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लखनऊ: 1995 में चयनित हुए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को मिलेगा कार्यभार

साल 1995 में फैजाबाद परिक्षेत्र में पशु चिकित्सा विभाग में चयनित हुए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को अब 24 साल बाद कार्यभार ग्रहण कराया जाएगा. ऐसा हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की सख्ती के बाद किया गया है.

लखनऊ हाईकोर्ट
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Published : Aug 27, 2019, 10:32 AM IST

लखनऊ: पशु चिकित्सा विभाग, फैजाबाद परिक्षेत्र में वर्ष 1995 में नियुक्त हुए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 24 वर्षों बाद अब कार्यभार ग्रहण कराया जाएगा. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की सख्ती के बाद विभाग की ओर से न्यायालय के समक्ष आश्वासन दिया गया है कि उक्त कर्मचारियों को उनका कार्यभार ग्रहण करा दिया जाएगा.

न्यायालय ने यह भी साफ कहा कि यदि 2 सितम्बर तक कर्मचारियों को कार्यभार ग्रहण नहीं कराया जाता है तो अदालत के आदेश की अवमानना की कार्यवाही शुरू की जा सकती है.

चयन के 24 वर्षों बाद मिला इंसाफ

यह आदेश जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने धर्मेंद्र कुमार समेत 13 कर्मचारियों की ओर से दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया है. उक्त याचिकाओं में कहा गया था कि 26 नवम्बर 1995 को याचियों का चयन सम्बंधी आदेश उप निदेशक, पशु चिकित्सा विभाग, फैजाबाद परिक्षेत्र के तहत पारित किया गया था. उक्त चयन में अनियमितता की बात कहते हुए 27 दिसम्बर 1995 को सचिव, पशुपालन विभाग ने चयन सम्बंधी आदेश को रद् कर दिया था. इससे यह मामला न्यायालय में पहुंच गया और न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए उक्त पदों को याचिकाओं के निस्तारण तक न भरे जाने का निर्देश दिया.

इसे भी पढ़े:-लखनऊ: मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सीएम योगी ने विभागों का किया बंटवारा

वर्ष 1995 में चयनित हुए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ग्रहण कराया जाएगा कार्यभार

24 जनवरी 2019 को एकल पीठ ने याचियों के पक्ष में फैसला देते हुए सचिव का 27 दिसम्बर 1995 का आदेश निरस्त कर दिया और याचियों को कार्यभार ग्रहण कराने का आदेश दिया. एकल पीठ के उक्त आदेश को राज्य सरकार की ओर से विशेष अपील दाखिल करते हुए डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी गई. डिवीजन बेंच ने एकल पीठ का निर्णय बरकरार रखा, जिसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट तक गई लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी एकल पीठ के आदेश को सही माना.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कार्यभार ग्रहण न कराने पर कर्मचारियों ने अवमानना याचिका दाखिल की, जिस पर सुनवाई के दौरान न्यायालय की सख्ती को देखते हुए संयुक्त सचिव, पशुपालन विभाग वेद प्रकाश राजपूत ने सरकारी वकील के जरिये याचियों को कार्यभार ग्रहण कराने का आश्वासन दिया.

लखनऊ: पशु चिकित्सा विभाग, फैजाबाद परिक्षेत्र में वर्ष 1995 में नियुक्त हुए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 24 वर्षों बाद अब कार्यभार ग्रहण कराया जाएगा. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की सख्ती के बाद विभाग की ओर से न्यायालय के समक्ष आश्वासन दिया गया है कि उक्त कर्मचारियों को उनका कार्यभार ग्रहण करा दिया जाएगा.

न्यायालय ने यह भी साफ कहा कि यदि 2 सितम्बर तक कर्मचारियों को कार्यभार ग्रहण नहीं कराया जाता है तो अदालत के आदेश की अवमानना की कार्यवाही शुरू की जा सकती है.

चयन के 24 वर्षों बाद मिला इंसाफ

यह आदेश जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने धर्मेंद्र कुमार समेत 13 कर्मचारियों की ओर से दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया है. उक्त याचिकाओं में कहा गया था कि 26 नवम्बर 1995 को याचियों का चयन सम्बंधी आदेश उप निदेशक, पशु चिकित्सा विभाग, फैजाबाद परिक्षेत्र के तहत पारित किया गया था. उक्त चयन में अनियमितता की बात कहते हुए 27 दिसम्बर 1995 को सचिव, पशुपालन विभाग ने चयन सम्बंधी आदेश को रद् कर दिया था. इससे यह मामला न्यायालय में पहुंच गया और न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए उक्त पदों को याचिकाओं के निस्तारण तक न भरे जाने का निर्देश दिया.

