लखनऊ: राजधानी में उच्च न्यायालय की सख्ती के बाद सरकार ने कमेटी के गठन की जानकारी देते हुए बताया कि कमेटी दो माह में जांच पूरी कर लेगी. इस पर न्यायालय ने मामले की अग्रिम सुनवाई के लिए 6 नवम्बर की तिथि तय कर दी है.
यह आदेश न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति आलोक माथुर की खंडपीठ ने लालजी यादव की ओर से दाखिल वर्ष 2013 की एक जनहित याचिका पर दिया. लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिवक्ता रत्नेश चंद्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि याचिका में अंसल के प्रोजेक्ट में ईडब्ल्यूएस/एलआईजी मकानों के निर्माण का मुद्दा उठाया गया है.
तत्कालीन योजना के मुताबिक अंसल को 7344 ईडब्ल्यूएस/एलआईजी मकानों का निर्माण करना था, जिसे न करने पर उक्त याचिका दाखिल हुई. जिस पर अंसल के प्रबंध निदेशक की ओर से हलफनामा दाखिल कर 15 अगस्त 2015 तक मकानों का निर्माण पूर्ण कर लेने की बात कही गई.
लेकिन उक्त तिथि तक निर्माण नहीं किये गए व न्यायालय के समक्ष और समय दिये जाने की मांग अंसल की ओर से की गई. इस पर न्यायालय ने एलडीए से पूछा तो पता चला कि अब तक मात्र 3200 मकानों का ही निर्माण किया गया है. इस पर न्यायालय ने एलडीए से अंसल के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी मांगी. एलडीए ने न्यायालय को बताया कि उसने सरकार को कार्रवाई के लिए लिख दिया है. इस पर न्यायालय ने सरकार से जब जानकारी मांगी तो सरकार की ओर से उक्त जांच कमेटी के गठन की बात कही गई.
सरकारी वकील ने न्यायालय को बताया कि 31 जुलाई को आदेश पारित करते हुए, सरकार ने आवास आयुक्त, यूपी आवास एवं विकास परिषद, प्रमुख सचिव, आवास एवं नगरीय नियोजन द्वारा नामित विशेष सचिव, निदेशक, आवास बंधु, चीफ कंट्री एंड टाउन प्लानर व मंडलायुक्त लखनऊ द्वारा नामित कोई अपर आयुक्त उक्त जांच कमेटी के सदस्य होंगे. सरकार की ओर से यह भी आश्वासन दिया गया है कि उक्त जांच दो माह में पूरी कर ली जाएगी.