेड विद्यालय के शिक्षकों की हड़ताल (Aided school teachers strike) पर अध्यक्ष सोहन लाल वर्मा ने बताया कि पुरानी पेंशन बहाली, उप्र शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम 2023 को वापस लेकर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 को पुर्नस्थापित कर धारा 21, 18 व 12 की सेवा सुरक्षा तथा सेवा शर्तों को बहाल करने, वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को वेतन वितरण अधिनियम-1971 का लग देने, शिक्षा व्यवस्था के निजीकरण को रोकने और मौलिक नियुक्तियां, शिक्षा विभाग कार्यालय में भ्रष्टाचार पर रोक व कार्यालयों में सिटीजन चार्टर लागू हो तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की अर्हता के आधार पर शिक्षक पद पर पदोन्नति की लंबे समय से मांग की जा रही है. संघ की मांगें पूरी नहीं हुई तो उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (संयुक्त मोर्चा) इससे भी बड़े आंदोलन की घोषणा करेगा.


13 अक्टूबर को विद्यालय प्रबंधक विधानभवन का घेराव करेंगे: अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है. विभाग विद्यालयों में सफाई पर जोर दे रहा है लेकिन चपरासी के रिक्त पदों को नहीं भर रहा है. विद्यालयों को सीसीटीवी और कम्प्यूटर लैब से आच्छादित करने के निर्देश हैं लेकिन इससे बिजली पर आने वाला व्यय कैसे पूरा होगा? पिछले 12 सालों में अपनी विभाग ने अपना परीक्षा शुल्क 50 रुपये से 600 कर लिया है जबकि विद्यालयों में फीस के नाम पर आज तक बढ़ोत्तरी नहीं हुई है.

सरकार सहायता प्राप्त विद्यालयों में बिजली मुफ्त दें अथवा छात्रों से 10 प्रतिमाह के हिसाब से विद्युत शुल्क लेने की छूट दें. यह बातें अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय प्रबंधक सभा उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष अरविंद कुमार ने कही. अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय प्रबंधक सभा की ओर से मंगलवार डीएवी पीजी कॉलेज में प्रेसवार्ता हुई.

इसमें कार्यकारी अध्यक्ष अरविंद कुमार ने बताया कि 13 अक्टूबर को प्रदेश के तकरीबन 5 हजार प्रबंधक अपनी मांगों को लेकर विधानभवन का घेराव करेंगे. उन्होंने कहा कि वेतन का अधिकार प्रबंधकों के पास नहीं है, ऐसे में उनसे साइन कराना बंद हो. आयोग से चयनित शिक्षकों को ट्रांसफर 5 साल से पहले न हो, ट्रांसफर होने पर आयोग से शिक्षक मिलने में सालों लग जाते हैं ऐसे में कई बैच पढ़कर निकल जाते हैं.

ये भी पढ़ें- फेफड़ों की रियल टाइम रिपोर्ट देगा IIT Kanpur का खास मास्क

लखनऊ: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (संयुक्त मोर्चा) की ओर से मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर प्रदेश के सभी एडेड विद्यालयों में पढ़ाई ठप कर दी. विद्यालय में पूरी तरह चाकडाउन 'बन्द' रहा. प्रदेश भर के 4512 एडेड विद्यालय तो खोले गए, लेकिन सुबह से ही शिक्षकों ने चाक नहीं उठाई.

एडेड विद्यालयों में 'चाकडाउन'
एडेड विद्यालयों में 'चाकडाउन'



संघ के अध्यक्ष सोहनलाल वर्मा ने चाकडाउन को लेकर कहा कि प्रदेश के सभी एडेड विद्यालयों का राजकीयकरण हो. एडेड विद्यालयों की राजकीय विद्यालयों की तरह देखभाल हो. इससे विद्यालयों की स्थिति सुधरेगी और शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार होगा. उन्होंने एक दिन के चाकडाउन को लेकर कहा कि शिक्षक इस एक दिन की भरपाई अगले दो दिनों में छात्रों को चार-चार घंटे अतिरिक्त पढ़ाकर करेंगे.

एडेड विद्यालय के शिक्षकों की हड़ताल (Aided school teachers strike) पर अध्यक्ष सोहन लाल वर्मा ने बताया कि पुरानी पेंशन बहाली, उप्र शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम 2023 को वापस लेकर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 को पुर्नस्थापित कर धारा 21, 18 व 12 की सेवा सुरक्षा तथा सेवा शर्तों को बहाल करने, वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को वेतन वितरण अधिनियम-1971 का लग देने, शिक्षा व्यवस्था के निजीकरण को रोकने और मौलिक नियुक्तियां, शिक्षा विभाग कार्यालय में भ्रष्टाचार पर रोक व कार्यालयों में सिटीजन चार्टर लागू हो तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की अर्हता के आधार पर शिक्षक पद पर पदोन्नति की लंबे समय से मांग की जा रही है. संघ की मांगें पूरी नहीं हुई तो उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (संयुक्त मोर्चा) इससे भी बड़े आंदोलन की घोषणा करेगा.


13 अक्टूबर को विद्यालय प्रबंधक विधानभवन का घेराव करेंगे: अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है. विभाग विद्यालयों में सफाई पर जोर दे रहा है लेकिन चपरासी के रिक्त पदों को नहीं भर रहा है. विद्यालयों को सीसीटीवी और कम्प्यूटर लैब से आच्छादित करने के निर्देश हैं लेकिन इससे बिजली पर आने वाला व्यय कैसे पूरा होगा? पिछले 12 सालों में अपनी विभाग ने अपना परीक्षा शुल्क 50 रुपये से 600 कर लिया है जबकि विद्यालयों में फीस के नाम पर आज तक बढ़ोत्तरी नहीं हुई है.

सरकार सहायता प्राप्त विद्यालयों में बिजली मुफ्त दें अथवा छात्रों से 10 प्रतिमाह के हिसाब से विद्युत शुल्क लेने की छूट दें. यह बातें अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय प्रबंधक सभा उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष अरविंद कुमार ने कही. अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय प्रबंधक सभा की ओर से मंगलवार डीएवी पीजी कॉलेज में प्रेसवार्ता हुई.

इसमें कार्यकारी अध्यक्ष अरविंद कुमार ने बताया कि 13 अक्टूबर को प्रदेश के तकरीबन 5 हजार प्रबंधक अपनी मांगों को लेकर विधानभवन का घेराव करेंगे. उन्होंने कहा कि वेतन का अधिकार प्रबंधकों के पास नहीं है, ऐसे में उनसे साइन कराना बंद हो. आयोग से चयनित शिक्षकों को ट्रांसफर 5 साल से पहले न हो, ट्रांसफर होने पर आयोग से शिक्षक मिलने में सालों लग जाते हैं ऐसे में कई बैच पढ़कर निकल जाते हैं.

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