इसे भी पढ़े:-लखनऊ: मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सीएम योगी ने विभागों का किया बंटवारा

वर्ष 1995 में चयनित हुए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ग्रहण कराया जाएगा कार्यभार

24 जनवरी 2019 को एकल पीठ ने याचियों के पक्ष में फैसला देते हुए सचिव का 27 दिसम्बर 1995 का आदेश निरस्त कर दिया और याचियों को कार्यभार ग्रहण कराने का आदेश दिया. एकल पीठ के उक्त आदेश को राज्य सरकार की ओर से विशेष अपील दाखिल करते हुए डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी गई. डिवीजन बेंच ने एकल पीठ का निर्णय बरकरार रखा, जिसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट तक गई लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी एकल पीठ के आदेश को सही माना.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कार्यभार ग्रहण न कराने पर कर्मचारियों ने अवमानना याचिका दाखिल की, जिस पर सुनवाई के दौरान न्यायालय की सख्ती को देखते हुए संयुक्त सचिव, पशुपालन विभाग वेद प्रकाश राजपूत ने सरकारी वकील के जरिये याचियों को कार्यभार ग्रहण कराने का आश्वासन दिया.


चयन के 24 वर्षों बाद मिला इंसाफ
वर्ष 1995 में चयनित हुए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ग्रहण कराया जाएगा कार्यभार  
विधि संवाददाता
लखनऊ
। पशु चिकित्सा विभाग, फैजाबाद परिक्षेत्र में वर्ष 1995 में नियुक्त हुए, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 24 वर्षों बाद अब कार्यभार ग्रहण कराया जाएगा। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की सख्ती के बाद विभाग की ओर से न्यायालय के समक्ष आश्वासन दिया गया है कि उक्त कर्मचारियों को उनका कार्यभार ग्रहण करा दिया जाएगा। न्यायालय ने यह भी साफ कहा है कि यदि 2 सितम्बर तक कर्मचारियों को कार्यभार ग्रहण नहीं कराया जाता है तो अदालत के आदेश की अवमानना की कार्यवाही शुरू की जा सकती है।
    यह आदेश जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने धर्मेंद्र कुमार समेत 13 कर्मचारियों की ओर से दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए, पारित किया। उक्त याचिकाओं में कहा गया था कि 26 नवम्बर 1995 को याचियों का चयन सम्बंधी आदेश उप निदेशक, पशु चिकित्सा विभाग, फैजाबाद परिक्षेत्र द्वारा पारित किया गया था। लेकिन उक्त चयन में अनियमितता की बात कहते हुए, 27 दिसम्बर 1995 को सचिव, पशुपालन विभाग ने चयन सम्बंधी आदेश को रद् कर दिया। जिसके बाद मामला न्यायालय पहुंचा। न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए, उक्त पदों को याचिकाओं के निस्तारण तक न भरे जाने का निर्देश दिया। 24 जनवरी 2019 को एकल पीठ ने याचियों के पक्ष में फैसला देते हुए, सचिव का 27 दिसम्बर 1995 का आदेश निरस्त कर दिया व याचियों को कार्यभार ग्रहण कराने का आदेश दिया। एकल पीठ के उक्त आदेश को राज्य सरकार की ओर से विशेष अपील दाखिल करते हुए, डिविजन बेंच के समक्ष चुनौती दी गई। डिविजन बेंच ने एकल पीठ का निर्णय बरकरार रखा। जिसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गई लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी एकल पीठ के आदेश को सही माना। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कार्यभार ग्रहण न कराने पर, कर्मचारियों ने अवमानना याचिका दाखिल की। जिस पर सुनवाई के दौरान न्यायालय की सख्ती को देखते हुए, संयुक्त सचिव, पशुपालन विभाग वेद प्रकाश राजपूत ने सरकारी वकील के जरिये याचियों को कार्यभार ग्रहण कराने का आश्वासन दिया।       
 

 

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Chandan Srivastava
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